Karnataka Onion Farmers: कर्नाटक में प्याज का रेट 100 रुपये क्विंटल हो गया है. ऐसे में किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. नाराज प्याज किसानों ने हुब्बली में फसल लेकर APMC गेट पर प्रदर्शन किया. वे सरकार से प्याज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने और हरी मूंग खरीदने की प्रक्रिया शुरू करने की मांग कर रहे थे. प्रदर्शन का नेतृत्व जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष शिवानंद करीगर ने किया. किसान ब्याहट्टी, कुसुगल, गोपनाकॉप्पा, उनकाल सहित कई गांवों से ट्रैक्टर लेकर आए और सरकार व व्यापारियों के खिलाफ नारे लगाए.
मीडिया की की रिपोर्ट के मुताबिक, करीगर ने कहा कि मॉनसून में फसल उगाने के दौरान किसान पहले ही नुकसान झेल चुके हैं, लेकिन सरकार ने अब तक खरीद केंद्र शुरू नहीं किया और बाजार में व्यापारियों पर नियंत्रण नहीं रखा. उन्होंने कहा कि एक एकड़ प्याज की खेती पर कम से कम 50,000 रुपये खर्च होते हैं, फिर भी सरकार हस्तक्षेप नहीं कर रही. करीगर ने चेतावनी दी कि अगर स्थिति सुधरी नहीं, तो किसान आत्महत्या की स्थिति तक पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को किसान की जिंदगी में मदद करनी चाहिए, न कि मौत के बाद मुआवजा देने की सोच रखनी चाहिए. किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर अगले दो दिन में प्याज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित नहीं किया गया, तो वे हुब्बली-धारवाड़ हाईवे बंद करेंगे, APMC को बंद करेंगे और हिंसक प्रदर्शन शुरू करेंगे.
प्याज की कीमत में भारी गिरावट
बता दें कि हुब्बली के अमरागोल APMC यार्ड, जो प्याज का सबसे बड़ा बाजारों में से एक है. यहां पर स्थानीय प्याज की न्यूनतम कीमत सिर्फ 100 रुपये प्रति क्विंटल रही और पिछले पखवाड़े में औसत कीमत लगभग 600 रही. पुणे और नासिक की किस्म थोड़ी बेहतर है, लेकिन इसकी कीमत पिछले साल से कम है. अधिकारियों के अनुसार, पिछले साल इसी समय स्थानीय प्याज 3,000 रुपये से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल में बिकती थी. एक और वजह है कि प्याज की कीमतें बढ़ नहीं रही हैं. देश के अन्य हिस्सों में प्याज की भारी उपलब्धता है, जहां से हुब्बली बाजार की प्याज नियमित रूप से भेजी जाती रही है.
बारिश से फसल को नुकसान
वहीं, कर्नाटक के कित्तूर जिले में अत्यधिक बारिश ने केवल फसल को नुकसान ही नहीं पहुंचाया, बल्कि फंगल रोगों के फैलने से फसल की उपज और भी कम हो गई. मोटे अनुमान के अनुसार, प्याज की 50 फीसदी फसल पूरी तरह खराब हो चुकी है और बाकी की फसल रोगों से प्रभावित है. ऐसा ही हाल विजयनगर और बल्लारी जिलों के कुछ हिस्सों में भी है.