अग्नि-अस्त्र विधि से खेतों के लिए तैयार करें प्राकृतिक जीवामृत, सेहत के लिए गुणों से भरपूर होगी उपज

प्राकृतिक जीवामृत का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इनके इस्तेमाल से किसानों की केमिकल कीटनाशकों पर निर्भरता न के बराबर हो जाती है. जिससे न केवल फसल और पर्यावरण को फायदा पहुंचता है बल्कि आर्थिक रूप से किसानों की भी बचत होती है

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 15 Aug, 2025 | 02:50 PM

फसलों की बेहतर ग्रोथ के लिए बेहद जरूरी है कि उन्हें सही और पर्याप्त मात्रा में खाद दी जाए. किसान अपनी फसलों की बढ़त के लिए उन्हें कई करह की महंगी केमिकल खाद देते हैं. जिनके अंधाधुंध इस्तेमाल से न केवल फसल को बल्कि खेत की मिट्टी और वातावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में आज के समय में किसानों को ज्यादा से ज्यादा जैविक और प्राकृतिक खेती करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि खेती पूरी तरह से केमिकल फ्री और शुद्ध हो सके.

ऐसी बहुत सी जैविक खाद हैं जिन्हें किसान आसानी से घर पर तैयार कर सकते हैं. इन जैविक खाद के इस्तेमाल से न केवल फसलों को भरपूर पोषण मिलेता है बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है. भारतीय कृषि विभाग के अनुसार, किसान अग्नि-अस्त्र विधि से प्राकृतिक जीवामृत तैयार कर सकते हैं जिसके इस्तेमाल से फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ खेती भी टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल बनेगी.

फसलों के लिए रामबाण है अग्नि-अस्त्र खाद

अग्नि-अस्त्र प्राकृतिक जीवामृत बनाने का एक तरीका है. जिसकी मदद से किसान अपने खेतों के लिए एक विशेष तरह की गोमूत्र के इस्तेमाल से बने प्राकृतिक कीटनाशक घर पर ही आसानी से तैयार कर सकते हैं. इसकी खासियत है कि इसे बनाने के लिए किसानों को ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं होती है. किसान अपने आस-पास मौजूद संसाधनों के इस्तेमाल से ही इसे तैयार कर सकते हैं. बता दें कि , फसलों पर इस प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल करने से किसानों को केमिकल कीटनाशकों पर कम निर्भर होना पड़ता है. इसके अलावा खेती भी पर्यावरण अनुकूल होती है यानी कि ज्यादा टिकाऊ होती है और वातावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है.

जीवामृत बनाने की विधि

केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार, अग्नि-अस्त्र से प्राकृतिक खाद बनाने के लिए किसानों को सबसे पहले 1.25 किलोग्राम नीम के पत्ते, 5 लीटर गोमूत्र, 0.06 किलोग्राम हरी मिर्च और 0.06 किलोग्राम लहसुन लेना होगा. इसके बाद गोमूत्र में इन भी चीजों को डालकर 3 से 4 बार अच्छे से उबालना है. उबालने के बाद इस मिश्रण को 48 घंटे के लिए ठंडा होने दें और ठंडा होने के बाद छान लें. बता दें कि, आपका प्राकृतिक जीवामृत तैयार हो गया है. इसे इस्तेमाल करते समय 2 से 3 फीसदी घोल को पानी में मिलाकर फसल पर छिड़के.

प्राकृतिक जीवामृत के फायदे

प्राकृतिक जीवामृत का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इनके इस्तेमाल से किसानों की केमिकल कीटनाशकों पर निर्भरता न के बराबर हो जाती है. जिससे न केवल फसल और पर्यावरण को फायदा पहुंचता है बल्कि आर्थिक रूप से किसानों की भी बचत होती है. प्राकृतिक जीवामृत के इस्तेमाल से मिट्टी की बनावट में सुधार आता है और मिट्टी को सही पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिलते हैं. फसलों की तेज ग्रोथ के साथ ही फल, फूल और बीजों की क्वालिटी में भी सुधार आता है.

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Published: 15 Aug, 2025 | 02:50 PM

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