बिहार के किसान 2 हजार एकड़ में जैविक खेती करेंगे, छूट पर बायोगैस प्लांट भी देगी सरकार

बिहार में प्राकृतिक खेती को अपनाने वाले किसानों को नियमित रूप से ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि वे आधुनिक जैविक तकनीकों को समझ सकें.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 5 Aug, 2025 | 01:08 PM

किसी भी फसल से बेहतर उत्पादन पाने के लिए बेहद जरूरी होता है सही मिट्टी का चुनाव करना और उसको जांच कर ये सुनिश्चित करना कि मिट्टी में वो सारे पोषक तत्व, वो उर्वरता है जो उत्पादन के लिए जरूरी है. आज मिट्टी की उरव्र क्षमता को बढ़ाने के लिए बाजार में कई तरह के केमिकल उर्वरक उपलब्ध हैं लेकिन इन उर्वरकों के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता कम होती जा रही है और फसलों को भी इससे नुकसान पहुंच रहा है. बिहार के किसानों ने मिट्टी की भूमिका को समझते हुए अब प्राकृतिक और जैविक खेती की तरफ अपना रुख कर लिया है. प्रदेश की खेती में यह बदलाव सारण जिले में तेजी से विस्तार पा रहा है. इसके लिए बिहार सरकार प्राकृतिक खेती योजना की मदद से किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित कर रही है.

2 हजार एकड़ में जैविक खेती का लक्ष्य

बिहार सरकार ने प्राकृतिक खेती योजना के तहत गंगा किनारे बसे जिलों में 2 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन पर जैविक खेती शुरू करने का लक्ष्य तय किया है. इन जिलों में सोनपुर, दिघवारा, रिविलगंज, मांझी और छपरा शामिल हैं. प्रदेश के किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से वित्तीय सहायता भी दी जा रही है. ताकि किसानों को खेती में आर्थिक समस्या का सामना न करना पड़े. किसानों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता के तहत पहले साल प्रति एकड़ खेती पर 11 हजार 500 रुपये,वहीं दूसरे और तीसरे साल 6 हजार 500 रुपये सब्सिडी के रूप में दिए जाएंगे. सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की ताकत वापस लाना और किसानों की आय बढ़ाना है.

बायो गैस प्लांट पर सब्सिडी दे रही सरकार

खेती पर सब्सिडी देने के साथ-साथ प्राकृतिक खेती योजना के तहत प्रदेश सरकार किसानों को वर्मी कंपोस्ट यूनिट और बायो गैस प्लांट लगाने पर भी सब्सिडी दे रही है. वर्मी कम्पोस्ट यूनिट लगाने पर किसानों को 5 हजार रुपये की सब्सिडी तो वहीं दो मीटर क्यूब के गोबर गैस प्लांट लगाने पर किसानों को 22 हजार 500 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है. सरकार के इस कदम से किसानों को बड़ी सहूलिय मिली है, किसानों को अब किसी भी तरह के केमिकल उर्वरकों पर खर्च नहीं करना होगा. वर्मी कंपोस्ट और बायो गैस प्लांट लगाने पर किसानों को अपनी जेब से कम खर्च देना होगा और बदले में उनके खेत की मिट्टी में सुधार आएगा और उन्हें फसल से बेहतर उत्पादन भी मिलेगा. यानी किसानों को कम लागत में ज्यादा फायदा होगा.

किसानों को बाजार तक पहुंचाने पर फोकस

बिहार कृषि विभाग द्वारा सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार, प्रदेश में प्राकृतिक खेती को अपनाने वाले किसानों को नियमित रूप से ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि वे आधुनिक जैविक तकनीकों को समझ सकें. इसके साथ ही, कृषि विभाग का फोकस सिर्फ उत्पादन पर नहीं, बल्कि बाजार तक किसानों की पहुंच सुनिश्चित करने पर भी है. जिसके लिए किसानों को किसान उत्पादक समूहों से जोड़ा जा रहा है और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए भी पहल की जा रही है. सरकार की इस पहल से अबतक 400 किसान जुड़ चुके हैं और ये संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.खेतों में जैविक खाद, जीवामृत और वर्मी कम्पोस्ट के इस्तेमाल से मिट्टी की बनावट में भी सुधार देखा जा रहा है .

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