Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में इस साल बारिश ने भारी तबाही मचाई. भूस्खलन और बाढ़ की चपेट में आने से कई लोगों की मौत तक हो गई. वहीं, बागवानी फसलों को काफी अधिक नुकसान पहुंचा है. खास कर सेब के कई बाग भूस्खलन में उजड़ गए. साथ ही सड़कों के टूटने से यातायात व्यवस्था प्रभावित हुई. ऐसे में लोगों को लग रहा है था इस साल सेब की सप्लाई में दिक्कतें आएंगी, लेकिन ऐसे नहीं हुआ. उल्ट पिछले साल के मुकाबले और ज्यादा ही हिमाचल से सेब की सप्लाई हुई है. जबकि, कश्मीर घाटी से भी सेब की बंपर निर्यात हो रहा है. इससे किसानों की बंपर कमाई हो रही है.
बात अगर हिमाचल प्रदेश की करें, तो यहां पर भारी बारिश और भूस्खलन से इस साल पूरे मॉनसून के दौरान सैकड़ों रास्ते बंद रहे. इसके बावजूद सेब सप्लाई पर कुछ असर नहीं पड़, बल्कि पिछले साल के मुकाबले निर्यात और बढ़ गया. अब तक 1.57 करोड़ से ज्यादा सेब के बॉक्स हिमाचल से बाहर दूसरे राज्यों में भेजे जा चुके हैं. खास बात यह है कि ये आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले करीब 45 लाख सेब बॉक्स ज्यादा है. पिछले साल 11 सितंबर तक 1.13 करोड़ सेब बॉक्स मार्केट में आए थे.
कश्मीरी सेब की क्या है स्थिति
अगर जम्मू-कश्मीर की बात करें, तो पिछले 10 दिनों में कश्मीर घाटी से करीब 1.37 लाख मीट्रिक टन सेब श्रीनगर- जम्मू नेशनल हाईवे, मुगल रोड और पार्सल ट्रेन सेवा के जरिए भेजे गए हैं. डिविजनल कमिश्नर कश्मीर अंशुल गर्ग का कहना है कि ताजा फलों की निकासी को बेहतर बनाने के लिए हाल ही में एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार किया गया है. रोजाना करीब 1,500 से 2,000 फल से भरे ट्रक नेशनल हाईवे और मुगल रोड के जरिए बारी-बारी से जम्मू भेजे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि नेशनल हाईवे की मरम्मत तेजी से हो रही है. वाहनों की गति काफी सुधरी है. पहले रोजाना 1,500 से 2,000 ट्रक ही चल पाते थे, लेकिन कल रात अकेले 3,500 से 4,000 ट्रक श्रीनगर की ओर गए. उन्होंने कहा सभी फल लदे ट्रक शाम तक जम्मू पहुंच जाएंगे.
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1,900 ट्रक फल सप्लाई
मुगल रोड के बारे में बात करते हुए डिविजनल कमिश्नर अंशुल गर्ग ने कहा कि सिर्फ कल ही इस रास्ते से 1,800 से 1,900 ट्रक फल लेकर भेजे गए, जिसमें ताजा फलों की निकासी को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है. कश्मीर से दिल्ली तक चलने वाली पार्सल ट्रेन सेवा के बारे में गर्ग ने कहा कि रोजाना लगभग 800 से 1,000 मीट्रिक टन सेब रेलवे के जरिए भेजे जा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि फलों के किसानों की मांग पर अब सिर्फ श्रीनगर ही नहीं, बल्कि अनंतनाग और बारामुल्ला भी फल लोडिंग के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं. अब उत्तर कश्मीर के किसान बारामुल्ला रेलवे स्टेशन से और दक्षिण कश्मीर के किसान अनंतनाग स्टेशन से अपने फल दिल्ली भेज सकते हैं.