कपास के भाव गिरते ही किसानों का सहारा बनी CCI, इस साल खरीद रिकॉर्ड तोड़ने के आसार

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में लगातार गिरावट से किसान अपनी उपज बेचने को लेकर चिंतित हैं. ऐसे माहौल में भारतीय कपास निगम (CCI) फिर से किसानों का सहारा बनकर सामने आया है. सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम भाव मिलने पर सीसीआई तेजी से खरीद बढ़ा रहा है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 25 Nov, 2025 | 09:37 AM

CCI Procurement: देशभर में कपास किसानों के लिए इस समय बाजार की स्थिति आसान नहीं है. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में लगातार गिरावट से किसान अपनी उपज बेचने को लेकर चिंतित हैं. ऐसे माहौल में भारतीय कपास निगम (CCI) फिर से किसानों का सहारा बनकर सामने आया है. सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम भाव मिलने पर सीसीआई तेजी से खरीद बढ़ा रहा है, ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके.

कपास के बाजार में सुस्ती और किसानों की चिंता

पिछले कुछ महीनों से कपास की कीमतें MSP से नीचे चल रही हैं. निजी व्यापार में कपास की खरीद 6,500 से 7,500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच हो रही है, जबकि MSP 8,100 रुपए प्रति क्विंटल है. ऐसे अंतर के कारण किसानों के लिए निजी व्यापार में अपनी उपज बेचना घाटे का सौदा साबित हो रहा है.

कई राज्यों में कपास की आवक बढ़ने लगी है, लेकिन मांग कमजोर रहने के चलते व्यापार धीमा पड़ा है. यही वजह है कि किसानों के लिए सरकारी खरीद ही राहत का साधन दिख रही है.

CCI ने बढ़ाया दायरा, रोज हो रही बड़े पैमाने पर खरीद

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, सीसीआई के चेयरमैन ललित कुमार गुप्ता के अनुसार, लगभग सभी कपास उत्पादक राज्यों में खरीद शुरू हो चुकी है. ओडिशा को छोड़कर हर जगह केंद्र सक्रिय हैं. पिछले दिनों एक दिन में खरीद का स्तर 1 लाख गांठ (170 किलो प्रति गांठ) के आंकड़े को भी पार कर गया. अब तक 8 लाख से ज्यादा गांठों की खरीद की जा चुकी है और यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है.

किसानों की सुविधा के लिए सीसीआई 570 खरीद केंद्र स्थापित कर रहा है, जिनमें से 400 केंद्र पहले से सक्रिय हैं और रोजाना 15 नए केंद्र जोड़े जा रहे हैं, ताकि कोई किसान परेशान न हो और उसे अपनी फसल बेचने में देरी न झेलनी पड़े.

गुणवत्ता बनी इस बार सबसे बड़ी चुनौती

इस बार कपास की गुणवत्ता को लेकर उद्योग में बड़ी चिंता है. लंबे समय तक बरसात और मौसम के बिगड़े मिजाज के कारण कपास के तंतु की मजबूती और सफेदी प्रभावित हुई है.

संगठन मानते हैं कि मात्रा में खास कमी नहीं है, लेकिन गुणवत्ता के नुकसान से बाजार मूल्य पर सीधा असर पड़ रहा है. व्यापारियों और मिलों का कहना है कि अच्छी क्वालिटी की कपास पहले से दुर्लभ होती जा रही है, इसलिए मिलें कुछ मात्रा आयातित कपास से पूरी कर रही हैं.

उत्पादन अनुमान में गिरावट, मिलों की रणनीति बदली

कपास एसोसिएशन ऑफ इंडिया का अनुमान है कि 2025-26 सीजन में कपास उत्पादन 305 लाख गांठ के आसपास रहेगा, जो पिछले साल की तुलना में करीब 2 फीसदी कम है. दूसरी ओर यार्न (धागा) की मांग कमजोर पड़ने से मिलें पहले जितनी तेजी से खरीद नहीं कर रहीं. कई बड़ी मिलें विदेशी कपास खरीदने में रुचि दिखा रही हैं.

किसानों के लिए जरूरी सहारा बनी सरकारी खरीद

कपास किसान इस समय भारी उम्मीद के साथ सरकार और सीसीआई की ओर देख रहे हैं. MSP पर होने वाली यह खरीद किसानों के लिए सहारा बन रही है और यही कारण है कि इस साल CCI की कुल खरीद पिछले साल के रिकॉर्ड से आगे निकलने की पूरी संभावना है.

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