नरसिंहपुर के एक छोटे से गांव मचवारा में रहने वाले प्रीतम लोधी ने जब जैविक खेती और पशुपालन की राह चुनी तो उन्हें खुद नहीं पता था कि ये फैसला उनकी जिंदगी की दिशा ही बदल देगा. पहले जहां रासायनिक खेती से उन्हें कम मुनाफा मिलता था, वहीं अब गोबर और गौमूत्र से बनी जैविक खाद उनके खेतों की उपज और जेब दोनों भर रही है. आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं साबित हुई. आइए जानते हैं कैसे गाय, गोबर और गुड़ के सहारे प्रीतम लोधी ने लाखों की कमाई का रास्ता तैयार किया.
रासायनिक खेती से थी परेशानी
प्रीतम लोधी पहले पारंपरिक रासायनिक खेती करते थे, लेकिन उत्पादन भी घट रहा था और लागत भी बढ़ रही थी. ऐसे में कमाई का कोई स्थायी जरिया नहीं था. फिर उन्होंने 2022 में जैविक खेती का प्रशिक्षण लिया और रसायनों को अलविदा कह दिया. गोबर, गौमूत्र और अन्य प्राकृतिक तरीकों से खाद बनाकर उन्होंने अपने 4 एकड़ खेत में गन्ना, मूंग, अरहर और सोयाबीन जैसी फसलें उगाई. इस जैविक खेती से उन्हें करीब 1.25 लाख रुपये का वार्षिक लाभ हुआ.

Preetam Lodhi Narsinghpur Farmer
गोबर और गौमूत्र से बनाई जैविक खाद
पशुपालन में भी उन्होंने नई शुरुआत की. आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना के अंतर्गत उन्हें 4 गाय और 4 भैंसें मिलीं. इनके माध्यम से रोजाना दूध उत्पादन शुरू किया, जिससे हर महीने 10-15 हजार रुपये की अतिरिक्त आय होने लगी. साथ ही गोबर और गौमूत्र का उपयोग जैविक खाद और कीटनाशक के रूप में किया जा रहा है, जिससे खेतों में लागत घटी और गुणवत्ता बढ़ी.
गुड़ पाउडर और कैंडी से कमाई
खेती और दुग्ध उत्पादन के अलावा प्रीतम लोधी ने प्रसंस्करण और पैकेजिंग में भी हाथ आजमाया. उन्होंने मूंग, चना, गुड़ पाउडर और कैंडी जैसे जैविक उत्पादों को पैक करके स्थानीय बाजार में बेचना शुरू किया. इससे उन्हें करीब 45 हजार रुपये का अतिरिक्त मुनाफा हुआ. इससे न सिर्फ कमाई बढ़ी बल्कि गांव के अन्य किसान भी प्रेरित हुए.
ग्रीन हाउस का है अगला लक्ष्य
प्रीतम लोधी अब जैविक सब्जियों के उत्पादन के लिए ग्रीन हाउस लगाने की योजना बना रहे हैं. उनका कहना है कि शासन की योजनाओं और समय पर मिले प्रशिक्षण ने उन्हें नई राह दिखाई है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव का धन्यवाद भी किया.