Mandi bhav: इस राज्य में 600 रुपये क्विंटल हुआ प्याज, लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान.. भारी नुकसान

तेलंगाना में प्याज किसानों को इस बार भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. कीमतें 600- 800 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई हैं, जबकि उत्पादन लागत काफी अधिक है. बंपर उत्पादन, निर्यात पर रोक और MSP की गैरमौजूदगी ने हालात और बिगाड़ दिए हैं. किसान मदद की गुहार लगा रहे हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 19 Oct, 2025 | 08:32 AM

Onion Mandi Rate: तेलंगाना में प्याज की फसल अब खेतों में सड़ रही है, क्योंकि कीमतों में भारी गिरावट आई है. ताजा फसल के खरीदार बहुत कम हैं और किसान मजबूरी में प्याज को मंडियों में सिर्फ 600 से 800 रुपये प्रति क्विंटल की बेहद कम कीमतों पर बेचने को मजबूर हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि यही प्याज रिटेल दुकानों पर अब भी 20 से 25 रुपये प्रति किलो में बिक रहा है. किसानों ने इस फसल में बड़ी पूंजी लगाई थी, लेकिन अब उन्हें भारी कर्ज के अलावा कुछ नहीं मिल रहा. यह संकट सिर्फ एक राज्य का नहीं है, बल्कि पूरे देश में हालात लगभग ऐसे ही हैं. खासकर तेलंगाना के छोटे किसान भी इससे बुरी तरह प्रभावित हैं. पिछले साल प्याज की कीमतें 4,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचने पर किसानों ने बड़े पैमाने पर प्याज की खेती शुरू की. लेकिन इस बार देशभर में प्याज की बंपर पैदावार करीब 250- 300 लाख टन और निर्यात पर लगी पाबंदियों ने मंडियों को प्याज से भर दिया.

तेलंगाना, जो खुद प्याज की कमी वाला राज्य है, वहां भी थोक भाव 10 से 15 रुपये प्रति किलो के बीच हैं, जबकि उत्पादन लागत ही 25 से 30 रुपये प्रति किलो आती है. हाल की मंडी दरें हालात की गंभीरता दिखाती हैं. 17 अक्टूबर को बोवेनपल्ली मंडी में प्याज का औसत रेट  14 रुपये प्रति किलो (यानि 11001400 रुपये प्रति क्विंटल) रहा, जबकि 15 अक्टूबर को गुडीमल्कापुर मंडी में ये गिरकर सिर्फ 11 रुपये प्रति किलो रह गया.

ट्रांसपोर्ट खर्च भी नहीं निकाल पा रहे किसान

तेलंगाना टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, राजोली के किसान चिन्टारेवुला शेखर जैसे कई किसानों के लिए इस साल का अनुभव बेहद निराशाजनक रहा. शेखर ने कहा कि मैंने दो एकड़ में प्याज की खेती पर 50,000 रुपये प्रति एकड़ खर्च किए, लेकिन ज्यादा बारिश ने फसल बर्बाद  कर दी. अब तो ट्रांसपोर्ट का खर्च भी नहीं निकल रहा, मजबूरी में फसल खेत में ही छोड़नी पड़ी. यही हालात राज्यभर के ज्यादातर प्याज किसानों के हैं. कुछ किसान तो हताश होकर फसल को यूं ही छोड़ दे रहे हैं या गांव वालों को खुदाई कर फसल ले जाने दे रहे हैं. कई किसान प्याज को लेकर कुर्नूल, हैदराबाद या रायचूर तक जा रहे हैं, लेकिन वहां भी भारी ट्रांसपोर्ट खर्च के बावजूद खरीदार नहीं मिल रहे.

किसान पूरी तरह बिचौलियों पर निर्भर

जोगुलाम्बा गडवाल, आलमपुर और आसपास के इलाके प्याज उत्पादन के मजबूत केंद्र माने जाते हैं, लेकिन प्याज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य  (MSP) नहीं होने से किसान पूरी तरह बिचौलियों पर निर्भर हैं. सितंबर में आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में भारी बारिश से प्याज किसानों को पहले ही बड़ा नुकसान हो चुका है. अब तेलंगाना के किसान भी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. राज्य के दक्षिणी और उत्तरी हिस्सों में प्याज की खेती होती है. दक्षिण में लाल प्याज और उत्तर में सफेद प्याज ज्यादा उगाया जाता है.

इन जिलों में होती है प्याज की खेती

रंगारेड्डी, विकाराबाद, महबूबनगर, वनपर्थी, जोगुलाम्बा गडवाल और नारायणपेट जैसे जिले प्याज उत्पादन  के प्रमुख क्षेत्र हैं और इन्हें प्याज क्लस्टर के रूप में विकसित किया जा रहा है. मेडक, कामारेड्डी, करीमनगर और संगारेड्डी जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर प्याज की खेती होती है, जबकि सिद्दीपेट और नलगोंडा में छोटे-छोटे क्षेत्र हैं. 2019 में जहां सिर्फ 17,000 एकड़ में प्याज की खेती होती थी, वहीं बीआरएस सरकार के दौरान इसे बढ़ावा दिया गया और 2024 तक प्याज का रकबा बढ़कर 45,677 हेक्टेयर तक पहुंच गया. यहां से हर साल करीब 8 से 9 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन होता है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 19 Oct, 2025 | 08:22 AM

फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत किस नंबर पर है?

Side Banner

फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत किस नंबर पर है?