बाढ़ के दौरान पशुओं को बचाने के लिए क्या करें किसान, जानिए एक्सपर्ट ने क्या सलाह दी

भारत में बाढ़ का खतरा बढ़ा है. बारिश से इंसानों के साथ पशु भी प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में पशुपालकों को सतर्क रहकर चारा, दवाएं और सुरक्षित जगह की तैयारी करनी चाहिए, ताकि नुकसान कम हो सके.

Kisan India
नोएडा | Published: 5 Sep, 2025 | 02:15 PM

बरसात का मौसम किसानों और पशुपालकों के लिए वरदान भी होता है और कई बार परेशानी भी. जब बारिश सामान्य हो, तो खेत-खलिहान लहलहा उठते हैं और दूध देने वाले पशु भी हरे चारे से तंदुरुस्त रहते हैं. लेकिन जब बारिश जरूरत से ज्यादा हो जाए और पानी बेकाबू होकर गांवों में घुस आए, तो यही बरसात आफत बन जाती है.

इंसानों की तरह ही पशु भी बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. बिहार, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और उत्तर भारत के कई हिस्सों में इस बार भी हालात ऐसे ही बने हुए हैं. मौसम विभाग का कहना है कि खतरा अभी टला नहीं है. ऐसे में पशुपालकों के लिए जरूरी है कि वे समय रहते सतर्क रहें और कुछ खास कदम उठाकर अपने मवेशियों को सुरक्षित रखें.

बाढ़ से पहले उठाएं एहतियाती कदम

मौसम विभाग के अलर्ट पर हमेशा ध्यान दें. जैसे ही भारी बारिश या बाढ़ की संभावना दिखे, तुरंत पशुओं के लिए सुरक्षित जगह की व्यवस्था करें. बाड़े में पानी की निकासी आसान बनाएं और उन्हें किसी ऊंची जगह पर शिफ्ट करने की तैयारी रखें. साथ ही हरा चारा, सूखा चारा और साफ पीने के पानी का इंतजाम पहले से कर लें. अगर पहले से तैयारी होगी तो बाढ़ आने पर नुकसान कम होगा.

बाढ़ के दौरान पशुओं की खास देखभाल

जब पानी का स्तर तेजी से बढ़ने लगे तो पशुओं को खुला छोड़ना बेहतर होता है, ताकि वे खुद सुरक्षित जगह जा सकें. बिजली के तारों की जांच कर लें और बाड़े से ज्वलनशील चीजों को दूर रखें. इस दौरान पशुओं की रोजाना जांच जरूरी है, ताकि किसी भी संक्रमण या बीमारी का समय रहते पता चल सके. पशुपालकों को खासतौर पर गलघोटू और खुरपका-मुंहपका जैसी बीमारियों की वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए.

आपदा के समय जरूरी किट रखें तैयार

आपदा की घड़ी में पशुपालकों के पास एक आपातकालीन किट होना बहुत जरूरी है. इसमें दवाइयां, रस्सी, हॉल्टर, टॉर्च, बैटरियां, पोर्टेबल रेडियो और साफ-सफाई का सामान शामिल होना चाहिए. पशुओं की पहचान (टैगिंग) भी करवा लें, ताकि अगर वे बाढ़ में अलग हो जाएं तो राहत कार्य के दौरान उन्हें आसानी से पहचाना जा सके.

बाढ़ के बाद भी न करें लापरवाही

बाढ़ का पानी उतर जाने के बाद भी सावधानी जरूरी है. पशुओं को गीला चारा या फफूंद लगा भूसा कभी न खिलाएं. बाड़े की अच्छी तरह सफाई करें और पानी निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें. बाढ़ के बाद मच्छर और चिचड़ बढ़ जाते हैं, जिनसे बबेसिया, सर्रा और थेलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियां फैलती हैं. इनसे बचने के लिए समय पर उपचार और रोकथाम जरूरी है.

विशेषज्ञों की खास सलाह

पशु चिकित्सकों का कहना है कि कीटनाशक का इस्तेमाल करने से पहले विशेषज्ञ से राय जरूर लें. डेयरी फार्मिंग करने वाले किसान प्राकृतिक तरीके से परजीवी नियंत्रण के लिए देसी मुर्गियों का पालन भी कर सकते हैं. पशुओं को संतुलित आहार, मिनरल मिक्सचर और नमक खिलाना उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. मानसून इस बार पूरे उत्तर भारत पर भारी पड़ा है- पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बाढ़ का कहर जारी है, दिल्ली और बिहार में हालात बिगड़ने की आशंका है. ऐसे में पशुपालकों के लिए जरूरी है कि वे सतर्क रहें और समय पर सही कदम उठाकर अपने मवेशियों को सुरक्षित रखें.

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