पंजाब के कपूरथला में भयंकर बाढ़, हजारों एकड़ खेत जलमग्न.. कई किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद

कपूरथला जिले में ब्यास नदी में बाढ़ से हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई. धान, मक्का, गन्ने की फसल पानी में डूब गई है. ऐसे में किसान राहत और मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 3 Aug, 2025 | 02:00 PM

पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश और बांध से पानी छोड़े जाने के कारण पंजाब के कपूरथला जिले में भयंकर बाढ़ आ गई है. इससे हजारों एकड़ खेत जलमग्न हो गए हैं और किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं. ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से भुलत सब-डिवीजन के कई गांवों में पानी भर गया है. मंड हबीबवाल, टांडी, रायपुर अराइयां, दौदपुर, मिर्जापुर, चक्कोकी मंड, बुटाला और धिलवां जैसे गांवों में धान, मक्का, गन्ना और सब्जियों की फसलें पानी में डूब गई हैं. किसानों के लिए यह 10 दिनों में दूसरी बार बाढ़ का झटका है. पहले ही फसल को नुकसान हुआ था और अब हालात और बिगड़ गए हैं.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कई किसान परिवारों को घर छोड़कर जाना पड़ा है. गुर्जर समुदाय के लोग अपने पशुओं को सुरक्षित जगहों पर ले जा रहे हैं. राहत शिविर न होने के कारण लोग सड़कों के किनारे प्लास्टिक और लकड़ी की झोपड़ियों में शरण ले रह रहे हैं. एक विस्थापित किसान ने कहा कि सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही, हम अकेले ही सब कुछ झेल रहे हैं.

बाढ़ की तबाही बेहद गंभीर है. किसान रंधीर सिंह की 35 एकड़ धान की फसल पूरी तरह डूब गई है. नंबदार मलकीत सिंह, परमजीत सिंह, रंजीत सिंह, सुखविंदर सिंह और मनजीत कौर की 15-15 एकड़ की फसलें भी बर्बाद हो गई हैं. बाबा हरदीप सिंह की 12 एकड़, निशान सिंह की 10 एकड़ और कुलतर पवित्तर सिंह की 9 एकड़ फसल पानी में डूब गई है.

इन किसानों की फसल हो गई बर्बाद

चक्कोकी गांव के किसानों वरिंदर सिंह, आसिफ अली, शाह अली, एहसान अली और जलालुद्दीन ने कहा कि उनकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है, क्योंकि खेत कई फीट पानी में डूबे हुए हैं. वहीं, स्थानीय लोगों और नेताओं में गुस्सा बढ़ रहा है. उनका कहना है कि ब्यास नदी के प्राकृतिक प्रवाह से छेड़छाड़ के कारण हर साल ऐसी बाढ़ आती है. चक्कोकी गांव के सरपंच जगतार सिंह ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि जानबूझकर ब्यास नदी का बहाव मंड इलाके की तरफ मोड़ा जाता है, जिससे हर साल कटाव और बाढ़ की स्थिति और बिगड़ती है. उन्होंने कहा कि हर मॉनसून में हमारे खेत और घर कुर्बान हो जाते हैं, लेकिन कोई स्थायी हल नहीं निकलता.

सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग

प्रभावित किसान अब सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. उनकी अपील है कि फसलों के नुकसान का जल्द से जल्द सर्वे किया जाए, उचित मुआवजा दिया जाए और भविष्य में बाढ़ रोकने के लिए ठोस इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए. 

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Published: 3 Aug, 2025 | 01:54 PM

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