रबी सीजन की बुवाई में हो गई देरी? चिंता छोड़ें, दिसंबर में ये गेहूं किस्में दिलाएंगी बढ़िया पैदावार

Rabi Wheat Late Varieties: दिसंबर में गेहूं की बुवाई को लेकर किसान अक्सर चिंतित रहते हैं, लेकिन सही किस्म और सही तरीके से पछेती बुवाई भी फायदेमंद हो सकती है. कुछ उन्नत किस्में कम समय में तैयार होकर अच्छा उत्पादन देती हैं. सही बीज, संतुलित आहार और देखभाल से किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 22 Dec, 2025 | 01:58 PM
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Wheat Cultivation : दिसंबर का महीना आते ही कई किसानों को यह चिंता सताने लगती है कि अब गेहूं की बुवाई देर हो गई है. खासकर गन्ने की कटाई के बाद खेत खाली होने पर समय कम बचता है. लेकिन राहत की बात यह है कि गेहूं की कुछ उन्नत किस्में ऐसी हैं, जो दिसंबर में पछेती बुवाई के बाद भी अच्छा उत्पादन देती हैं. सही किस्म का चुनाव और थोड़ी समझदारी से किसान मार्च तक बेहतर पैदावार और मुनाफा हासिल कर सकते हैं. पछेती बुवाई में भी गेहूं की खेती फायदेमंद साबित हो सकती है.

पछेती बुवाई में क्यों जरूरी है सही किस्म

दिसंबर में तापमान कम होने लगता है और गेहूं के पौधों  को बढ़ने के लिए समय सीमित मिलता है. ऐसे में सामान्य किस्में  अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पातीं. पछेती बुवाई के लिए खास तौर पर विकसित किस्में कम समय में बढ़वार पूरी कर लेती हैं और दाना भरने की क्षमता बनाए रखती हैं. यही वजह है कि देर से बुवाई करने वाले किसानों को सही किस्म का चयन करना बेहद जरूरी माना जाता है.

दिसंबर में बुवाई के लिए उपयुक्त गेहूं की किस्में

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पछेती बुवाई  के लिए तीन किस्में सबसे ज्यादा भरोसेमंद मानी जाती हैं. डीबीडब्ल्यू 316 किस्म अच्छी देखभाल में 68 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देने की क्षमता रखती है. वहीं एचडी 3298 किस्म की बुवाई दिसंबर से जनवरी तक की जा सकती है, जिससे 40 से 47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन संभव है. इसके अलावा बीबीडब्ल्यू 757 किस्म भी पछेती बुवाई में अच्छा प्रदर्शन करती है और 36 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज दे सकती है.

बीज की मात्रा और बुवाई का सही तरीका

पछेती बुवाई में खेत में पौधों की संख्या संतुलित रखना बहुत जरूरी होता है. इसके लिए बीज की मात्रा सामान्य से करीब 25 प्रतिशत अधिक रखने की सलाह दी जाती है. इससे खेत में पौधे पर्याप्त संख्या में उगते हैं और उत्पादन पर सकारात्मक असर पड़ता है. बुवाई के समय खेत  की अच्छी तैयारी, सही नमी और कतारों में बीज डालने से गेहूं की बढ़वार बेहतर होती है.

कम लागत में ज्यादा मुनाफे का मौका

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसान प्रमाणित गेहूं बीजों  की खरीद पर सरकारी अनुदान का भी लाभ ले सकते हैं, जिससे खेती की लागत कम हो जाती है. सही किस्म, सही बीज दर और समय पर सिंचाई  व खाद प्रबंधन से पछेती गेहूं की खेती भी मुनाफे का सौदा बन सकती है. दिसंबर में बुवाई करने वाले किसानों के लिए यह एक अच्छा मौका है कि वे खाली पड़े खेतों से भी बेहतर आमदनी निकाल सकें.

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