गाय-भैंस का दूध घट रहा है तो अपनाएं ये घरेलू तरीके, बढ़ जाएगी दूध की मात्रा

बरसात में गाय-भैंस का दूध कम होना सामान्य समस्या है, जिसका कारण होता है गीला या खराब चारा, संक्रमण और गलत देखभाल। सही आहार, सफाई और सावधानी बरतने से दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है और पशु स्वस्थ रह सकते हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 7 Aug, 2025 | 02:12 PM

बरसात का मौसम जहां किसानों के लिए राहत लेकर आता है, वहीं दुधारू पशुपालकों के लिए ये चिंता का कारण भी बन जाता है. अक्सर आपने देखा होगा कि इस मौसम में गाय और भैंस का दूध कम हो जाता है, पशु सुस्त हो जाते हैं, और कभी-कभी बीमार भी पड़ जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है- आखिर ऐसा क्यों होता है? और इसका इलाज क्या है?

अगर आप भी इसी परेशानी से जूझ रहे हैं तो अब घबराने की जरूरत नहीं है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि बरसात में दूध कम क्यों होता है, किन गलतियों से बचना चाहिए और क्या खिलाने से दूध बढ़ सकता है.

बरसात में दूध क्यों घटता है?

बरसात में दूध घटने का सबसे बड़ा कारण होता है पशुओं को गीला या सड़ा हुआ चारा देना. जब चारे में नमी या सड़न आ जाती है, तो वह पशुओं के पेट में जाकर संक्रमण पैदा कर सकता है. इससे उनकी भूख कम हो जाती है और दूध उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है. कई बार चारा रखने की जगह पर पानी टपकने लगता है या जमीन से नमी आ जाती है, जिससे चारा खराब हो जाता है और बिना जाने ही पशुपालक वही चारा दे देते हैं. इसके अलावा, अगर पशु बारिश में भीगते रहते हैं या कीचड़ वाली जगह पर बंधे होते हैं, तो उन्हें सर्दी, खुरपका-मुंहपका जैसी बीमारियां हो सकती हैं.

देखभाल में लापरवाही पड़ सकती है भारी

पशु की साफ-सफाई बरसात में बहुत जरूरी हो जाती है. दूध निकालने से पहले थनों को हल्के गुनगुने पानी से धोना चाहिए ताकि संक्रमण से बचाव हो सके. अगर थन में सूजन या कोई जख्म दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें. इसके अलावा, पशुओं के पैर कीचड़ से भरे हों या उनमें चोट हो, तो वह चलने-फिरने में तकलीफ महसूस करेंगे, जिससे उनका खानपान और दूध उत्पादन प्रभावित होता है. इसलिए पशु शेड को साफ, सूखा और फिसलन-मुक्त रखना बेहद जरूरी है.

बरसात में क्या खिलाएं ताकि दूध बढ़े?

बरसात के मौसम में दूध बढ़ाने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार देना सबसे जरूरी है. नीचे कुछ आहार दिए गए हैं जो बरसात में बेहद फायदेमंद होते हैं.

  • लोबिया घास: इसमें प्रोटीन और फाइबर भरपूर होता है, जो दूध बढ़ाने में मदद करता है.
  • गेहूं का आटा और सरसों का तेल: थोड़ा सा आटा और कुछ बूंदें सरसों के तेल की मिलाकर देने से पाचन सही रहता है और दूध की मात्रा बढ़ती है.
  • मिनरल मिक्सचर और विटामिन सप्लीमेंट: शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह जरूरी है.
  • नमक चाटने वाला पत्थर: यह कैल्शियम और अन्य जरूरी खनिजों का अच्छा स्रोत होता है.
  • इसके साथ ही, चारा हमेशा सूखी और हवादार जगह पर रखें ताकि उसमें नमी न आ पाए.

बरसात में पशुपालक क्या सावधानियां बरतें?

  • पशुओं को खुले में बारिश में न भीगने दें.
  • शेड की छत और फर्श को जांचें, कहीं से पानी न टपक रहा हो.
  • गर्मी और नमी के कारण मक्खी-मच्छर बढ़ते हैं, जिससे बीमारियां फैलती हैं- समय-समय पर छिड़काव करें.
  • दूध निकालने वाले बर्तनों को साफ-सुथरा रखें.
  • हर 15 दिन में पशु चिकित्सक से चेकअप कराना फायदेमंद रहेगा.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

आम धारणा के अनुसार अमरूद की उत्पत्ति कहां हुई?

Side Banner

आम धारणा के अनुसार अमरूद की उत्पत्ति कहां हुई?