अगेती धान की बुवाई करने वाले किसानों को यह खबर जरूर पढ़ना चाहिए, क्योंकि धान की बुवाई करते समय उन्होंने जितनी सावधानियां बरती थीं, अब उससे कहीं और अधिक सावधान और ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है. दरअसल, धान की फसल में अब बाली निकलने का समय आ गया है. ऐसे में अगले 10 दिनों तक किसानों को धान की अच्छी तरह से देखरेख करने की जरूरत है, नहीं तो बाली बनने की प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है. ऐसे में पैदावार भी प्रभावित हो सकती है.
खास बात यह है कि हरियाणा, पंजाब और पश्चमी उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर धान की अगेती किस्मों में बालियां दिखने भी लगी हैं. इसलिए इस समय फसल का खास ख्याल रखना जरूरी है. एक्सपर्ट का कहना है कि बाली के बाद दाना बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. अगर किसान इस समय अच्छी देखभाल करें, तो फसल की गुणवत्ता बेहतर होगी और पैदावार भी ज्यादा मिलेगी. लेकिन अगर थोड़ी सी भी लापरवाही हुई, तो फसल को नुकसान हो सकता है.
नाइट्रोजन से पौधों को पहुंचता है नुकसान
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर आपकी धान की फसल 55 से 60 दिन की हो गई है, तो अब उसमें बाली निकलने का समय आ गया है. इसलिए किसानों को धान के खेत में इस समय नाइट्रोजन का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए. अगर इस समय नाइट्रोजन दी गई, तो पौधों की पत्तियां ज्यादा कोमल और रसीली हो जाएंगी, जिससे कीट आसानी से आकर्षित होंगे और फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं. साथ ही, नाइट्रोजन के असर से बाली में दाने ठीक से नहीं बनते और कई दाने खाली रह जाते हैं, जिससे पैदावार कम हो जाती है. इसके अलावा धान की क्वालिटी पर भी असर पड़ सकता है. इसलिए जिन किसानों की फसल में धान की बाली आ रही है, तो भूलकर भी नाइट्रोजन का छिड़काव नहीं करें.
नाइट्रोजन की जगह पोटाश का करें इस्तेमाल
साथ ही कृषि एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि किसान धान की पैदावार बढ़ाने के लिए अक्सर ज्यादा उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें सबसे ज्यादा नाइट्रोजन की मात्रा होती है. लेकिन किसानों को मालूम होने चाहिए बाली निकने के दौरान धान की फसल में नाइट्रोजन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. क्योंकि नाइट्रोजन देने से पौधे का तना कमजोर हो सकता है और दाने सही से नहीं भरते हैं. इसलिए इस समय पौधे को मजबूती और दाने भरने के लिए पोटाश जैसे पोषक तत्वों की जरूरत होती है. नाइट्रोजन अधिक देने से पौधा जरूरत से ज्यादा लंबा हो जाता है, जिससे तना पतला पड़ जाता है और बाली का वजन सहन नहीं कर पाता. इससे फसल के गिरने का खतरा बढ़ जाता है.