भारत की 5 सुपर भैंस नस्लें जो किसानों को बना रही हैं लखपति, जानिए कौन सी भैंस है सबसे खास

भारत में भैंस पालन किसानों के लिए मुनाफे का बढ़िया जरिया बन गया है. सही नस्ल और देखभाल से हर महीने अच्छी आमदनी संभव है. मुर्रा, सुरती, मेहसाणा जैसी नस्लें दूध उत्पादन में बेहतरीन साबित हो रही हैं और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 8 Nov, 2025 | 10:45 AM
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Buffalo Breeds : अगर आप खेती के साथ कोई ऐसा काम शुरू करना चाहते हैं जिससे हर महीने अच्छी कमाई हो, तो भैंस पालन आपके लिए एक सुनहरा मौका है. भारत में कई ऐसी नस्लें हैं जो कम खर्च में ज्यादा दूध देती हैं. सही नस्ल चुनकर और थोड़ी देखभाल से किसान हर महीने हजारों रुपये कमा सकते हैं. आइए जानते हैं देश की 5 बेहतरीन भैंस नस्लें जो आज किसानों को मालामाल बना रही हैं.

मुर्रा भैंस काला सोना जो देता है खूब सारा दूध

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुर्रा भैंस  को भारत की सबसे लोकप्रिय और भरोसेमंद नस्ल माना जाता है. इसका रंग गहरा काला और शरीर मजबूत होता है. इसे प्यार से काला सोना भी कहा जाता है, क्योंकि यह दूध के रूप में सोना उगलती है. यह हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा पाई जाती है. मुर्रा भैंस की खासियत है कि यह हर मौसम में आसानी से जी सकती है. मुर्रा भैंस रोजाना 15 से 18 लीटर दूध देती है, जबकि कुछ भैंसें 20 लीटर से ज्यादा भी दे सकती हैं. इसका दूध गाढ़ा और स्वादिष्ट होता है. जो किसान डेयरी बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए मुर्रा भैंस सबसे फायदेमंद विकल्प है.

सुरती भैंसकम जगह में ज्यादा वसा वाला दूध

सुरती भैंस  गुजरात के खेड़ा और बड़ौदा जिलों में पाई जाती है. इसका रंग हल्के भूरे से सिल्वर ग्रे तक होता है. यह आकार में मध्यम और देखने में बहुत सुंदर होती है. इसकी सींगें दराती की तरह मुड़ी होती हैं, जो इसे बाकी नस्लों से अलग पहचान देती हैं. सुरती भैंस 900 से 1300 लीटर दूध प्रति ब्यात देती है और दूध में 8 से 12 प्रतिशत तक वसा होती है. इसका दूध घी और पनीर बनाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. छोटे किसान जो कम जगह में डेयरी शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए यह नस्ल बेहतरीन है.

जाफराबादी भैंसभारी शरीर और जबरदस्त उत्पादन क्षमता

जाफराबादी भैंस  को भारत की सबसे मजबूत और भारी नस्ल माना जाता है. यह मूल रूप से गुजरात के गिर जंगल क्षेत्र में पाई जाती है, लेकिन अब कच्छ और जामनगर में भी इसका पालन होता है. इसका सिर बड़ा, सींग चौड़े और शरीर लंबा-चौड़ा होता है. यह भैंस 1000 से 1200 लीटर दूध प्रति ब्यात देती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह गर्म इलाकों में भी आराम से रह सकती है और उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ता. इसलिए दक्षिण भारत और रेगिस्तानी इलाकों के किसान भी इसे पालना पसंद करते हैं.

मेहसाणा भैंससूखे इलाकों की भरोसेमंद साथी

मेहसाणा नस्ल की भैंस गुजरात और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों में पाई जाती है. इसका शरीर मुर्रा जैसा होता है, लेकिन थोड़ा हल्का. यह नस्ल सूखे और रेगिस्तानी क्षेत्रों में भी आसानी से जी सकती है. मेहसाणा भैंस 1200 से 1500 लीटर दूध प्रति ब्यात देती है और इसका दूध स्वादिष्ट  होता है. इसका रंग काला या काले-भूरे मिश्रण वाला होता है. यह नस्ल राजस्थान, गुजरात या उन इलाकों के लिए बिल्कुल सही है जहां पानी और चारे की कमी रहती है.

बन्नी भैंसखुद चारा ढूंढने वाली समझदार नस्ल

बन्नी भैंस गुजरात के कच्छ क्षेत्र में पाई जाती है और इसे कुंडी भैंस भी कहा जाता है. यह बेहद समझदार और मेहनती नस्ल है. बन्नी भैंस खुद चरने के लिए दूर तक जा सकती है, जिससे किसानों को चारे  की चिंता कम करनी पड़ती है. यह नस्ल 1100 से 1800 लीटर दूध प्रति ब्यात देती है. इसका रंग गहरा काला होता है और सींग अंदर की ओर मुड़ी रहती हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह गर्मी और सर्दी दोनों ही मौसम को आसानी से झेल सकती है. यह खुले चरागाह वाले इलाकों में सबसे उपयुक्त भैंस मानी जाती है.

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