मॉनसून बना किसानों के लिए काल! भारी बारिश से सड़ गया 50 फीसदी प्याज..मंडी में रेट गिरने से भी आर्थिक नुकसान

महाराष्ट्र के पुणे जिले में लगातार बारिश से प्याज किसानों को भारी नुकसान हुआ है. भंडारित प्याज सड़ने से उनकी कमाई पर असर पड़ा है. कीमतें स्थिर हैं और लागत बढ़ रही है. किसान संगठनों ने सरकार से मुआवजे और दाम स्थिर करने की मांग की है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 23 Sep, 2025 | 11:52 AM

Maharashtra News: महाराष्ट्र के पुणे जिले के प्याज किसानों को बारिश से भारी नुकसान झेलना पड़ा. बीते दिनों हुई भारी बारिश से भंडारित प्याज का बड़ा हिस्सा खराब हो गया. इससे किसानों को बड़ी आर्थिक हानि हुई है. जिले के सबसे बड़े प्याज उत्पाद क्षेत्र जुन्नार और शिरूर के किसानों का कहना है कि बारिश करीब 50 फीसदी भंडारित प्याज सड़ गया, जिससे उन्हें मॉनसून के दौरान बेहतर दाम मिलने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. दरअसल, आमतौर पर किसान गर्मियों में प्याज की फसल काटते हैं और उसे अस्थायी या कच्चे गोदामों में जमा करके रखते हैं, ताकि मॉनसून में जब बाजार में प्याज की कमी हो, तब अच्छे दाम मिल सकें. लेकिन इस साल दाम 1,200 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच ही अटके रहे. ऊपर से फसल को बारिश से हुए नुकसान ने किसानों को आर्थिक रूप से बहुत कमजोर कर दिया है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जुन्नार के किसान आलकेश काशिद ने कहा कि लगातार बारिश की वजह से  मैं प्याज को सुखाने के लिए बाहर नहीं निकाल पाया, इसलिए मेरी लगभग 50 फीसदी भंडारित प्याज  खराब हो गई. कई अन्य किसानों ने भी यही चिंता जताई कि भंडारण केंद्रों के अंदर नमी के कारण प्याज की गुणवत्ता बनाए रखना बहुत मुश्किल हो गया. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, प्याज को लंबे समय तक सही हालत में रखने के लिए अच्छी हवा और समय-समय पर सुखाना बहुत जरूरी होता है. लेकिन जब बारिश अनियमित या लगातार होती है, तो किसान ये जरूरी स्थितियां नहीं बना पाते.

प्याज नमी के प्रति संवेदनशील

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि प्याज की फसल नमी  के प्रति बहुत संवेदनशील होती है. एक बार सड़ना शुरू हो जाए तो यह तेजी से पूरे ढेर में फैल जाता है. इसका आर्थिक असर काफी बड़ा है. पुणे जिले में प्याज किसानों की सबसे अहम नकदी फसलों में से एक है और इस नुकसान का आंकड़ा कई करोड़ तक पहुंच सकता है. खेड़ तहसील के किसान नेता शंकरराम सरवडे ने कहा कि छोटे और मध्यम स्तर के किसानों ने भंडारण के लिए भारी निवेश किया था और उन्हें उम्मीद थी कि मानसून में अच्छे दाम मिलेंगे. लेकिन अब हालात बेहद चिंताजनक हैं.

किसानों की क्या है परेशानी

किसान संगठनों ने सरकार से तुरंत दखल देने की मांग की है. इसमें प्याज के दाम स्थिर करने और फसल नुकसान की भरपाई  शामिल है. शिरूर के एक किसान नेता ने कहा कि हम पहले से ही बढ़ती लागत से परेशान हैं. अब इतने भारी नुकसान के बाद अगली फसल की तैयारी करना कई किसानों के लिए नामुमकिन हो जाएगा. महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है, इसलिए यहां की परेशानी का असर पूरे देश की सप्लाई चेन पर पड़ सकता है. अगर प्याज की कीमतें इसी तरह कम बनी रहीं, तो किसान धीरे-धीरे इसकी खेती से दूरी बना लेंगे.

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Published: 23 Sep, 2025 | 11:50 AM

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