Tamil Nadu News: तमिलनाडु के डेल्टा जिले थंजावुर, तिरुवरुर, नागपट्टिनम और मयिलाडुथुरै में इस साल धान की भरपूर पैदावार हुई है, लेकिन राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (TNCSC) की कमजोर तैयारी और केंद्र सरकार के नए फोर्टिफाइड चावल मिश्रण नियमों के कारण धान की खरीद काफी धीमी हो गई है. साथ ही लगातार बारिश के बीच किसान अपनी फसल खुले में डिपो (DPC) के पास रखने को मजबूर हैं, जिससे धान खराब हो रहा है और उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. इस बीच उपमुख्यमंत्री उधयनिधि स्टालिन और विपक्ष के नेता एडप्पाड़ी के. पलानीस्वामी एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, लेकिन किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कक्करैक्कोट्टई गांव के किसान पी. मेइक्कप्पन, जिन्होंने नौ एकड़ में धान उगाया था, अपनी 500 बोरियां लेकर खरीद केंद्र पहुंचे. उन्होंने कहा कि बारिश का पानी तिरपाल से ढके ढेर में घुस गया, जिससे लगभग 15 बोरियों का धान अंकुरित हो गया. वहीं, सेथुरायनकुडिक्काडु के किसान वी. मणिमारन ने कहा कि दो हफ्तों से प्रतीक्षा करने के बाद भी उन्हें धान बेचने का टोकन नहीं मिला और बारिश में उनकी 100 में से 20 बोरियां खराब हो गईं. मेइक्कप्पन ने कहा कि खराब धान के साथ उन्हें रोजाना तीन मजदूरों को मेहनताना देना पड़ता है, जिससे कुल मिलाकर लगभग 20 फीसदी तक की आमदनी का नुकसान हो रहा है.
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धान का रकबा 60 फीसदी बढ़ गया
इस साल मेट्टूर बांध से समय पर पानी छोड़े जाने की वजह से तमिलनाडु के डेल्टा जिलों में कुरुवई धान की खेती 2.28 लाख हेक्टेयर में की गई, जो पिछले 60 वर्षों में सबसे ज्यादा है और पिछले साल की तुलना में करीब 60 फीसदी अधिक है. इससे उत्पादन भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. 24 अक्टूबर तक 5.67 लाख टन धान की खरीद हो चुकी है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 2.08 लाख टन धान खरीदा गया था.
चावल के नए नमूने को मंजूरी नहीं दी
राज्य किसान संघ के महासचिव पी. एस. मसीलमणी ने कहा कि सरकार को तीन महीने पहले से पता था कि इस बार खेती का क्षेत्र बढ़ा है, फिर भी भंडारण और परिवहन की तैयारी नहीं की गई, जिसके कारण डिपो (DPC) पर धान का अंबार लग गया. उन्होंने कहा कि बारिश ने स्थिति और खराब कर दी. खरीदा हुआ धान भीग गया और खेतों में खड़ी फसल जलमग्न हो गई. राज्य के खाद्य मंत्री आर. सक्करापाणी ने कहा कि केंद्र सरकार ने अब तक फोर्टिफाइड (पोषक तत्व मिले) चावल के नए नमूने को मंजूरी नहीं दी है, जिसके चलते खरीदे गए धान को चावल में नहीं बदला जा सका. इससे गोदामों से मिलों तक धान भेजने में देरी हुई.
गुणवत्ता जांच शुरू कर दी
चावल मिल मालिकों ने भी कहा कि फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) की कमी एक बड़ी वजह है. ये कर्नल चावल में 1:100 के अनुपात में मिलाए जाते हैं, लेकिन फिलहाल उनकी उपलब्धता नहीं है. हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही कर्नेल मिल जाएंगे. गौरतलब है कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने शनिवार से नामक्कल में कर्नेल की गुणवत्ता जांच शुरू कर दी है.