ये हैं भारत की टॉप देसी गायें, देती हैं ज्यादा दूध और करती हैं खेती में मदद

भारत में देसी गायों की कई नस्लें पाई जाती हैं, जो दूध उत्पादन और खेतों में काम के लिए जानी जाती हैं. लाल सिंधी, थारपारकर, गिर और कांकरेज जैसी नस्लें किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 31 Aug, 2025 | 06:01 PM

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां खेती और पशुपालन आजीविका का मुख्य जरिया है. देश में पाई जाने वाली देसी गायों की नस्लें न केवल अधिक दूध देती हैं, बल्कि खेतों में काम करने और सामान ढोने जैसे कामों में भी निपुण होती हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कौन-कौन सी देसी नस्लें किसानों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद हैं. आइए जानते हैं देश की 10 प्रमुख देसी गायों की नस्लों के बारे में, जो दूध उत्पादन और ढुलाई दोनों में बेमिसाल हैं.

दूध देने में सबसे अव्वल

लाल सिंधी गाय भारत की सबसे अच्छी दूध देने वाली देसी नस्लों में से एक है. इसका रंग गहरा लाल या भूरा होता है. यह गाय रोजाना 11 से 15 लीटर तक दूध देती है. गर्मी और नमी में भी यह आसानी से रह सकती है. कम गुणवत्ता वाले चारे पर भी यह अच्छा दूध देती है, इसलिए छोटे किसानों के लिए बेहद उपयोगी है. इसे जर्सी और होल्स्टीन जैसी विदेशी नस्लों के साथ क्रॉसब्रीडिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.

सूखा झेलने वाली मजबूत नस्ल

थारपारकर नस्ल राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों से आती है. इसका रंग सफेद या हल्का भूरा होता है और इसमें हल्के काले या भूरे धब्बे भी होते हैं. यह गाय प्रतिदिन 6 से 8 लीटर दूध देती है. यह नस्ल सूखे और कठिन जलवायु को झेलने में माहिर है. कम पानी और चारे में भी यह अच्छी तरह से पनप जाती है, इसलिए यह सूखे क्षेत्रों के लिए आदर्श मानी जाती है.

स्वास्थ्यवर्धक दूध देने वाली

गिर गाय गुजरात की प्रसिद्ध नस्ल है, जिसे उसके बड़े कूबड़ और लटकते कानों से पहचाना जाता है. यह गाय 6 से 10 लीटर दूध रोज देती है. गिर गाय का दूध स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है, क्योंकि इसमें A2 प्रोटीन पाया जाता है. इस गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी अच्छी होती है, जिससे यह कई बीमारियों से सुरक्षित रहती है. यही वजह है कि गिर नस्ल को डेयरी फार्मिंग और क्रॉसब्रीडिंग दोनों के लिए पसंद किया जाता है.

खेतों में मेहनत और दूध दोनों में दमदार

कांकरेज गाय को खासतौर पर खेती के काम और ढुलाई के लिए जाना जाता है. इसका रंग भूरा या काला होता है और इसके सींग वीणा के आकार के होते हैं. यह गाय हर दिन 5 से 7 लीटर दूध देती है और खेतों में हल चलाने जैसे काम में भी मदद करती है. यह नस्ल राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में ज्यादा पाई जाती है. यह कम चारा खाने के बावजूद अच्छी तरह से काम करती है और बीमार भी कम पड़ती है.

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