अब ऐसे किसान 2 साल तक MSP पर नहीं बेच पाएंगे फसल, रेड एंट्री में नाम दर्ज.. जानें पूरा मामला

हरियाणा के करनाल जिले में पराली जलाने पर रोक के तहत 12 किसानों की MFMB पोर्टल पर रेड एंट्री की गई. विभाग ने इन-सिटू और एक्स-सिटू प्रबंधन बढ़ाकर 4 लाख टन पराली मिट्टी में मिलाई और बचे हिस्से को उद्योगों में भेजा.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 19 Nov, 2025 | 03:42 PM

Haryana News: हरियाणा के करनाल जिले में पराली जलाने पर रोक के तहत कृषि और किसान कल्याण विभाग ने ‘मेरी फसल, मेरा ब्यौरा (MFMB)’ पोर्टल पर 12 किसानों के खिलाफ रेड एंट्री की है. इसके कारण ये किसान अगले दो खरीफ सीजन तक MSP पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे. यह कदम जिला प्रशासन की खेत में आग रोकने की मेहनत का हिस्सा है. डिप्टी डायरेक्टर कृषि डॉ. वजीर सिंह ने कहा कि 17 नवंबर तक करनाल में 18 एक्टिव फायर लोकेशन (AFLs) दर्ज हुईं, जिनमें से एक गलत अलर्ट और एक गैर-कृषि भूमि पर था. विभाग ने अब तक 13 FIR दर्ज की हैं और उल्लंघनकर्ताओं पर 75,000 रुपये का जुर्माना लगाया है.

हालांकि, पिछले साल इसी समय तक 90 AFLs दर्ज हुई थीं. गिरावट का श्रेय किसानों में बढ़ती जागरूकता और पराली से कमाई करने की प्रवृत्ति को दिया गया है. डॉ. सिंह ने कहा कि विभाग ने इन-सिटू पराली प्रबंधन का क्षेत्र बढ़ाकर लगभग 2 लाख एकड़ कर दिया है, जबकि एक्स-सिटू प्रबंधन का क्षेत्र घटकर 2 लाख एकड़ रह गया है. यह बदलाव किसानों में मिट्टी और पर्यावरण  के लाभों को लेकर बढ़ती जागरूकता की वजह से हुआ है, क्योंकि इन-सिटू तरीके में पराली को जला कर नष्ट करने की बजाय मिट्टी में वापस मिलाया जाता है.

इन-सिटू और एक्स-सिटू पराली प्रबंधन में बढ़ी किसानों की रूचि

करनाल के किसान अब इन-सिटू और एक्स-सिटू पराली प्रबंधन को अपनाने में उत्साहित हैं. लगातार चल रही जागरूकता अभियान, CRM मशीनों की आसान उपलब्धता और तकनीकी मार्गदर्शन ने किसानों को सस्टेनेबल तरीके अपनाने के लिए प्रेरित किया है. डॉ. सिंह ने कहा कि जिले में पर्याप्त मशीनरी उपलब्ध है. 3,500 सुपर सीडर, 900 मुल्चर और 350 बाइलर, कटर और हे रेक, जिससे बड़े पैमाने पर पर्यावरण-friendly पराली प्रबंधन  किया जा रहा है. इस साल लगभग 9 लाख मीट्रिक टन धान की पराली इन-सिटू और एक्स-सिटू तरीकों से प्रबंधित की जा रही है. इसमें से 1 लाख टन चारा के रूप में, 4 लाख टन मिट्टी में मिलाकर और लगभग 4 लाख टन बाइलर से प्रोसेस कर उद्योगों जैसे शराब निर्माण, बायोएनर्जी प्लांट और अन्य सेक्टरों में भेजा जाएगा.

किन जिलों में आए कितने मामले

हरियाणा में इस सीजन के दौरान पराली जलाने  की घटनाओं में 47 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है. 17 नवंबर तक राज्य में 573 एक्टिव फायर लोकेशन (AFLs) दर्ज हुए, जबकि 2024 में यह संख्या 1,082 थी. पिछले सालों में यह आंकड़े क्रमशः 2023 में 2,031, 2022 में 3,271 और 2021 में 6,094 थे, जो लगातार गिरावट दिखाते हैं. जिलेवार स्थिति देखें तो जिंद सबसे आगे है (166 AFL), इसके बाद फतेहाबाद (83), हिसार (65), कैथल (59), सोनीपत (54), रोहतक (36), सिरसा (31), कर्नाल (18) और अन्य जिले क्रमशः कम मामलों के साथ हैं.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 19 Nov, 2025 | 02:13 PM

भारत में सबसे पहले सेब का उत्पादन किस राज्य में शुरू हुआ.

Side Banner

भारत में सबसे पहले सेब का उत्पादन किस राज्य में शुरू हुआ.