एवोकाडो की खेती में दिलचस्पी ने कराई भारत वापसी, लंदन से लौटे हर्षित गोधा आज कर रहे करोड़ों में कमाई

हर्षित बताते हैं कि अब उनका सपना है कि वे एवोकाडो के हर पैकेट पर भारत में उत्पादित का लेबल देखना चाहते हैं. बता दें कि आज के समय में गुजरात, असम और सिक्किम जैसे राज्यों के किसान अब हर्षित के नेटवर्क से जुड़े हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 18 Jul, 2025 | 06:41 PM

मध्य प्रदेश के भोपाल में रहने वाले युवा किसान हर्षित गोधा कुछ साल पहले लंदन में रह रहे थे. विदेश की जीवनशैली , सुख-सुविधा में रह रहे थे, लेकिन एक दिन अचानक किसी सुपरमार्केट की शेल्फ में रखे एवोकाडो ने उनके मन में इसकी खेती को लेकर सवाल उठाए. बस, फिर क्या था, एवोकाडो की खेती कैसे करें, इस सवाल का जवाब ढूंढने वे पहले इजरायल गए , फिर वहां से वापस भारत आए और आज अपनी कड़ी मेहनत और लगन से एवोकाडो की खेती से हर्षित सालाना 1 करोड़ रुपये का टर्नओवर कमा रहे हैं.

2017 से शुरू हुआ सफर

हर्षित बताते हैं कि साल 2017 में लंदन की एक सुपरमार्केट में शेल्फ पर रखे एवोकाडो पर इजरायल का टैग देखा. तब उनके मन में ये खयाल आया कि अगर इजरायल जैसी बंजर जमीन पर इसकी खेती की जा सकती है तो भारत में क्यों नहीं. उनकी इसी सोच ने उन्हें वापस अपने वतन भारत लौटने पर मजबूर कर दिया. यहां दिलचस्प बात ये है कि हर्षित न तो पारंपरिक किसान परिवार से आते हैं, न ही उनका खेती में पहले कभी कोई अनुभव रहा था. लेकिन फिर भी उनमें जुनून था अपने सवाल का जवाब ढूंढने का. जिसके लिए वे खुद इजरायल तक चले गए. हर्षित ने टूरिस्ट वीसा पर इजरायल का दौरा किया और वहां पर एवोकाडो की खेती से जुड़ी तकनीक, जल प्रबंधन, मिट्टी की देखभाल, और पौधों की नस्लों के बारे में ट्रेनिंग भी ली.

3 साल बाद रंग लाई मेहनत

बेटर इंडिया से बात करते हुए हर्षित बताते हैं कि तीन साल के लंबे इंतजार के बाद साल 2021 में उन्हें इजरायल से 1800 एवोकाडो के पौधों का पहला बैच मिला. जिसके बाद उन्होंने एवोकाडो की 5 प्रमुख किस्मों को जैविक खाद और मल्चिंग तकनीक से उगाना शुरू किया. इन 5 किस्मों में हास, पिंकर्टन, एटिंगर, लैम्ब-हास आदि शामिल हैं. हर्षित ने खुद की खेती तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि इंडो इजराइल एवोकाडो नाम से एक ऐसा व्यवसाया शुरू किया , जो न केवल किसानों को एवोकाडो के पौधे उपलब्ध कराता है बल्कि उन्हें खेती से जुड़ी सारी ट्रेनिंग भी दी जाती है और किसानों से उनकी उपज खरीदने की गारंटी भी दी जाती है.

मेड इन इंडिया को बढावा देने पर जोर

हर्शित बताते हैं कि अब उनका सपना है कि वे एवोकाडो के हर पैकेट पर भारत में उत्पादित का लेबल देखना चाहते हैं. बता दें कि आज के समय में गुजरात, असम और सिक्किम जैसे राज्यों के किसान अब हर्षित के नेटवर्क से जुड़े हैं.जो कि बड़े-बड़े होटलों में भी एवोकाडो की सप्लाई करते हैं. बता दें कि साल 2023 तक हर्षित का सालान टर्नओवर 1 करोड़ के पार पहुंच चुका है. र्षित की खेती की पद्धति भी खास है वे न तो केमिकल फर्टीलाइजर इस्तेमाल करते हैं और न ही बाढ़ सिंचाई. मल्चिंग, कम्पोस्ट और जैविक पोषक तत्वों के जरिए वे मिट्टी की सेहत बेहतर करते हैं. भोपाल के 22 साल के युवा किसान हर्षित गोधा देशभर के किसानों और युवाओं के लिए एक प्रेरणा है. साथ ही हर्षित ने भी साबित कर दिया कि खेती करने के लिए किसान के परिवार में ही जन्म लेना जरूरी नहीं है.

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Published: 18 Jul, 2025 | 06:10 PM

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