चीन से अमेरिका भेजा गया जहरीला फंगस, भारत की फसलों पर भी खतरा- जानिए क्या है कृषि आतंकवाद?

हाल ही में अमेरिका में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने दुनियाभर की सरकारों को सतर्क कर दिया है. अमेरिका ने दो चीनी नागरिकों पर एक जहरीले कवक (fungus) को तस्करी करके देश में लाने का आरोप लगाया है, जिसे फसलें बर्बाद करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 4 Jun, 2025 | 05:20 PM

आज जब दुनिया खाद्य संकट, जलवायु परिवर्तन और जैविक जोखिमों से जूझ रही है, इस बीच एक नया और बेहद खतरनाक खतरा हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा है, वो है कृषि आतंकवाद (Agro-Terrorism). हाल ही में अमेरिका में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने दुनियाभर की सरकारों को सतर्क कर दिया है. अमेरिका ने दो चीनी नागरिकों पर एक जहरीले कवक (fungus) को तस्करी करके देश में लाने का आरोप लगाया है, जिसे फसलें बर्बाद करने और खाद्य प्रणाली को नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

चीन से अमेरिका में जहरीला फंगस

अमेरिकी जांच एजेंसी FBI के अनुसार, चीनी नागरिक जूनयोंग लियू ने जुलाई 2024 में अमेरिका में प्रवेश करते समय एक खतरनाक फंगस Fusarium graminearum को अपने साथ लाया. यह वही फंगस है जो गेहूं और जौ में “हेड ब्लाइट” नाम की बीमारी फैलाता है और हर साल दुनियाभर में अरबों डॉलर का नुकसान करता है. लियू का दावा था कि वह यह फंगस केवल शोध के लिए लाया था, लेकिन विशेषज्ञ इसे कृषि आतंकवाद का संभावित हथियार मानते हैं.

कृषि आतंकवाद क्या होता है?

कृषि आतंकवाद का मतलब होता है जानबूझकर फसलों या जानवरों में ऐसे कीटाणु या बीमारियां फैलाना, जिससे खेती को नुकसान हो और देश की खाने-पीने की चीजों की सप्लाई, खेती करने की व्यवस्था और आम लोगों की जिंदगी पर बुरा असर पड़े. ये एक तरह का जैविक हमला होता है, जिसे कुछ आतंकवादी संगठन या दुश्मन देश कर सकते हैं.

ऐसा पहली बार  नहीं हो रहा. भारत की रक्षा रिसर्च एजेंसी DRDO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 2600 साल पहले यानी 660 ईसा पूर्व में असीरियन नाम की एक पुरानी सभ्यता ने अपने दुश्मनों को नुकसान पहुंचाने के लिए एक जहरीली फंगस को उनके पानी में मिला दिया था.

भारत भी है खतरे में

भारत एक ऐसा देश है जहां करोड़ों लोग खेती से अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. यहां की जमीन उपजाऊ है और खेती देश की रीढ़ मानी जाती है. लेकिन यही खेती आज जैविक आतंकवाद के खतरे से घिरी हुई है.

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य उन इलाकों में आते हैं जो पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों की सीमा से जुड़े हुए हैं. अगर इन सीमावर्ती इलाकों में कोई जहरीला रोग जानबूझकर फैलाया जाता है, तो हमारी फसलें बर्बाद हो सकती हैं और इससे देश की खाद्य सुरक्षा पर बड़ा संकट खड़ा हो सकता है.

DRDO की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ साल पहले बांग्लादेश में एक खतरनाक फंगस मिला था, जिसका नाम था Magnaporthe oryzae pathotype Triticum (MoT). बाद में ये फंगस पश्चिम बंगाल के दो जिलों में भी फैल गया. हालात इतने गंभीर हो गए कि वहां तीन साल तक गेहूं की खेती पर रोक लगानी पड़ी.

क्यों है यह चिंता का विषय?

ये चिंता की बात इसलिए है क्योंकि जैविक हथियारों को तैयार करना न तो बहुत मुश्किल होता है और न ही बहुत महंगा. यानी कोई भी दुश्मन देश या संगठन इन्हें आसानी से बना सकता है.

सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि जब ये खतरनाक कीटाणु या फंगस खेतों में फैलते हैं, तो किसान शुरुआत में समझ ही नहीं पाते कि फसल को क्या नुकसान हो रहा है. और जब तक उन्हें पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

अगर ऐसा कोई हमला होता है, तो इसका असर सिर्फ फसलों तक ही नहीं रहेगा. इससे भूखमरी, लाखों लोगों की नौकरियां छिनना, और देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है.

भारत को अब क्या करना चाहिए?

अब भारत को सिर्फ बॉर्डर पर ही नहीं, बल्कि खेतों की भी सुरक्षा करनी होगी. जैसे हम दुश्मनों से देश की सीमा की रक्षा करते हैं, वैसे ही अब हमें अपनी फसलों को भी जैविक हमलों से बचाना होगा.

सरकार को कुछ जरूरी कदम उठाने चाहिए-

  • सीमा से लगे राज्यों में निगरानी बढ़ानी चाहिए ताकि कोई भी जहरीला वायरस या कीटाणु देश में न आ सके.
  • किसानों और कृषि वैज्ञानिकों को ऐसे खतरों के बारे में जानकारी दी जाए और उन्हें सिखाया जाए कि अगर कोई बीमारी फसलों में फैल रही है, तो उससे कैसे निपटा जाए.
  • साथ ही, सरकार को दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि इस तरह के मामलों की जानकारी समय पर मिले और कोई बड़ा नुकसान होने से पहले ही रोकथाम हो सके.

 

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Published: 4 Jun, 2025 | 04:49 PM

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