पपीते की खेती से किसानों और बागवानी का होगा विस्तार, योजना पर खर्च हो रहा मोटा फंड

कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि इस योजना के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में पपीते की खेती का रकबा बढ़ाने के साथ-साथ उत्पादन और उत्पादकता दोनों को बढ़ाना है. इसके साथ ही इस योजना की मदद से किसानों की आमदनी बढ़ाकर उन्हें बागवानी के लिए प्रोत्साहित करना है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 11 Sep, 2025 | 05:55 PM

Bihar News: बिहार में बागवानी क्षेत्र को विस्तार देने के लिए प्रदेश की एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के तहत पपीता विकास योजना को सरकार की तरफ से मंंजूरी दे दी गई है. इसकी घोषणा प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने की. बता दें कि, ये योजना दो साल की समय सीमा यानी वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2026-27 तक चलाई जाएगी. इस योजना का उद्देश्य प्रदेश में पपीते की खेती के रकबे को बढ़ा कर बागवानी क्षेत्र का विस्तार करना है. जिसके लिए प्रदेश सरकार किसानों को कुल लागत का 60 फीसदी खर्च अपने पास से देगी. सरकार की इस योजना से न केवल प्रदेश के कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी बल्कि किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी.

क्या है योजना का मुख्य उद्देश्य

प्रदेश के कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि इस योजना के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में पपीते की खेती का रकबा बढ़ाने के साथ-साथ उत्पादन और उत्पादकता दोनों को बढ़ाना है. इसके साथ ही इस योजना की मदद से किसानों की आमदनी बढ़ाकर उन्हें बागवानी के लिए प्रोत्साहित करना है. उन्होंने बताया कि इस योजना के लिए कुल 1 करोड़ 50 लाख 75 हजार रुपये की लागत तय की गई है. जो कि 2 सालों की अवधि यानी वित्तीय वर्ष 2025-26 से लेकर 2026-27 तक चलाई जाएगी.

केंद्र और राज्य दोनों का योगदान

बिहार कृषि विभाग द्वारा सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार, सरकार द्वारा शुरू की गई पपीता विकास योजना में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों का 40-40 फीसदी योगदान होगा. इसके साथ ही प्रदेश सरकार योजना के लिए 20 फीसदी एक्स्ट्रा टॉप-अप भी दिया जाएगा ताकि किसानों को योजना का और ज्यादा लाभ मिल सके. बता दें कि, योजना के तहत पपीते की खेती करने वाले किसानों को कुल खर्च का 60 फीसदी खर्च सरकार देगी. ध्यान देने वाली बात ये है कि सब्सिडी का ये पैसा दो साल में दिए जाएंगे. कृषि मंत्री ने बताया कि इस तरह किसानों पर आर्थिक बोझ कम होगा और वे पपीता खेती में निवेश करने के लिए ज्यादा उत्साहित होंगे.

22 जिलों में 335 हेक्टेयर में खेती

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत पपीते के बाग का क्षेत्र विस्तार करने के लिए बिहार कृषि विभाग ने प्रदेश के 22 जिलों में 335 हेक्टेयर जमीन पर पपीते की खेती कराने का लक्ष्य तय किया है. बता दें कि, सरकार की इस योजना के पीछे मुख्य उद्देश्य न केवल पपीते की खेती का विस्तार करना है बल्कि उत्पादन में बढ़ोतरी कर किसानों की आमदनी को बढ़ाना भी है. इन 22 जिलों में भोजपुर, बक्सर, गोपालगंज, जहानाबाद, लखीसराय, मधेपुरा, बेगूसराय, भागलपुर, दरभंगा, गया, कटिहार, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पश्चिम चम्पारण, पटना, पूर्वी चम्पारण, पूर्णियाँ, सहरसा, समस्तीपर, मधुबनी और वैशाली शामिल हैं.

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Published: 11 Sep, 2025 | 05:55 PM

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