लुधियाना में गेहूं का रकबा 2.4 लाख हेक्टेयर पहुंचेगा, प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल पैदावार की उम्मीद

लुधियाना में धान की 90 फीसदी कटाई पूरी हो चुकी है और रबी के लिए गेहूं की बुवाई 20 फीसदी क्षेत्र में हो गई है. जिले में फसल आग की घटनाएं कम हुई हैं. किसान पुआल प्रबंधन के लिए इन-सिटू और एक्स-सिटू विकल्प चुन सकते हैं, जिसमें मुल्चिंग, इंकॉरपोरेशन और बेलींग पद्धति शामिल हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 24 Nov, 2025 | 04:40 PM

Punjab News: लुधियाना में धान की कटाई अपने अंतिम चरण में है. लगभग 90फीसदी धान की कटाई पूरी हो गई है. इसके साथ ही किसानों में गेहूं की बुवाई शुरू कर दी है. कहा जा रहा है कि अब तक रबी के लिए निर्धारित क्षेत्र का लगभग 20 फीसदी हिस्से में गेहूं की बुवाई हो गई है. आने आने वाले दिनों में गेहूं बुवाई में और तेजी आएगी. आग्रहिक विभाग के मुताबिक, जिले में गेहूं की बुवाई 2.4 लाख हेक्टेयर में होने की उम्मीद है. खास बात यह है कि इस बार प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल उपज का अनुमान लगाया गया है.

अगर धान की बात करें तो जिले की मंडियों में अब तक 10.21 लाख मीट्रिक टन धान पहुंच चुका है, जबकि प्रति एकड़ 29-30 क्विंटल उपज की उम्मीद है. इस वर्ष धान की बुवाई 9 जुलाई से शुरू हुई थी और इसे लगभग 2.57 लाख हेक्टेयर में लगाया गया. इस साल फसल आग की घटनाओं में भी काफी कमी आई है, सिर्फ 57 मामले सामने आए. जबकि पिछले साल 332 मामले थे. मुख्य कृषि अधिकारी गुरदीप सिंह के अनुसार, यह कमी किसानों द्वारा धान की पुआल प्रबंधन  के अन्य तरीकों को अपनाने की वजह से आई है.

पुआल प्रबंधन के लिए दो विकल्प चुन सकते हैं किसान

अधिकारियों के अनुसार, किसान पुआल प्रबंधन के लिए दो विकल्प चुन सकते हैं. इन-सिटू या एक्स-सिटू. इन-सिटू का मतलब है कि पुआल को खेत में ही प्रबंधित किया जाए, जबकि एक्स-सिटू का मतलब है कि पुआल को खेत से बाहर प्रबंधित किया जाए. इन-सिटू प्रबंधन में हैप्पी सीडर, रोटावेटर और हल जैसी मशीनें इस्तेमाल होती हैं. मुल्चिंग पद्धति में पुआल को हटाए बिना ही गेहूं की बुवाई की जा सकती है. वहीं, इंकॉरपोरेशन पद्धति में पुआल को मिट्टी में मिलाया जाता है. एक्स-सिटू प्रबंधन में बेलींग पद्धति अपनाई जाती है. इसमें पुआल को दबाकर गट्ठों में बांधा जाता है, जिन्हें बाद में फैक्ट्रियों या अन्य जगहों पर इस्तेमाल किया जा सकता है.

गेहूं के बीज की है कमी

वहीं, बीते दिनों खबर सामने आई थी कि संगरूर और बर्नाला में गेहूं के बीज  की कमी से किसान परेशान हैं. किसान कहते हैं कि सरकार बीज देने की बात कर रही है, लेकिन अभी तक किसी को भी बैग नहीं मिला. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) के विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं की बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच पूरी हो जानी चाहिए, नहीं तो पैदावार पर असर पड़ेगा. संगरूर के लड्डी गांव के जत्थार सिंह ने कहा कि देरी से किसानों में चिंता बढ़ रही है. कृषि अधिकारियों के अनुसार, सब्सिडी वाले बीज केवल J फॉर्म वाले किसानों को ही मिलेंगे और इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना जरूरी है.

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