Integrated Farming : आज के समय में किसान केवल पारंपरिक खेती से संतुष्ट नहीं हैं. जमीन कम होने और लागत ज्यादा होने की वजह से वे ऐसे विकल्प तलाश रहे हैं, जिससे कम जगह में ज्यादा मुनाफा मिल सके. इसी सोच से जुड़ा एक बेहतरीन मॉडल है 3 लेयर इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (IFS Model). इस मॉडल में एक ही जगह पर बकरी, मुर्गी और मछली पालन किया जाता है. शुरुआत में थोड़ा निवेश जरूर लगता है, लेकिन जैसे ही सिस्टम चलने लगता है, हर महीने तय आमदनी होने लगती है.
3 लेयर फार्मिंग मॉडल क्या है?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 3 लेयर फार्मिंग मॉडल की खासियत यह है कि इसमें तीन स्तरों पर उत्पादन होता है:-
ऊपरी स्तर: बकरी पालन. बकरियों को ऊंचे प्लेटफॉर्म या छत पर रखा जाता है. उनकी देखभाल आसान होती है और उनका गोबर और यूरिन नीचे गिरकर जैविक खाद बनता है.
मध्य स्तर: मुर्गी पालन. बकरियों के नीचे मुर्गियों के लिए शेड बनाया जाता है. मुर्गियों का मल नाइट्रोजन युक्त खाद बनता है, जो पौधों और मछलियों दोनों के लिए फायदेमंद होता है.
नीचे का स्तर: मछली पालन. जमीन के तल पर तालाब होता है. बकरी और मुर्गी का मल पानी में जाकर मछलियों के लिए प्राकृतिक चारा बनता है, जिससे फीड का खर्च कम होता है और मछलियों की ग्रोथ तेज होती है. इस तरह एक ही जगह तीन अलग-अलग व्यवसाय का लाभ उठाया जा सकता है.
कम लागत में ज्यादा मुनाफा
IFS मॉडल की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसके लिए अलग जमीन की जरूरत नहीं होती. किसान अपने खेत का एक हिस्सा या घर के पास बने तालाब का इस्तेमाल कर सकते हैं. बकरियों और मुर्गियों के अपशिष्ट से खाद और मछलियों का चारा तैयार होता है, जिससे इनपुट लागत 40-50 फीसदी तक कम हो जाती है.
उदाहरण के अनुसार, बकरी पालन से सालाना लगभग 2 लाख रुपए की आमदनी हो सकती है, मुर्गी पालन से 1 लाख रुपए और मछली पालन से 1.5 लाख रुपए. मिलाकर कुल आय 4.5 से 5 लाख रुपए सालाना तक पहुंच सकती है, जिससे किसानों को तीन गुना मुनाफे का अवसर मिलता है.
सरकार और बैंक की मदद
इस मॉडल को अपनाने वाले किसानों के लिए राज्य सरकारें सब्सिडी देती हैं. पशुपालन विभाग से प्रशिक्षण और तकनीकी मदद मिलती है. इसके अलावा, बैंक और NABARD जैसी संस्थाएं इस प्रोजेक्ट पर आसान लोन भी देती हैं. इससे किसान बिना ज्यादा आर्थिक बोझ के इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं और धीरे-धीरे इसे बढ़ा सकते हैं.
पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ
IFS मॉडल सिर्फ आर्थिक रूप से ही नहीं बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी टिकाऊ है.
- बकरियों और मुर्गियों का मल जैविक खाद बनता है.
- तालाब में मछली के प्राकृतिक चारे से फीड खर्च कम होता है.
- खेतों की उर्वरता बनी रहती है.
- यह मॉडल जैविक खेती को बढ़ावा देता है और किसानों को प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल सिखाता है.
युवाओं और रोजगार के अवसर
IFS मॉडल से ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी बनते हैं. छोटे निवेश में ज्यादा उत्पादन और मुनाफा होने की वजह से यह व्यवसाय आकर्षक है. किसान युवा इसे अपनाकर स्थायी आमदनी कमा सकते हैं और अपने परिवार को आत्मनिर्भर बना सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कई किसान बताते हैं कि शुरुआत में थोड़ा निवेश जरूर लगता है, लेकिन जैसे ही सिस्टम चलने लगता है, मेहनत का फल बहुत अच्छा मिलता है. यह मॉडल पारंपरिक खेती के साथ-साथ नए व्यवसाय के लिए भी एक शानदार विकल्प है.
भविष्य का टिकाऊ मॉडल
बकरी, मुर्गी और मछली पालन का यह तीन-लेयर मॉडल भविष्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन सकता है. कम पूंजी में अधिक मुनाफा, पर्यावरणीय लाभ, रोजगार और स्थिर आमदनी-सभी फायदे एक ही सिस्टम में उपलब्ध हैं. मेहनत और सही योजना के साथ यह मॉडल हर किसान को आत्मनिर्भर बना सकता है. यदि किसान इस मॉडल को अपनाते हैं और नियमित देखभाल करते हैं, तो यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करेगा बल्कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार और विकास के नए रास्ते भी खोलेगा.