Wheat Farming: गेहूं की खेती करना चाहते हैं लेकिन फसल में लगने वाले रोगों और कीटों की चिंता सता रही है तो किसान ICAR द्वारा विकसित की गई खास किस्म PUSA Wheat Kranti का चुनाव कर सकते हैं. इस किस्म की खासियत है कि ये किस्म कई तरह के खतरनाक रोगों और कीटों से लड़ने की क्षमता रखती है. साथ ही अगर किसान इस किस्म की बुवाई सही समय पर करते हैं तो इसकी खेती से उन्हें अच्छी पैदावार के साथ ही अच्छी कमाई भी हो सकती है. बता दें कि, ICAR द्वारा विकसित की गई ये किस्म बहुत ज्यादा गर्मी में भी अच्छी ग्रोथ करती है और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात समेत कई अन्य राज्यों के लिए बेस्ट मानी जाती है.
PUSA Wheat Kranti (HI-1699) की खासियत
गेहूं की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR), इंदौर द्वारा रबी सीजन की खेती के लिए विकसित किया गया है. ICAR द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अगर गेहूं की इस किस्म की बुवाई समय पर की जाए तो सिंचिंत इलाकों और बहुत ज्यादा गर्मी वाले इलाकों में भी अन्य किस्मों के मुकाबले अच्छी पैदावार देती है. बात करें इस किस्म से होने वाली पैदावार की तो प्रति हेक्टेयर फसल से किसान करीब 59.2 क्विंटल तक उपज ले सकते हैं. गेहूं की ये खास किस्म बुवाई के लगभग 82 से 136 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. ICAR की मानें तो इस किस्म की खेती से किसानों की आमदनी में अच्छी बढ़ोतरी होती है.

रबी सीजन के लिए ICAR ने विकसित की गेहूं की खास किस्म (Photo Credit- ICAR)
कीटों और रोगों के प्रति सहनशील
गेहूं की इस किस्म की खेती करने वालों को रोगों और कीटों की चिंता करने की जरूरत नहीं है. ICAR द्वारा विकसित की गई ये किस्म तना झुलसा, पत्ती झुलसा, कर्नाल बंट, लीफ ब्लाइट (Leaf Blight) और फ्लैग स्मट जैसी प्रमुख बीमारियों और कीटों से लड़ने की क्षमता रखती है. इसकी अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण किसानों की निर्भरता केमिकल कीटनाशकों पर कम होती है. जिससे न केवल खेती में उनकी लागत बचती है बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है और उपज भी रोगमुक्त होती है.
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इन इलाकों के लिए है बेस्ट
गेहूं की ये खास किस्म PUSA Wheat Kranti (HI-1699) मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान (कोटा और उदयपुर संभाग), पश्चिमी उत्तर प्रदेश और झांसी डिवीजन में उगाए जाने के लिए विशेष रूप से विकसित की गई है. इन इलाकों के किसानों के लिए इस किस्म की खेती करना बेहद ही फायदेमंद साबित हो सकता है. इस नई किस्म को अपनाकर किसान अपनी फसल की उपज और आमदनी में अच्छी बढ़ोतरी कर सकते हैं.