Bihar News: बिहार के ग्रामीण इलाकों में मुर्गी पालन एक अहम आय का स्रोत बन चुका है, लेकिन अगर सावधानी न बरती जाए तो मुर्गियों में फैलने वाले बैक्टीरियल रोग बड़ा नुकसान कर सकते हैं. हाल ही में पशुपालन निदेशालय, बिहार सरकार की ओर से मुर्गियों में पाए जाने वाले दो प्रमुख रोग– फाउल टायफाइड और पुलोरम को लेकर जानकारी दी गई है. इन बीमारियों की समय पर पहचान और इलाज से न केवल मुर्गियों की जान बचाई जा सकती है, बल्कि किसानों का आर्थिक नुकसान भी रोका जा सकता है.
क्या है फाउल टायफाइड?
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फाउल टायफाइड मुर्गियों में पाया जाने वाला एक बैक्टीरियल रोग है जो खासकर वयस्क मुर्गियों को प्रभावित करता है. यह बीमारी Salmonella Gallinarum नामक बैक्टीरिया से होती है. जब फार्म की सफाई व्यवस्था ठीक नहीं होती या चूहे-मच्छर जैसे जीव फार्म में घूमते हैं, तब इस बीमारी के फैलने की संभावना बढ़ जाती है.
फाउल टायफाइड के लक्षण- कैसे पहचानें बीमारी?
फाउल टायफाइड होने पर मुर्गियों में सबसे पहले सुस्ती दिखने लगती है. वे ज्यादा नहीं चलतीं और एक कोने में बैठी रहती हैं. खाना पीना कम कर देती हैं और अंडे देना भी घट जाता है. कई बार इनका पाचन तंत्र भी प्रभावित हो जाता है जिससे इनके मल में बदलाव दिखता है.
फाउल टायफाइड का इलाज क्या है?
इस बीमारी के इलाज के लिए दवाइयों की जरूरत होती है. पशु चिकित्सकों के अनुसार, Ciprofloxacin या Enrofloxacin जैसी ऐंटीबायोटिक दवाएं दी जा सकती हैं, लेकिन ध्यान रहे कि दवा हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही दी जानी चाहिए. खुद से इलाज करना मुर्गियों की सेहत को और बिगाड़ सकता है.
कैसे रोकें फाउल टायफाइड को?
रोकथाम ही सबसे अच्छा इलाज है. इसके लिए मुर्गी फार्म की साफ-सफाई बेहद जरूरी है. चूहे और मच्छरों को फार्म से दूर रखें. खाने–पीने के बर्तन रोज धोएं और साफ पानी ही पिलाएं. मुर्गियों की संख्या अगर ज्यादा है, तो नियमित रूप से उनकी जांच करवाएं ताकि समय पर बीमारी पकड़ में आ सके.
क्या है पुलोरम बीमारी और किसे होता है?
मुर्गियों में होने वाला पुलोरम रोग।@renu_bjp @Agribih @Dept_of_AHD @HorticultureBih @IPRDBihar @vijayaias #comfed#dairy#pashupalak#fish#fisheries#BiharAnimalAndFisheriesResourcesDept pic.twitter.com/RlPIvcvITB
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पुलोरम रोग खासतौर पर छोटे चूजों को प्रभावित करता है. यह भी एक बैक्टीरियल बीमारी है और Salmonella Pullorum नाम के बैक्टीरिया से फैलती है. यह बीमारी बहुत तेजी से फैलती है और अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो चूजों की अचानक मौत भी हो सकती है.
पुलोरम के लक्षण, इलाज और बचाव के तरीके
पुलोरम बीमारी के लक्षणों में सबसे आम है सफेद रंग का दस्त. चूजों के पंख बिखरे हुए और गंदे दिखते हैं. वे सुस्त रहते हैं और एक जगह बैठे रहते हैं. इस बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह से Furazolidone, Enrofloxacin, और Sulpha ग्रुप की दवाएं दी जा सकती हैं. रोकथाम के लिए सबसे जरूरी है कि बीमार चूजों को तुरंत बाकी से अलग कर दिया जाए. इसके अलावा, केवल “पुलोरम-टेस्टेड” फार्म से ही चूजे खरीदें ताकि रोग फैलने की संभावना कम हो.