Poultry Farming : किसानों के लिए अब खेती ही नहीं, बल्कि खेती से जुड़ा कारोबार भी एक बड़ा अवसर बनता जा रहा है. खासकर मुर्गी पालन यानी पोल्ट्री फार्मिंग ने किसानों की किस्मत बदल दी है. लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) से लेकर बिहार और झारखंड तक, किसान अब पारंपरिक खेती के साथ मुर्गी पालन को जोड़कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. कम लागत, जल्दी मुनाफा और सरकारी सहायता ने इस व्यवसाय को गांव-गांव तक पहुंचा दिया है. किसान अब सिर्फ फसल पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि मुर्गी पालन के जरिए आत्मनिर्भर बन रहे हैं और रोजगार के नए रास्ते खोल रहे हैं.
खेती के साथ मुर्गी पालन से किसानों की बढ़ रही कमाई
पहले किसान सिर्फ धान, गेहूं या सब्जियां उगाकर अपनी आजीविका चलाते थे, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. आज के समय में किसान खेती के साथ मुर्गी पालन अपनाकर दोगुनी कमाई कर रहे हैं. यह व्यवसाय खासकर उन किसानों के लिए फायदेमंद है जिनके पास सीमित जमीन है. मुर्गी पालन के लिए बहुत बड़े खेत की जरूरत नहीं होती, बल्कि थोड़ा-सा शेड और सही देखभाल से भी काम शुरू किया जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार किसान
संदीप कुमार बताते हैं कि मैं पिछले तीन साल से मुर्गी पालन कर रहा हूं. मेरे पास करीब 2000 मुर्गियां हैं जो 42 दिन में बिकने लायक हो जाती हैं. हर चक्र में मुझे अच्छा मुनाफा मिल जाता है.
सिर्फ 42 दिन में तैयार होता है मुनाफे का बिजनेस
मुर्गी पालन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें मुनाफा ज्यादा समय नहीं लेता.
सिर्फ 42 दिन में ब्रॉयलर मुर्गियां दो किलो तक वजन की हो जाती हैं, जो तुरंत बाजार में बिक जाती हैं. एक बार में मुर्गियों का बैच बेचने के बाद किसान तुरंत अगला बैच तैयार कर सकता है, यानी पूरे साल आमदनी का सिलसिला चलता रहता है. किसान बताते हैं कि अगर सही तरीके से मुर्गियों को खाना, पानी और तापमान दिया जाए तो हर 42 दिन में एक नया मुनाफे का चक्र शुरू हो सकता है. यानी थोड़े से निवेश में किसान महीने-दर-महीने 50 हजार से 2 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं.
सरकार भी दे रही मदद और योजनाओं का लाभ
- मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों तरफ से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission) के तहत किसानों को मुर्गी पालन इकाइयों की स्थापना में अनुदान दिया जा रहा है.
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) से किसान पानी और ऊर्जा से जुड़ी सुविधाएं ले सकते हैं.
- कृषि विभाग की ट्रेनिंग वर्कशॉप्स में किसानों को मुर्गी पालन से जुड़ी आधुनिक तकनीकें सिखाई जा रही हैं.
- सरकार का उद्देश्य है कि हर किसान आत्मनिर्भर बने और अपनी आमदनी के नए स्रोत तैयार करे.
युवाओं में बढ़ रहा है पोल्ट्री फार्मिंग का ट्रेंड
आज के समय में केवल अनुभवी किसान ही नहीं, बल्कि युवा भी मुर्गी पालन की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. कई युवा जो पहले नौकरी की तलाश में थे, अब स्टार्टअप मॉडल में पोल्ट्री फार्मिंग को अपना रहे हैं. कम लागत और जल्दी रिटर्न के कारण यह बिजनेस युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो गया है. कई युवाओं ने गांव में ही छोटे स्तर पर मुर्गी पालन शुरू किया और अब वे दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं. यह न सिर्फ उनकी आमदनी का साधन बना बल्कि गांवों में रोजगार का नया जरिया भी साबित हुआ है.
अंडे और मांस दोनों से होती है अच्छी कमाई
मुर्गी पालन का फायदा सिर्फ मांस तक सीमित नहीं है, बल्कि अंडे की बिक्री से भी अच्छी आमदनी होती है. भारत में प्रोटीन युक्त आहार की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे अंडों की खपत में तेजी आई है. कई किसान देशी मुर्गी पालन पर जोर दे रहे हैं क्योंकि इसके अंडे और मांस दोनों ही बाजार में महंगे बिकते हैं. एक देशी मुर्गी साल में करीब 150 से 180 अंडे देती है, जिससे किसानों को नियमित आमदनी होती है. इस तरह खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन किसानों की आर्थिक रीढ़ बनता जा रहा है.
गांवों में आत्मनिर्भरता और रोजगार की नई दिशा
मुर्गी पालन ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंक दी है. आज कई गांवों में किसान और महिलाएं मिलकर छोटे-छोटे पोल्ट्री फार्म चला रही हैं. इससे न केवल उनकी आय बढ़ी है बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बने हैं.कई महिलाओं ने सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स (SHGs) बनाकर मुर्गी पालन शुरू किया और अब वे दूसरों को भी ट्रेनिंग दे रही हैं. यह मॉडल गांवों में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम बन गया है.
कम लागत और ज्यादा मुनाफे से बदल रही किसानों की किस्मत
अगर देखा जाए तो मुर्गी पालन में लागत बहुत कम लगती है. एक छोटा शेड, चारा, पानी और बिजली की व्यवस्था के साथ किसान यह काम शुरू कर सकता है. सबसे अच्छी बात यह है कि मुर्गियों की बिक्री सालभर होती रहती है, इसलिए आमदनी रुकती नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान सही प्रशिक्षण लें और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं, तो यह व्यवसाय खेती जितना ही स्थायी और फायदेमंद साबित हो सकता है.