Artificial Insemination : गांवों में अक्सर लोग कहते हैं कि पशु बोलते नहीं, पर उनकी तकलीफ हाव-भाव और व्यवहार से समझ आ जाती है. यह बात बिल्कुल सही है, खासकर तब जब किसान अपने पशुओं में गर्भ ठहरवाने का प्रयास कर रहा हो. आजकल गांव-गांव में कृत्रिम गर्भाधान (AI) की सुविधा पहुंच चुकी है, लेकिन सही जानकारी न होने के कारण बहुत से पशुपालक इसका पूरा फायदा नहीं उठा पाते. अगर यह प्रक्रिया सही तरीके से की जाए तो दूध भी बढ़ता है, नस्ल भी सुधरती है और मुनाफा भी कई गुना हो जाता है.
कृत्रिम गर्भाधान आखिर होता क्या है?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कई किसान आज भी सोचते हैं कि कृत्रिम गर्भाधान एक मुश्किल या महंगी तकनीक है, जबकि हकीकत इससे उलट है. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें नर पशु का वीर्य सुरक्षित तरीके से मादा पशु के गर्भाशय में डाला जाता है. इससे मादा पशु आसानी से गर्भवती हो जाती है और किसान को अच्छे नस्ल का बच्चा मिलता है. इस तकनीक की खासियत यह है कि किसान को अपने घर में नर पशु रखने की भी जरूरत नहीं पड़ती. वही स्पर्म , जो देश-विदेश के महंगे और बेहतरीन पशुओं से लिया जाता है, गांव में बैठकर किसान इस्तेमाल कर सकता है. इस वजह से लोग आजकल प्राकृतिक गर्भाधान की जगह AI को ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
किसानों को इससे क्या-क्या फायदा मिलता है?
AI तकनीक ने किसानों की जेब और मेहनत दोनों बचाई है. पहले हर किसान को प्रजनन के लिए नर पशु पालना पड़ता था, जिससे चारा, दाना और देखभाल का खर्च काफी बढ़ जाता था. अब AI की मदद से एक ही वीर्य से कई मादा पशुओं को गर्भवती किया जा सकता है. इससे मादा की संख्या बढ़ती है और दूध उत्पादन में तेजी आती है.
इसके अलावा एक और बड़ा फायदा यह है कि कई बार मादा पशु प्राकृतिक तरीके से गर्भ नहीं ठहरा पाती, खासकर अगर वह कमजोर या अपाहिज हो. AI से ऐसे पशुओं में भी गर्भ आसानी से ठहर जाता है. इतना ही नहीं, कई बूढ़े या मर चुके नर पशुओं के संचित वीर्य का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे अच्छी नस्ल पीढ़ियों तक चलती रहती है. और सबसे महत्वपूर्ण बात-इस तरीके में रोग फैलने का खतरा बहुत कम रहता है.
नुकसान भी हैं, अगर जानकारी न हो तो दिक्कतें बढ़ जाती हैं
कृत्रिम गर्भाधान जितना फायदेमंद है, उतना ही संवेदनशील भी है. इसका सबसे बड़ा नुकसान तब होता है जब इसे किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा करवाया जाए जिसे सही प्रशिक्षण न हो. गलत तरीके से किया गया AI मादा पशु को नुकसान पहुंचा सकता है. दूसरी बात, AI पूरी तरह सही समय पर निर्भर करता है. अगर मादा पशु मदकाल में न हो, तो कितना भी अच्छा स्पर्म इस्तेमाल कर लें-गर्भ नहीं ठहरेगा. कई बार किसान जल्दीबाजी या अनजानगी में गलत समय पर गर्भाधान करवा देते हैं, जिससे परिणाम नहीं मिलता. खतरा तब भी बढ़ जाता है जब उपकरण साफ न हों या मादा पशु में पहले से गर्भाशय का संक्रमण हो. इसलिए किसान को पहले जांच, फिर AI पर भरोसा करना चाहिए.
कृत्रिम गर्भाधान से पहले किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?
AI का सही नतीजा तभी मिलता है जब किसान कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखे. सबसे पहले-मादा पशु को मदकाल में पहचानना जरूरी है. इस समय मादा ज्यादा सक्रिय हो जाती है, आवाजें करती है, उसकी योनि से चिपचिपा पदार्थ निकलता है और वह दूसरे पशुओं पर चढ़ने जैसा व्यवहार करती है. यही समय AI के लिए सबसे सही माना जाता है. गर्भाधान के समय पशु को डराना, मारना या ज्यादा चलाना नहीं चाहिए. शांत माहौल, पौष्टिक आहार और साफ पानी बहुत जरूरी है. गर्भाधान के बाद भी पशु को आराम दिया जाए, और बेहतर होगा कि पशु चिकित्सक से पहले जांच करवा ली जाए ताकि किसी छिपे संक्रमण का पता चल सके. सरकारी केंद्रों पर AI की सुविधा कम खर्च में मिल जाती है, इसलिए किसान भाई-बहन वहां से सही जानकारी लेकर यह प्रक्रिया करवाएं.