केंद्र सरकार ने कई राज्यों, खासकर आंध्र प्रदेश में कृषि-ग्रेड यूरिया के गलत इस्तेमाल को लेकर गंभीर चिंता जताई है. सरकार को शक है कि यूरिया का इस्तेमाल खेती की जगह अब औद्योगिक और गैर-कृषि कामों में किया जा रहा है. केंद्रीय कृषि सचिव और कैबिनेट सचिव के निर्देश के बाद आंध्र प्रदेश का कृषि विभाग जल्द ही कड़े नियम जारी करने की तैयारी में है, ताकि इस गड़बड़ी को रोका जा सके. प्रदेश के कृषि निदेशक एस दिल्ली राव का कहना है कि इस खरीफ सीजन में यूरिया की खपत में अचानक तेजी आई है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश में इस साल 3.88 लाख मीट्रिक टन यूरिया की खपत हुई है. जबकि पिछले साल ये खपत 3 लाख मीट्रिक टन थी. यानी 88,000 मीट्रिक टन ज्यादा उपयोग हुआ. यूरिया, जो सिर्फ फसल की खेती के लिए होता है, अब कथित रूप से प्लाईवुड, वार्निश, पेंट, AdBlue सलूशन, बीयर, नकली शराब, मछली पालन, पोल्ट्री और पशु चारे जैसी इंडस्ट्रीज में इस्तेमाल हो रहा है. कुछ यूरिया पड़ोसी राज्यों में तस्करी के जरिए भेजे जाने की भी आशंका है.
दूसरे राज्यों में यूरिया की तस्करी?
आंध्र प्रदेश के कई जिले जैसे एनटीआर, एलुरु, पलनाडु, कुरनूल, अनंतपुर, श्री सत्य साई, चित्तूर, तिरुपति, एएसआर, मन्यम, विशाखापत्तनम और श्रीकाकुलम की सीमाएं तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से मिलती हैं. इसी वजह से यूरिया की अवैध रूप से एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने का खतरा बढ़ गया है. इस मुद्दे पर जल्द ही मुख्य सचिव की अगुवाई में एक हाई-लेवल मीटिंग होगी, जिसमें सख्त निगरानी और कार्रवाई की रणनीति तैयार की जाएगी. परिवहन विभाग के साथ तालमेल बनाकर राज्य की सीमाओं पर आवाजाही पर नजर रखने की योजना भी बनाई जा रही है.
कृषि निदेशक दिल्ली राव ने कहा कि इसके बाद हर जिले में मीटिंग्स होंगी, जिनमें डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, जॉइंट कलेक्टर और इंडस्ट्री से जुड़े लोग शामिल होंगे. यूरिया बिक्री के आंकड़े भी जांचे जाएंगे, ताकि यह पता चल सके कि कहां-कहां असामान्य रूप से ज्यादा खरीदारी हो रही है.
जमाखोरी और ब्लैक मार्केटिंग के 145 मामले दर्ज
बता दें कि कल ही खबर सामने आई थी कि देश में चालू खरीफ सीजन के दौरान खाद की जमाखोरी और ब्लैक मार्केटिंग के 145 मामले दर्ज किए गए हैं. यह जानकारी केंद्र सरकार ने गुरुवार को संसद में दी. रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा कि सबसे ज्यादा कार्रवाई उत्तर प्रदेश में हुई, जहां 47 एफआईआर (44 ब्लैक मार्केटिंग और 3 जमाखोरी के मामले) दर्ज की गई हैं. इसके बाद बिहार में 18 और महाराष्ट्र में 15 मामले दर्ज किए गए हैं.