देशी नस्ल की कांकरेज गाय बनी किसानों की पहली पसंद, हर दिन देती है बाल्टी भरकर दूध

कांकरेज गाय किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. कम खर्च में ज्यादा दूध देती है और खेती के काम में भी उपयोगी होती है. मजबूत नस्ल होने के कारण इसे बीमारी भी कम लगती है, इसलिए लंबे समय तक फायदा देती है.

Kisan India
नोएडा | Published: 20 Oct, 2025 | 08:07 PM

Kankrej Cow : गांवों में आज भी माना जाता है कि गाय घर में हो तो बरकत खुद चलकर आती है. पहले लोग सिर्फ पारंपरिक गायों को पालते थे, लेकिन अब किसान ऐसी नस्लों की तलाश करते हैं जो कम खर्च में ज्यादा दूध दें और साथ ही खेतीबाड़ी में भी काम आएं. ऐसी ही एक खास नस्ल हैकांकरेज गाय, जिसे राजस्थान और गुजरात का दूध का खजाना भी कहा जाता है.

कहां पाई जाती है ये खास नस्ल?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कांकरेज गाय मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान के सूखे इलाकों में पाई जाती है. वहां के लोग इसे अलगअलग नामों से जानते हैंवागड़, नागर, तलबाडा और बोनाई. खास बात यह है कि ये गाय गर्मी, धूप और कठिन मौसम में भी आसानी से जी लेती है. इसलिए इसे देसी नस्लों की सबसे ताकतवर गायों में से एक माना जाता है.

दूध उत्पादन में जबरदस्त

कांकरेज नस्ल की सबसे बड़ी पहचान है इसका दूध. यह गाय रोजाना 10 से 15 लीटर तक दूध देती है, जो एक छोटे किसान  के लिए बहुत बड़ी बात है. आंकड़ों के अनुसार, एक महीने में यह औसतन 1700 लीटर तक दूध दे देती है. इसके दूध में 2.9 फीसदी से 4.2 प्रतिशत तक वसा (फैट) पाया जाता है, जो गाढ़ा, स्वादिष्ट और दवाई जैसा गुणकारी होता है.

सिर्फ दूध ही नहीं, खेती में भी देती है योगदान

कांकरेज के बैल भी बेहद ताकतवर होते हैं. इन्हें किसान हल चलाने, गाड़ी खींचने और परिवहन के कामों में इस्तेमाल करते हैं. यानी यह गाय सिर्फ दूध ही नहीं देती, बल्कि खेती के लिए मजदूर की कमी भी पूरा करती है.

कीमत कितनी है बाजार में?

किसान अक्सर सोचते हैं कि अच्छी नस्ल  की गाय बहुत महंगी होगी, लेकिन कांकरेज गाय की कीमत 25 हजार रुपये से शुरू होकर 75 हजार रुपये तक होती है. कुछ राज्यों में यह 1 लाख तक भी बिकती है, लेकिन इसकी कमाई देखते हुए किसान इसे फायदे का सौदा मानते हैं.

देखभाल कैसे करें? बस ये बात रखें ध्यान

कांकरेज गाय  की अच्छी देखभाल करने से किसान को लंबे समय तक फायदा मिलता है. खासकर गर्भावस्था के समय इनका ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. समय-समय पर टीकाकरण कराने से गाय बीमारियों से बची रहती है. खाने में हमेशा पर्याप्त चारा, साफ पानी और सरसों की खली देना चाहिए, जिससे दूध उत्पादन बेहतर बना रहे. गर्मी में इन्हें खुली हवा वाली जगह में रखें, जबकि सर्दी के मौसम में बिछावन या सूखे घास की परत बिछाकर आरामदायक स्थान देना चाहिए. अगर इन साधारण नियमों का पालन किया जाए तो कांकरेज गाय 8 से 10 साल तक लगातार दूध देकर किसान की आमदनी बढ़ा सकती है

क्यों बनेगी किसानों के लिए फायदेमंद?

कांकरेज गाय किसानों के लिए एक लाभकारी निवेश साबित हो सकती है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि कम खर्च में रोजाना 10 से 15 लीटर तक दूध मिल जाता है. सिर्फ इतना ही नहीं, इसके बैल खेतों में हल चलाने और गाड़ी खींचने के काम भी आते हैं. यह नस्ल मजबूत होती है, इसलिए इन्हें सामान्यत- बीमारियां कम लगती हैं. साथ ही, देसी नस्ल होने की वजह से कई सरकारी योजनाओं  के तहत सब्सिडी और अनुदान भी आसानी से मिल सकता है.

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Published: 20 Oct, 2025 | 08:07 PM

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