मुर्गियों में फैल रहा ये खतरनाक रोग, समय पर लक्षण न पहचाने तो पूरा फार्म हो सकता है बर्बाद!

मुर्गियों में तेजी से फैलने वाला ये रोग किसानों के लिए बड़ी चिंता बन गया है. यह बीमारी चूजों को जल्दी पकड़ती है और पूरा सेट खराब कर सकती है. शुरुआती लक्षण समझना और सही समय पर इलाज शुरू करना बहुत जरूरी है. साफ-सफाई और कुछ आसान सावधानियां रखकर इस रोग से बचाव किया जा सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस खतरनाक बीमारी के बारे में..

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 17 Nov, 2025 | 06:38 PM

Poultry Disease : मुर्गी पालन आज गांवों से लेकर शहरों तक कमाई का मजबूत जरिया बन चुका है. कई लोग खेती-किसानी के साथ मुर्गी पालन कर हर महीने अच्छी आय कमा रहे हैं. लेकिन जैसे ही मुर्गियों में बीमारी फैलती है, पूरा मेहनत किया हुआ काम एक झटके में खराब हो जाता है. खासकर एक बीमारी ऐसी है, जो चूजों और मुर्गियों दोनों के लिए बेहद खतरनाक मानी जाती है और वह है सफेद दस्त रोग. यह बीमारी इतनी तेजी से फैलती है कि किसान को पता भी नहीं चलता और पूरा सेट नुकसान की कगार पर पहुंच जाता है. अच्छी बात यह है कि सही जानकारी होने पर इससे बचाव भी किया जा सकता है और इलाज भी आसान है.

चूजों में सबसे ज्यादा फैलने वाला रोग

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सफेद दस्त रोग आमतौर पर सबसे पहले चूजों को पकड़ता है. कई बार यह बीमारी इतनी जल्दी बढ़ती है कि चूजे एक-एक करके मरने लगते हैं. यही वजह है कि इसे मुर्गियों में सबसे खतरनाक बीमारियों  में माना जाता है. यह बीमारी बाद में बड़ी मुर्गियों में भी फैल जाती है और पूरा बैच खराब कर देती है. इस रोग में चूजों और मुर्गियों के मल का रंग सफेद हो जाता है और मल त्याग के समय उन्हें दर्द होता है. कई बार यह बीमारी इतनी गंभीर हो जाती है कि कुछ चूजे अंधे या लंगड़े भी हो जाते हैं. पीछे का हिस्सा भी चिपचिपा होकर गंदा हो जाता है, जिससे बीमारी और तेजी से फैलती है.

कैसे पहचानें सफेद दस्त के लक्षण?

सफेद दस्त रोग की पहचान करना बहुत जरूरी है, क्योंकि जितनी जल्दी इसका पता चल जाए, उतना जल्दी इलाज शुरू किया जा सकता है. सबसे पहले चूजे सुस्त होने लगते हैं और खाना कम खा पाते हैं. उनका पेट कमजोर लगने लगता है और पीछे की जगह पर गंदगी चिपकने लगती है. मल का रंग सफेद और पानी जैसा हो जाता है. कई बार चूजे आंखें बंद रखकर बैठे रहते हैं. मुर्गियां अपना शरीर सिकोड़कर बैठ जाती हैं और चलने में भी दिक्कत महसूस करती हैं. अगर यह लक्षण दिखें, तो तुरंत इलाज जरूरी है, वरना पूरा झुंड कमजोर पड़ जाता है.

सफेद दस्त का आसान इलाज

इस बीमारी का इलाज मुश्किल नहीं है, बस समय पर सही दवा देनी जरूरी है. दुकानों पर सफेद दस्त  की दवा आसानी से मिल जाती है. इसे हमेशा खुराक के हिसाब से देना चाहिए ताकि ओवरडोज न हो. सामान्य रूप से 5 मुर्गियों या 20 चूजों के लिए 2 चुटकी दवा एक कप पानी में घोलकर दी जाती है. चूजों को 2-2 बूंद और मुर्गियों को 5-5 बूंद सिरिंज से पिलाई जाती है. यह दवा लगातार 3 दिन देनी चाहिए ताकि असर जल्दी दिखे. ध्यान रखिए कि बीच में दवा बंद न करें, क्योंकि इससे बीमारी फिर से बढ़ सकती है.

पानी में दवा घोलकर देना भी कारगर

अगर आपके पास चूजों या मुर्गियों की संख्या ज्यादा है, तो दवा पानी में घोलकर देना सबसे आसान तरीका है. 40 चूजों या 10 मुर्गियों के लिए एक कटोरी पानी में लगभग 4 चुटकी दवा मिलाकर मुर्गीघर में रख दें. इस दवा वाले पानी को लगातार 2 दिन तक रखना चाहिए. मुर्गियां और चूजे  अपनी इच्छा से इस पानी को पीते हैं और बीमारी धीरे–धीरे खत्म होने लगती है. यह तरीका उन लोगों के लिए बेहतर है, जिनके पास बड़ा सेट है और हर चूजे को अलग-अलग दवा नहीं दे सकते.

बचाव ही सबसे बेहतर तरीका

सफेद दस्त से बचने का सबसे आसान तरीका है साफ-सफाई का ध्यान रखना. मुर्गीघर जितना साफ रहेगा, बीमारी उतनी कम फैलेगी. गंदगी और नमी सफेद दस्त को तेजी से फैलाती है, इसलिए मुर्गीघर हमेशा सूखा और साफ होना चाहिए. चूजों को समय-समय पर टेट्रासाइक्लिन, फयूरासोल या लिक्सेन पाउडर कम मात्रा में दिया जाए तो यह बीमारी होने से पहले ही रुक जाती है. साफ पानी, साफ दाना और साफ माहौल-ये तीन चीजें मुर्गियों को कई बीमारियों से बचाती हैं. अगर मुर्गीपालक इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें, तो न सिर्फ सफेद दस्त से बच सकते हैं, बल्कि चूजों की संख्या  भी बढ़िया बनी रहती है और आमदनी भी लगातार बढ़ती रहती है.

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Published: 17 Nov, 2025 | 06:38 PM

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