Bihar Assembly Election 2025: बिहार के भोजपुर जिले के आरा क्षेत्र के रहने वाले पवन सिंह ने बॉलीवुड या बड़े मंचों की ओर नहीं, बल्कि भोजुपुरी सिनेमा-संगीत के माध्यम से अपनी पहचान बनाई. लेकिन, हाल के वर्षों में उन्होंने मनोरंजन से राजनीति की दिशा में कदम बढ़ाया है. उनकी यह यात्रा सिर्फ कलाकार होने से कहीं आगे जाकर यह दर्शाती है कि कैसे लोकप्रिय हस्ती राजनीति के मैदान में उतरती हैं — चुनौतियों, चर्चाओं और अंतर्धाराओं के साथ.
कलाकार के तौर पर सफर
पवन सिंह ने शुरुआत की भोजपुरी गानों और फिल्मों के माध्यम से. “लॉली पॉप लागेलू” जैसे ब्लॉकबस्टर गाने ने उन्हें आम लोगों के बीच सुपरस्टार बना दिया. फिल्मों-संगीत में पहचान बनने के बाद उनके नाम के आगे “पावर स्टार” की उपाधि जुड़ी. इस पहचान ने उन्हें सिर्फ मनोरंजन तक सीमित न रहने वाला प्लेटफॉर्म दिया, बल्कि एक मंच भी जहां से वे अपने विचार और सामाजिक भूमिका भी निभा सकते हैं.

Pawan Singh Career
भोजपुरी स्टारडम बना राजनीति का हथियार
पवन सिंह की लोकप्रियता सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है. यूपी, झारखंड और नेपाल के कई इलाकों में भी उनका नाम मशहूर है. उनके गानों ने उन्हें “जनता का कलाकार” बना दिया, और यही छवि अब उनके राजनीतिक सफर की सबसे बड़ी ताकत है. बिहार की राजनीति में भोजपुरी कलाकारों का प्रभाव काफी गहरा है — रवि किशन और मनोज तिवारी जैसे उदाहरण इसके गवाह हैं.
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राजनीति में पहला कदम
राजनीति में पवन सिंह का पहला कदम काफी चर्चा में रहा. उन्होंने BJP से पहली बार संबंध जोड़ा और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उनके नाम का भी संकेत मिला था. हालांकि, उन्होंने अंततः उस सीट से चुनाव नहीं लड़ा. इसके बाद 2024 में उन्होंने खुद को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में कराकट लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा.

Pawan SIngh For BJP Bihar Chunav 2025
जातीय समीकरण में फिट बैठते हैं पवन सिंह
बिहार की राजनीति जातीय आधार पर चलती है और पवन सिंह का आना इस समीकरण को बदल सकता है. वे राजपूत (भूमिहार-राजपूत समाज) से आते हैं, जो बिहार में एक प्रभावशाली वर्ग माना जाता है. उनकी मौजूदगी से BJP को इस वर्ग में एक मजबूत चेहरा मिल सकता है, खासकर उन इलाकों में जहां स्थानीय नेतृत्व कमजोर है. पवन सिंह BJP के लिए “कास्ट बैलेंस” करने वाले कार्ड साबित हो सकते हैं.
भारी विवाद और निष्कासन
पवन सिंह का राजनीतिक सफर विवादों से भी अछूता नहीं रहा. हालांकि ये विवाद उनके लिए नुकसानदायक भी रहे, लेकिन साथ ही मीडिया में लगातार चर्चा में रहने से वे “लोकप्रिय चेहरा” भी बने रहे. उनकी स्वतंत्र उम्मीदवार की घोषणा ने NDA गठबंधन को झटका दिया, क्योंकि इससे जातीय समीकरण प्रभावित हुए और क्षेत्रीय वोट बैंक हिल गया. साथ ही, उन्होंने खुद स्पष्ट किया कि उनका चुनाव लड़ना प्राथमिक लक्ष्य नहीं था. यानी वे “सेना के सैनिक” की भूमिका निभाना चाहते हैं.
वोट बैंक पर असर
पवन सिंह युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. उनके सोशल मीडिया फॉलोअर्स लाखों में हैं, जो किसी भी राजनीतिक प्रचार अभियान में बड़ा असर डाल सकते हैं. भोजपुरी युवाओं का वोट बैंक आज किसी भी पार्टी के लिए निर्णायक हो सकता है और पवन सिंह उस वर्ग की नब्ज को भलीभांति समझते हैं.
BJP में वापसी और आगे का राजनीतिक खेल
2025 के विधानसभा चुनावों में पवन सिंह ने फिर से भाजपा नेताओं से संबंध स्थापित किया. बड़े नेताओं‐साथियों से मुलाकातें, गठबंधन की रणनीति में शामिल होना और फिर से पार्टी में सक्रिय भूमिका की ओर संकेत देखने को मिले. हालांकि उन्होंने घोषणा की, कि वे विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए नहीं बल्कि पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगे.

Pawan SIngh Bihar Election 2025
चुनौतियां और मिशन
- कलाकार से नेता बनने के दौरान उन्हें अपनी छवि बदलने का काम करना पड़ा. मनोरंजन-मंच के लोकप्रिय चेहरे से राजनीति-मंच पर जिम्मेदारी का सामना करना.
- विवाद और व्यक्तिगत जीवन से जुड़े मामले (जैसे परिवार, कानूनी पहलू) भी सामने आते रहे, जिससे राजनीति में उनका सफर आसान नहीं रहा.
- बिहार की राजनीति में जात-पार्टी-सामाजिक समीकरण जटिल हैं. एक अभिनेता-सिंगर को इस माहौल में कदम रखना और टिकना चुनौतीपूर्ण रहा.