Poultry Farming : देशभर में कड़ाके की ठंड का असर न सिर्फ लोगों पर दिख रहा है, बल्कि इसके कारण पशुपालन और खासकर मुर्गीपालन भी प्रभावित हो रहा है. पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और मैदानी क्षेत्रों में गिरते तापमान ने मुर्गियों के स्वास्थ्य और उत्पादन पर सीधा असर डालना शुरू कर दिया है. ऐसे में अगर मुर्गीपालक समय रहते कुछ जरूरी उपाय न अपनाएं, तो अंडे और मांस दोनों का उत्पादन तेजी से घट सकता है. ठंड में मुर्गियों को गर्म, सुरक्षित और स्वस्थ रखना ही मुनाफा बढ़ाने की सबसे बड़ी कुंजी है.
बाड़े में गर्मी जरूरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सर्दी के मौसम में सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि मुर्गियों को ठंड से बचाया जाए. जब तापमान बहुत नीचे जाता है, तो मुर्गियां सुस्त होने लगती हैं, खाना कम खाती हैं और अंडे देना भी कम कर देती हैं. इसलिए बाड़े में गर्माहट बनाए रखना बहुत जरूरी है. इसके लिए आम तौर पर बल्ब, गरम हवा देने वाले उपकरण या साधारण हीटिंग लैंप बेहद कारगर होते हैं. इससे बाड़े का तापमान संतुलित रहता है और मुर्गियां आराम से घूम-फिर सकती हैं. गर्मी की कमी होने पर मुर्गियां झुंड बनाकर एक-दूसरे से चिपक जाती हैं, जिससे उनकी ऊर्जा का नुकसान बढ़ जाता है. सही तापमान मिलने पर उनका मेटाबॉलिज़्म ठीक रहता है और उत्पादन भी स्थिर बना रहता है.
साफ-सफाई और कीटाणु नियंत्रण
ठंड का मौसम कई तरह के परजीवी और कीटाणुओं के फैलने का समय भी होता है. अगर बाड़े में नमी या गंदगी ज्यादा हो जाए, तो मुर्गियों में संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है. इसलिए बाड़े की रोजाना सफाई करना सबसे अहम कदम है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कई जगहों पर लेमन ग्राम और निर्गुण्डी की पत्तियां बाड़े में टांगी जाती हैं, जिनकी महक बाहरी परजीवियों को दूर रखती है. साथ ही नीम तेल का उपयोग वाली दवाओं का छिड़काव भी प्रभावी माना जाता है. इससे मुर्गियां स्वस्थ रहती हैं और अंडे व मांस के उत्पादन पर भी असर नहीं पड़ता.
ठंडी हवा रोकना है जरूरी, वरना बाड़े का तापमान तेजी से गिर जाएगा
सर्द हवाएं मुर्गियों के लिए सबसे खतरनाक होती हैं. अगर बाड़े में खुली जगह ज्यादा हो, तो तेज हवा अंदर पहुंचकर तापमान गिरा देती है. इसलिए बाड़े के सभी खुले हिस्सों पर मोटे पर्दे लगाए जाने की सलाह दी जाती है. इन पर्दों के निचले हिस्से में बांस बांध दिया जाए, तो हवा तेज होने पर भी वे उड़ते नहीं हैं. सुबह सूरज निकलने पर पर्दे हटाकर ताजी हवा आने देनी चाहिए, ताकि बाड़े की नमी कम हो सके. यह तरीका ठंड से बचाव के साथ-साथ बाड़े को स्वच्छ भी बनाए रखता है.
अंडे और मांस उत्पादन के लिए गुनगुना पानी और पोषक भोजन सबसे बड़ी आवश्यकता
ठंड में मुर्गियों की भूख बढ़ जाती है और उन्हें ऊर्जा की जरूरत भी अधिक होती है. इसलिए दाना हमेशा उपलब्ध होना चाहिए. इसके अलावा उन्हें दिन में कई बार गुनगुना पानी पिलाना जरूरी है, क्योंकि ठंडा पानी पीने से वे बीमार पड़ सकती हैं. अगर मुर्गियों को संतुलित आहार मिले-जिसमें ऊर्जा, प्रोटीन और विटामिन शामिल हों-तो ठंड में भी अंडे देने की उनकी क्षमता अच्छी रहती है. वहीं मांस वाले पक्षियों की ग्रोथ भी तेज बनी रहती है.
रोजाना निरीक्षण करें, सुस्त मुर्गी दिखे तो तुरंत इलाज कराएं
ठंड में बीमारियां तेजी से फैलती हैं, इसलिए रोजाना निरीक्षण बहुत जरूरी है. अगर कोई मुर्गी सुस्त दिखे, कम खाए या एक कोने में बैठी रहे, तो उसे तुरंत अलग कर देना चाहिए. ऐसी मुर्गियों को समय पर उपचार मिलने से पूरा झुंड सुरक्षित रहता है. विशेषज्ञों के अनुसार, समय पर दी गई देखभाल बड़े नुकसान से बचा सकती है और उत्पादन को लगातार बेहतर बनाए रखती है.