Punjab News: पंजाब में बाढ़ और बारिश से फसल बर्बादी के बीच 16 सितंबर से धान की खरीद शुरू हो गई है. लेकिन फसल तैयार न होने के चलते किसान काफी कम संख्या में उपज लेकर मंडी पहुंच रहे हैं. इस बार कपूरथला जिले में कई मंडियों के माध्यम से सरकार ने 8.20 लाख मीट्रिक टन धान खरीद (paddy procurement) का लक्ष्य रखा है. हालांकि, अब तक सिर्फ 60 मीट्रिक टन धान ही सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदा जा सका है. खास बात यह है इस साल बाढ़ और बारिश से जिले में 30,000 एकड़ से ज्यादा फसल की बर्बादी हुई है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कपूरथला जिले में भारी बारिश और बाढ़ के कारण 39,300 एकड़ भूमि पर फसल को नुकसान हुआ है, जिसमें से 33,264 एकड़ में धान की फसल थी. अकेले सुल्तानपुर लोधी में 22,000 एकड़ धान की फसल पूरी तरह से खराब हो गई है, जो जिले में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र है. हालांकि प्रशासन ने कहा है कि नदाला और धिलवां ब्लॉक में कुछ खेतों को दोबारा तैयार किया गया है.
13,450 एकड़ में धान की खेती
प्रशासन ने यह भी साफ किया है कि इस साल भी धान खरीद का लक्ष्य पिछले साल की पैदावार को आधार मानकर तय किया गया है, भले ही इस बार भारी नुकसान हुआ है. ऐसे इस साल कपूरथला में करीब 2,89,113 एकड़ में धान की खेती हुई थी. इसमें से 33,264 एकड़ फसल को आंशिक या पूरा नुकसान हुआ है. वहीं, नदाला और धिलवां ब्लॉक में 13,450 एकड़ में धान की खेती हुई थी, जिनमें से 5,660 एकड़ में 25 फीसदी से 75 फीसदी तक फसल का नुकसान पाया गया है.
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कपूरथला जिले में इस साल धान की खेती का रकबा थोड़ा बढ़ा है. पिछले साल जहां 1,16,600 हेक्टेयर में धान बोया गया था, वहीं इस साल यह बढ़कर 1,17,000 हेक्टेयर हो गया है. पैदावार लक्ष्य 8.54 लाख मीट्रिक टन, लेकिन बाढ़ को देखते हुए घटाकर 8.20 लाख मीट्रिक टन किया गया. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि यह लक्ष्य विशेष गिरदावरी पूरी होने के बाद बदला भी जा सकता है.
पैदावार में आ सकती है गिरावट
इस बार सरकार ने धान खरीद के दौरान नमी की अधिकतम सीमा 17 फीसदी तय की है. साथ ही, धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,389 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है. कपूरथला के मुख्य कृषि अधिकारी एचपीएस भरौत ने कहा कि हाल ही में अधिक नमी और अचानक बढ़े तापमान के कारण धान की फसल पर असर पड़ा है. हालांकि नदाला, धिलवां और फगवाड़ा जैसे कुछ इलाकों में फसल की स्थिति में सुधार भी हुआ है. उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में फसल में डिसकलरेशन (रंग बदलना) और फॉल्स स्मट (नकली झुलसा रोग) जैसी बीमारियां देखी गई हैं. औसतन 29 क्विंटल प्रति एकड़ के अनुमानित उत्पादन में से कुछ क्षेत्रों में 2 से 3 क्विंटल प्रति एकड़ की गिरावट हो सकती है. भरौत ने यह भी बताया कि जिले के लिए इस बार 8.20 लाख मीट्रिक टन का अनुमानित उत्पादन लक्ष्य रखा गया है और मंडियों में खरीद प्रक्रिया जारी है.