अमरूद की उन्नत किस्मों की करें खेती, कम पानी में भी होगी बंपर पैदावार

इलाहाबादी सफेदा अमरूद की उन्नत क्वालिटी का उत्पादन देने वाली किस्म है जिसे प्रयागराज में विकसित किया गया है. यह एक ऐसी किस्म है जिसके फल अन्य किस्मों के मुकाबले ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं. इसकी खेती ऊँच-घनत्व वाले बगीचों में भी बड़े पैमाने पर की जाती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 23 Jun, 2025 | 10:54 PM

अमरूद एक ऐसा फल है जिसकी खेती के लिए बारिश का मौसम सबसे सही माना जाता है. इस मौसम में अमरूद की फसल को अलग से सिंचाई की जरूरत नहीं होती है.लेकिन अमरूद की फसल से अच्छी पैदावार पाने के लिए बेहद जरूरी है कि किसान अमरूद की उन उन्नत किस्मों का चुनाव करें जो कि बारिश के मौसम में भी अच्छी पैदावार दें. ताकि किसानों को अच्छे फल उत्पादन के साथ-साथ अच्छी कमाई भी मिल सके.

अमरूद की प्रमुख किस्में

लखनऊ 49 (सारदारा)

अमरूद की इस किस्म को सरदार लखनऊ- 49 के नाम से भी जाना जाता है. खाने में इसका स्वाद मीठा होता है. इसका गूदा सफेद या हल्के गुलाबी रंग का होता है वहीं अमरूद की इस किस्म का छिलका ग्रीनिश-येलो रंग का होता है. लखनऊ-49 के पौधे में बड़े आकार के फल लगते हैं. इसका इस्तेमाल जूस. सलाद, डेजर्ट आदि बनाने में किया जाता है. बात करें इस किस्म से होने वाली पैदावार की तो नर्सरी से लाकर लगाए गए पौधे से प्रति पेड़ औसतन 130 से 155 किग्रा तक पैदावार मिल सकती है. वहीं ग्राफ्टेड पेड़ की अगर सही से देखभाल की जाए तो प्रति पेड़ 350 किग्रा तक पैदावार मिल सकती है.

इलाहाबादी सफेदा

इलाहाबादी सफेदा अमरूद की उन्नत क्वालिटी का उत्पादन देने वाली किस्म है जिसे प्रयागराज में विकसित किया गया है. यह एक ऐसी किस्म है जिसके फल अन्य किस्मों के मुकाबले ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं. इसकी खेती ऊँच-घनत्व वाले बगीचों में भी बड़े पैमाने पर की जाती है. बात करें अमरूद की इस किस्म से होने वाली पैदावार की तो इसके प्रति पेड़ से औसतन 13.7 से 23 किग्रा तक पैदावार मिल सकती है. वहीं प्रति हेक्टियर खेती से 12 से 20 टन पैदावार की जा सकती है.

ललित

अमरूद की इस किस्म को सीआईएसएच (CISH) लखनऊ द्वारा विकसित किया गया है. इसके फलों का रंग बाहर से केसरी पीला और अंदर से इसका गूदा गुलाबी होता है. इसके एक फल का वजन करीब 185 से 200 ग्राम होता है. बात करें इस किस्म से होने वाली पैदावार की तो पेड़ लगाने के 6 साल की उम्र तक इसके पेड़ से हर साल औसतन 100 किग्रा तक पैदावार मिल सकती है. इसकी खासियत ये है कि यह किस्म इलाहाबाद सफेदा से 24 फीसदी ज्यादा उपज देती है.

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