Mandi Rate: राजस्थान में सितंबर में प्याज के दाम करीब 50 फीसदी गिर गए हैं, जो फरवरी 2019 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है. इससे परेशान राजस्थान के किसानों ने सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि उन्हें आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्याज की उत्पादन लागत 8 से 10 रुपये प्रति किलो बताई गई है, लेकिन किसानों का कहना है कि असल लागत 18 से 20 रुपये प्रति किलो तक आती है. इसके बावजूद किसान खैरथल मंडी में सिर्फ 5 रुपये प्रति किलो के भाव पर प्याज बेचने को मजबूर हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ रही है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे में किसान महापंचायत ने सरकार से ‘मार्केट इंटरवेंशन स्कीम’ (MIS ) लागू करने की मांग की है, ताकि किसानों को ऐसे अचानक आने वाले आर्थिक झटकों से बचाया जा सके. संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर राज्य सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए तो पूरे प्रदेश में आंदोलन शुरू किया जाएगा. किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने सरकार की नीतियों की आलोचना की. खासकर आयात-निर्यात फैसलों को, जिनसे प्याज के दाम गिरने में योगदान मिला. उन्होंने कहा कि फसल को बिना घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के सुरक्षित रखने के लिए एक मजबूत हस्तक्षेप योजना की जरूरत है.
- UP ने धान खरीदी ने पकड़ी रफ्तार, 44127 टन के पार पहुंचा आंकड़ा.. किसानों के खातों में पहुंचे 86 करोड़
- फसल विविधीकरण के लिए 1523 करोड़ की मंजूरी, किसानों को नई फसलों के बीज और सुविधाएं मिलेंगी
- बासमती से ज्यादा महंगा है यह धान, केवल जैविक तरीके से होती है खेती.. रासायनिक खाद हैं इसके दुश्मन
- सीमांत किसानों के लिए वरदान है यह तकनीक, एक एकड़ में होगी 15 लाख की इनकम.. क्या है खेती का तरीका
MSP से कम दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर
रामपाल जाट ने कहा कि सरकार की अपर्याप्त खरीद व्यवस्था के कारण किसान मजबूर होकर MSP से कम दाम पर अपनी फसल बेचते हैं. 3 अक्टूबर को राज्य सरकार और किसान महापंचायत के बीच हुई बैठक के बावजूद किसानों की शिकायतों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. इसके जवाब में किसान महापंचायत ने 17 नवंबर को जयपुर के शहीद स्मारक और जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करने की योजना बनाई है, ताकि बढ़ते किसान असंतोष को आवाज दी जा सके.
किसान को प्रति क्विंटल तक 3,000 रुपये का नुकसान
रामपाल ने कहा कि MIS तो बिना घोषित MSP वाली फसलों के लिए बनाई गई थी, लेकिन इस योजना के तहत अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. MSP वाली फसलों जैसे मक्का, उरद, मूंग, तुअर, बाजरा, सोयाबीन और कपास की भी सरकारी खरीद नहीं हो रही, जिससे किसान को प्रति क्विंटल तक 3,000 रुपये का नुकसान हो रहा है. हालांकि, अलवर बाजार में जल्दी लाल प्याज आ गए हैं, लेकिन मौसम की वजह से फसल की गुणवत्ता खराब होने और बाजार में बिकवाली घटने के कारण किसान अच्छे दाम नहीं पा रहे हैं. इससे उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ गई है और वे प्याज केवल दूरदराज के बाजारों में ही बेच पा रहे हैं.
16,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती का लक्ष्य
इस साल अलवर में 16,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती का लक्ष्य रखा गया था और बागवानी विभाग को उम्मीद थी कि इससे भी ज्यादा बुवाई होगी. लेकिन बदलते मौसम ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया. अधिक बारिश से पानी जमा हुआ और धूप की कमी के कारण प्याज छोटे हुए.
 
 
                                                             
                             
                             
                             
                             
 
 
                                                     
                                                     
                                                     
                                                    