Tea Production: भारत में चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी और देश की संस्कृति का अहम हिस्सा है. लेकिन इस बार सितंबर 2025 का महीना चाय उद्योग के लिए निराशाजनक रहा. असामान्य बारिश, बदलते तापमान और अस्थिर जलवायु ने देशभर के चाय बागानों को प्रभावित किया है. नतीजतन, भारत का कुल चाय उत्पादन करीब 6 प्रतिशत घटकर 159.9 मिलियन किलोग्राम पर पहुंच गया है. यह पिछले साल की तुलना में एक बड़ी गिरावट मानी जा रही है, जिसने खासकर पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के उत्पादक क्षेत्रों में चिंता बढ़ा दी है.
खराब मौसम ने बिगाड़ी फसल की हालत
देश के कई हिस्सों में मानसून के असमान वितरण और तेज हवाओं ने चाय उत्पादन पर बुरा असर डाला है. चाय बोर्ड के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर भारत, जो देश का सबसे बड़ा चाय उत्पादन क्षेत्र है, में 5.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. सितंबर 2025 में उत्तर भारत में कुल उत्पादन 138.6 मिलियन किलोग्राम रहा, जबकि पिछले साल यह 146.9 मिलियन किलोग्राम था.
असम में मामूली बढ़ोतरी, बंगाल में सबसे ज्यादा गिरावट
असम, जो भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य है, वहां थोड़ी राहत जरूर दिखी. राज्य में उत्पादन 94.7 मिलियन किलोग्राम रहा, जो पिछले साल से थोड़ा अधिक है. असम वैली क्षेत्र में उत्पादन में मामूली बढ़त दर्ज की गई, लेकिन कछार क्षेत्र में गिरावट आई है.
इसके उलट, पश्चिम बंगाल में स्थिति काफी गंभीर रही. यहां चाय उत्पादन में 17 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है. दार्जिलिंग, डूआर्स और तराई जैसे प्रमुख चाय उत्पादक इलाकों में उत्पादन घटा है. डूआर्स में उत्पादन 17 फीसदी घटा, तराई में करीब 17.5 फीसदी और दार्जिलिंग में तो 25 फीसदी तक गिरावट देखी गई.
दक्षिण भारत में भी कम हुआ उत्पादन
दक्षिण भारत के राज्यों में भी खराब मौसम ने उत्पादन पर असर डाला है. तमिलनाडु में उत्पादन 4.7 फीसदी घटकर 15.7 मिलियन किलोग्राम रह गया. केरल में यह गिरावट और ज्यादा रही करीब 14.3 फीसदी और उत्पादन घटकर 5.1 मिलियन किलोग्राम पर पहुंच गया. वहीं कर्नाटक में भी 12.5 फीसदी की कमी दर्ज की गई.
इन राज्यों में बारिश के लंबे दौर और तापमान में अचानक बदलाव ने पौधों की वृद्धि पर असर डाला, जिससे पत्तियों की गुणवत्ता और मात्रा दोनों प्रभावित हुईं.
उत्पादन श्रेणियों में भी कमी
चाय बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, सीटीसी (CTC) चाय का उत्पादन उत्तर भारत में 123 मिलियन किलोग्राम और दक्षिण भारत में 17 मिलियन किलोग्राम दर्ज किया गया. वहीं, ऑर्थोडॉक्स चाय का उत्पादन उत्तर भारत में 13.9 मिलियन किलोग्राम और दक्षिण भारत में 3.4 मिलियन किलोग्राम रहा. ग्रीन टी का उत्पादन भी घटकर उत्तर भारत में 1.5 और दक्षिण भारत में केवल 0.5 मिलियन किलोग्राम रह गया.
मौसम का असर और बढ़ सकती है चिंता
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आने वाले महीनों में मौसम में सुधार नहीं हुआ तो चाय उद्योग को और भी नुकसान झेलना पड़ सकता है. उत्तर-पूर्वी राज्यों और दार्जिलिंग क्षेत्र में बारिश और ठंड के असामान्य पैटर्न ने पहले से ही उत्पादन चक्र को प्रभावित किया है. इससे न केवल उत्पादन घटा है बल्कि गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है.
बाजार पर असर और किसानों की चिंता
उत्पादन में कमी का असर बाजार पर भी दिखने लगा है. देश के कई हिस्सों में चाय की कीमतें बढ़ने लगी हैं. चाय बागान मालिक और छोटे उत्पादक किसानों के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. कम पैदावार और बढ़ती लागत के बीच किसानों की आय पर दबाव बढ़ गया है.
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए चाय उत्पादन क्षेत्रों में स्थायी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी गिरावटों से बचा जा सके.