Uttar Pradesh News: किसानों की आमदनी बढ़ाने और उन्हें नई और उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराने के लिए कृषि वैज्ञानिक हर दिन नए-नए शोध करते रहते हैं. इसी कड़ी में प्रदेश के सब्जी किसानों को सीधा फायदा पहुंचाने के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी के वैज्ञानिकों द्वारा सब्जियों की दो नई उन्नत किस्मों को जारी किया है. लोबिया ‘काशी निधि’ और भिंडी ‘काशी सहिष्णु’. इन दोनों किस्मों को तैयार करने के पीछे ज्यादा उत्पादन और रोगों के प्रति लड़ने की क्षमता को विकसित करना है. ताकि किसानों को इनकी खेती से ज्यादा पैदावार और आमदनी मिले.
लोबिया ‘काशी निधि’ की खासियत
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. राकेश दुबे ने बताया कि लोबिया की विकसित की गई नई किस्म ‘काशी निधि’ अन्य किस्मों के मुकाबले ज्यादा पैदावार देती है. उन्होंने बताया कि इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से करीब 140 से 150 हरी फलियां मिल सकती हैं. वहीं प्रति हेक्टेयर फसल से औसतन 12 से 15 क्विंटल बीजों का उत्पादन किया जा सकता है. इसकी एक खासियत ये भी है कि किसान इसकी खेती साल में 2 से 3 बार कर सकते हैं.साथ ही लोबिया की ये नई किस्म सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा और गोल्डन मोजेक वायरस जैसी आम बीमारियों ले सड़ने की क्षमता रखती है. इस कारण से इस किस्म की फसलों में कीटों या रोगों के संक्रमण का खतरा कम होता है.

लोबिया की नई किस्म ‘काशी निधि’
व्यावसायिक फसल है ‘काशी सहिष्णु’
IIVR के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कर्मकार ने बताया कि भिंडी की नई किस्म ‘काशी सहिष्णु’ एक व्यावसायिक फसल है. रोगों के प्रति सहनशील होने के कारण किसानों के लिए ये बेहद ही महत्वपूर्ण फसल साबित हो सकती है. उन्होंने बताया कि ये किस्म ज्यादा और बेहतर क्वालिटी की पैदावार के लिए जानी जाती है. जो किसान भिंडी की व्यावसायिक खेती करना चाहते हैं वे भिंडी की इन नई और उन्नत किस्म की खेती कर सकते हैं.

भिंडी कीा नई वैरायटी ‘काशी सहिष्णु’
अन्य राज्यों में होगी मार्केटिंग
संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी अबतक 34 सब्जी फसलों की 133 से ज्यादा किस्मों को विकसित कर चुका है. बता दें कि, विकसित की गई इन नई किस्मों की अन्य राज्य जैसे पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार आदि में मार्केटिंग भी की जाएगी. ताकि इन राज्यों के किसानों को भी इन उन्नत किस्मों की खेती का फायदा मिल सके. बता दें कि, इन दोनों किस्मों के लाइसेंसिंग समझौते भी करा दिए गए हैं ताकि, किसानों को न केवल बेहतर क्वालिटी के बीज आसानी से मिलेंगे बल्कि उच्च उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्मों तक उनकी पहुँच भी बढ़ेगी.