अब कम खर्च में बेहतर नस्ल के पशु पाएं, बिहार सरकार दे रही नई तकनीक की सुविधा

बिहार सरकार पशुपालकों को लाभ पहुंचाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा दे रही है. इससे पशुओं की नस्ल सुधरेगी, दूध उत्पादन बढ़ेगा और आमदनी में इजाफा होगा. यह प्रक्रिया सुरक्षित, सस्ती और आसान है, जिसे अब गांव-गांव तक पहुंचाया जा रहा है.

Kisan India
नोएडा | Published: 22 Sep, 2025 | 05:35 PM

Bihar News: पशुपालन अब केवल परंपरा नहीं, बल्कि विज्ञान और तकनीक से जुड़कर आय का मजबूत जरिया बनता जा रहा है. बिहार सरकार के पशुपालन निदेशालय द्वारा पशुपालकों को बेहतर नस्ल के पशु उपलब्ध कराने और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस प्रक्रिया से पशुपालकों को न केवल उच्च नस्ल के पशु मिलते हैं, बल्कि इससे पशुओं की संख्या, स्वास्थ्य और उत्पादकता में भी सुधार होता है. बिहार सरकार की यह योजना खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों और पशुपालकों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है.

क्या है कृत्रिम गर्भाधान?

कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें अच्छे नस्ल के सांड का सीमन संग्रह कर उसे मादा पशु में एक विशेष तकनीक से डाला जाता है, ताकि वह गर्भवती हो सके. इस प्रक्रिया में सांड और गाय और भैंस के बीच सीधा संपर्क नहीं होता, जिससे बीमारियों का खतरा भी कम होता है. यह पूरी प्रक्रिया प्रशिक्षित पशु चिकित्सकों द्वारा की जाती है और यह सुरक्षित, प्रभावी और किफायती मानी जाती है.

उत्तम नस्ल और ज्यादा दूध देने वाले पशु

कृत्रिम गर्भाधान का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे ज्यादा दूध देने वाली नस्लें तैयार की जा सकती हैं. सामान्य तौर पर गांवों में मिलने वाले पशु सीमित मात्रा में दूध देते हैं, लेकिन वैज्ञानिक तरीके से तैयार की गई नस्लें 10 से 15 लीटर तक दूध दे सकती हैं. इस प्रक्रिया से पशुपालक एक ही सांड के अच्छे गुण कई मादा पशुओं में पहुंचा सकते हैं. इससे पूरे इलाके में अच्छे नस्ल के पशु तैयार होते हैं और पशुपालकों की आमदनी में सीधा इजाफा होता है.

रोगों से बचाव और सुरक्षित प्रजनन

कृत्रिम गर्भाधान के ज़रिए पशुओं को प्रजनन संबंधी बीमारियों से बचाया जा सकता है. चूंकि इसमें प्राकृतिक मिलन की जरूरत नहीं होती, इसलिए एक पशु से दूसरे पशु में रोग फैलने का खतरा लगभग खत्म हो जाता है. यह प्रक्रिया पशु के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर की जाती है और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की देखरेख में उपचार भी किया जाता है. इससे पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है और उनकी प्रजनन क्षमता भी सुधरती है.

सस्ती, आसान और कारगर प्रक्रिया

कृत्रिम गर्भाधान न केवल वैज्ञानिक रूप से प्रभावी है, बल्कि यह आर्थिक रूप से भी किफायती है. सरकार की ओर से कई बार यह सेवा मुफ्त या बहुत कम कीमत पर उपलब्ध कराई जाती है. गांव के पशुपालक इसे आसानी से अपना सकते हैं, क्योंकि इसके लिए विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती. सरकारी पशु चिकित्सालयों, शिविरों और मोबाइल यूनिट के माध्यम से यह सेवा गांव-गांव तक पहुंचाई जा रही है, जिससे दूर-दराज के पशुपालकों को भी इसका लाभ मिल रहा है.

सरकार की पहल और पशुपालकों की भागीदारी

बिहार सरकार लगातार कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा दे रही है. पशुपालन विभाग के अंतर्गत कई जिलों में विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं, जिनमें पशुपालकों को इस तकनीक के फायदे बताए जाते हैं. विभाग की टीमें गांवों में जाकर प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम चला रही हैं. पशुपालकों को यह समझाया जा रहा है कि पारंपरिक तरीकों की तुलना में यह आधुनिक तरीका ज्यादा फायदेमंद है. सरकार की कोशिश है कि हर पशुपालक तक यह सुविधा पहुंचे और वह अपने पशुओं की नस्ल सुधार कर अच्छी आमदनी कमा सके.

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Published: 22 Sep, 2025 | 05:35 PM

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