Punjab News: पंजाब में जैसे-जैसे धान कटाई में तेजी आ रही है वैसे-वैसे पराली जलाने के मामले में भी बढ़ोतरी हो रही है. पंजाब में हाल ही में 60 नए पराली जलाने के मामले सामने आए हैं, जिससे 15 सितंबर से अब तक कुल मामले 621 हो गए हैं. इनमें से 380 मामले पिछले सात दिनों में ही दर्ज किए गए हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित जिला तारनतारन है, जहां शनिवार को 21 नए मामले आए और कुल मामले 196 हो गए. इसके बाद अमृतसर में 144, फिरोजपुर में 67, पटियाला में 35 और संगरूर में 28 मामले सामने आए हैं. हालांकि, मालवा क्षेत्र में भी पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं, जबकि अक्टूबर के मध्य तक वहां केवल कुछ मामले ही सामने आए थे.
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, लगभग आधी धान की फसल कटाई के बाद और गेहूं की बुआई शुरू होने के कारण अगले कुछ दिनों में पराली जलाने की संख्या बढ़ सकती है. हालांकि इस साल के मामले पिछले साल के समान अवधि के 1,749 मामलों की तुलना में काफी कम हैं. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने कहा कि इस साल पराली जलाने के मामले लगभग 70 फीसदी कम हैं, जिसका श्रेय फील्ड अधिकारियों और डिप्टी कमिश्नरों के सतत प्रयासों और किसानों को मशीनरी उपलब्ध कराने को दिया जा रहा है. अब तक केवल 52.28 फीसदी धान की फसल कट चुकी है. अमृतसर और तारनतारन में कटाई 80 फीसदी तक पहुंच गई है, जबकि मालवा के बाकी जिलों में यह 50 फीसदी से कम है, जो पराली जलाने के लिए मुख्य क्षेत्र हैं.
अब तक 241 FIRs दर्ज
पंजाब पुलिस ने अब तक 241 FIRs दर्ज की हैं, जिनमें किसान पराली जलाने के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में शामिल हैं. इनमें से 68 FIRs सिर्फ तारनतारन जिले में दर्ज की गई हैं, जो सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले वाला जिला है. किसानों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत कार्रवाई की गई है, जो सार्वजनिक अधिकारी के आदेश का पालन न करने के लिए लागू होती है. पराली जलाने को रोकने के लिए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) ने उल्लंघन करने वालों के जमीन रिकॉर्ड में 276 “रेड एंट्रीज” की हैं, जिससे वे कृषि ऋण नहीं ले सकते और जमीन बेच भी नहीं सकते. इसके अलावा, बोर्ड ने 296 मामलों में 15.15 लाख रुपये का पर्यावरण मुआवजा लगाया है, जिसमें से 10.02 लाख रुपये वसूल किए जा चुके हैं.
338 नोडल अधिकारियों को नोटिस जारी
इस बीच, राज्य सरकार ने 338 नोडल अधिकारियों को नोटिस जारी किया है, क्योंकि वे अपने-अपने क्षेत्रों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में विफल रहे. अधिकारियों ने कहा कि जिन अधिकारियों ने फसल अवशेष प्रबंधन के निर्देशों का पालन नहीं किया, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. बार-बार अपील और सरकार द्वारा इन-सिटू फसल अवशेष प्रबंधन व विशेष मशीनरी के उपयोग के प्रोत्साहन के बावजूद, कई किसान जल्दी और सस्ती तरीका मानकर पराली जलाना जारी रख रहे हैं. अधिकारियों ने बताया कि राजस्व, कृषि और पुलिस विभाग की संयुक्त टीमें राज्यभर में उल्लंघनों को रोकने और नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए तैनात की गई हैं.