मुख्यमंत्री दुधारू पशु योजना शुरू, भैंस-गाय खरीदने पर 90 फीसदी रकम दे रही सरकार

मध्यप्रदेश सरकार दुग्ध उत्पादन बढ़ाने, किसानों की आय दोगुनी करने और पशुपालन को बढ़ावा देने हेतु कई योजनाएं चला रही है. इनमें दुधारू पशु अनुदान, नस्ल सुधार, डेयरी नेटवर्क विस्तार और गो-शालाओं का विकास प्रमुख हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 22 Aug, 2025 | 03:12 PM

किसानों की आय को दोगुना करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ी पहल करते हुए मुख्यमंत्री दुधारू पशु योजना सहित कई योजनाओं की शुरुआत की है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को मिशन मोड में बढ़ाने का अभियान तेज़ हो गया है. सरकार का लक्ष्य वर्ष 2028 तक मध्यप्रदेश को देश की ‘मिल्क कैपिटल’ बनाना है. इसके लिए जहां किसानों को दुधारू पशुओं पर भारी अनुदान दिया जा रहा है, वहीं गो-संवर्धन, दुग्ध प्रसंस्करण, विपणन और नस्ल सुधार पर भी ज़ोर दिया जा रहा है.

दुधारू पशु पर 90 फीसदी तक अनुदान

सरकार द्वारा मुख्यमंत्री दुधारू पशु योजना के अंतर्गत बैगा, सहरिया और भारिया जैसी अति पिछड़ी जनजातियों के पशुपालकों को 90 फीसदी अनुदान पर दो मुर्रा भैंस या गाय दी जा रही हैं. इस योजना में पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाने और दुग्ध व्यवसाय से जोड़ने का उद्देश्य है. पिछले वर्ष 660 लाभार्थियों के लक्ष्य के विरुद्ध 639 को लाभ मिला, वहीं इस वर्ष 483 को पशु दिए जाने का लक्ष्य है.

कामधेनु योजना से डेयरी को मिलेगा नया आयाम

डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के अंतर्गत 25 दुधारू पशुओं की इकाई (गाय, संकर गाय, भैंस) दी जाएगी, जिसकी अनुमानित लागत 36 से 42 लाख रुपये होगी. अनुसूचित जाति एवं जनजाति को 33 फीसदी अनुदान और अन्य वर्गों को 25 प्रतिशत अनुदान मिलेगा. यह योजना डेयरी व्यवसाय को व्यावसायिक स्तर पर आगे बढ़ाने के लिए शुरू की गई है.

दूध की खरीदी में नया बदलाव

प्रदेश सरकार ने अब सिर्फ भैंस ही नहीं, गाय के दूध की भी खरीदी करने का निर्णय लिया है. गाय के दूध की खरीदी दर बढ़ाई जाएगी, जिससे पशुपालकों को अधिक लाभ मिल सके. इसके साथ ही ‘सांची ब्रांड’ को लोकप्रिय बनाने और दुग्ध उत्पादों की राष्ट्रीय ब्रांडिंग के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) से करार किया गया है.

गोशालाओं के लिए बड़ा बजट

मध्यप्रदेश में स्वावलंबी गो-शालाओं की स्थापना नीति 2025 लागू की गई है, जिसके अंतर्गत नगर निगम क्षेत्रों में 5,000 से अधिक गोवंश के लिए वृहद गोशालाओं का निर्माण किया जा रहा है. अब तक 28 स्थानों पर भूमि चिन्हित की गई है और 8 स्वयंसेवी संस्थाओं को भूमि आवंटित भी की जा चुकी है. 5,000 से अधिक गोवंश रखने वाली गोशालाओं को 130 एकड़ तक भूमि देने का प्रावधान है. गोशालाओं के संचालन हेतु चारा-भूसा अनुदान योजना के तहत इस वर्ष 133.35 करोड़ रुपए और पिछले वर्ष 270.40 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई थी.

26 हजार गांवों तक पहुंचेगा दूध

मध्यप्रदेश सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक प्रदेश के 26,000 गांवों में डेयरी नेटवर्क का विस्तार करना है, जिससे प्रतिदिन 52 लाख किलोग्राम दूध का संकलन संभव हो सकेगा. इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अत्याधुनिक दुग्ध प्रसंस्करण केंद्रों की स्थापना के साथ-साथ दुग्ध उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है. दुग्ध उत्पादन को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रत्येक जनपद में एक वृंदावन ग्राम विकसित किया जा रहा है, जो न केवल ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देगा, बल्कि प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करेगा.

नस्ल सुधार और कृत्रिम गर्भाधान पर विशेष ध्यान

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत मध्यप्रदेश में 1500 मैत्री केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिनके लिए केंद्र सरकार ने 12.15 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है. इन केंद्रों के माध्यम से गोवंश की नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा दिया जा रहा है. साथ ही, वेटनरी क्षेत्र में प्रशिक्षण, आधुनिक सुविधाएं और अधोसंरचना के विकास में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) की विशेषज्ञता का पूर्ण रूप से लाभ लिया जा रहा है.

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