Haryana News: हरियाणा में सोमवार से धान की खरीद (Paddy Procurement) शुरू हो गई. कई मंडियों में अन्नदाता की भीड़ देखने को मिली तो कई मंडियों में उपज लेकर एक भी किसान नहीं पहुंचे. ऐसे में मंडियों में सन्नाटा पसरा रहा. पानीपत की अनाज मंडी में कुछ ऐसा ही हाल रहा. यहां पर पहले दिन सिर्फ एक ही किसान धान बेचने के लिए पहुंचा. हालांकि, यमुनानगर जिले की जगाधरी मंडी किसानों की भीड़ देखी गई. पहले ही दिन मंडी में करीब 17,000 क्विंटल धान की आवक दर्ज की गई. फिलहाल मंडी में 17 प्रतिशत नमी तक वाले धान की खरीद की जा रही है. इस सीजन के लिए सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,389 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. किसानों का कहना है कि अगर सरकारी खरीद समय पर शुरू होती है, तो बिचौलियों की जरूरत खत्म हो जाएगी और उन्हें अपनी फसल का पूरा दाम मिल सकेगा.
यमुनानगर मंडी प्रशासन और मार्केटिंग बोर्ड ने धान की खरीद को सही तरीके से चलाने के लिए पहले से ही पूरी तैयारी कर ली है. मंडी अधिकारी का कहना है कि किसानों की सुविधा के लिए मंडी में साफ-सफाई, पीने के पानी, माप-तौल और तेजी से भुगतान की व्यवस्था की गई है. कहा जा रहा है कि अभी धान की फसल में नमी है. इसलिए किसान उपज लेकर मंडी नहीं आ रहे हैं. धीरे-धीरे फसल कटाई जोर पकड़ने में मंडी में धान की आवक में गति आएगी.
मंडियों में इस तरह की तैयारी
सरकार ने सभी जिलों की मंडियों में पूरी व्यवस्था कर दी है, ताकि किसानों को धान बेचने में कोई दिक्कत न हो. इसके लिए सीनियर अधिकारियों की तैनाती की गई है, जो मंडियों की सुविधाएं, खरीद प्रक्रिया और किसानों की शिकायतों का जल्दी समाधान सुनिश्चित करेंगे. अधिकारियों का कहना है कि मंडियां पूरी तरह तैयार हैं और बारिश की वजह से धान में ज्यादा नमी न हो, इसका खास ध्यान रखा जाएगा, ताकि किसानों को सही दाम मिल सके. इसी बीच राज्य सरकार की चिंता और भी बढ़ गई है, क्योंकि अब पराली जलाने का सीजन भी शुरू हो गया है. पिछले साल सरकार ने कहा था कि उन्होंने पराली प्रबंधन के लिए कई कदम उठाए, जिससे आग लगने की कम घटना सामने आई.
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68 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन
हालांकि, इस साल बाढ़, बारिश और वायरस से धान की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 6300 से ज्यादा गांवों के करीब 5 लाख किसानों ने e-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपनी फसल खराब होने की शिकायत दर्ज करवाई है. इस खरीफ सीजन में राज्य में 35 लाख एकड़ में धान की खेती का अनुमान था. आमतौर पर हरियाणा में करीब 68 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन होता है, जिसमें 25 लाख मीट्रिक बासमती शामिल है. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इस बार भारी बारिश और जलभराव के कारण धान की पैदावार में गिरावट आने की आशंका है.