Maharashtra News: दिवाली के बाद आम जनता को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है. कहा जा रहा है खरीफ प्याज का स्टॉक खत्म होने के चलते नवंबर से प्याज महंगा हो सकता है.नासिक जिले के किसानों का कहना है कि लगातार बारिश के कारण करीब 80 प्रतिशत खरीफ और देर से बोई गई खरीफ प्याज की फसल खराब हो गई है. इससे अक्टूबर और नवंबर में प्याज की सप्लाई कम हो सकती है, जिससे बाजार में कीमतें बढ़ सकती हैं. इस संभावित कमी को देखते हुए केंद्र सरकार इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी चिंतित हैं कि अगर अभी बची हुई ग्रीष्मकालीन प्याज की फसल खत्म हो गई, तो अक्टूबर और नवंबर में प्याज की किल्लत हो सकती है. ग्रीष्मकालीन प्याज मार्च-अप्रैल में कटती है और इसे छह से सात महीने तक रखा जा सकता है, जबकि खरीफ और देर से बोई गई प्याज जल्दी लगभग एक महीने में खराब हो जाती है. इसलिए किसान इसे जल्दी बेचने को मजबूर होते हैं, ताकि नुकसान न हो. वहीं, प्याज उगाने वाले किसानों ने भारी आर्थिक नुकसान की वजह से सरकार से तुरंत मुआवजे की मांग की है. नासिक, अहिल्यानगर और छत्रपति संभाजीनगर महाराष्ट्र के मुख्य प्याज उत्पादन जिलों में शामिल हैं, जो राज्य की कुल उत्पादन में बड़ा योगदान देते हैं.
फसलों को बहुत अधिक नुकसान
वहीं, महाराष्ट्र में हाल ही हुई भारी बारिश से फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा. ऐसे में केंद्रीय सरकार की टीम ने फसल नुकसान का आकलन करने के लिए नासिक जिले का दौरा किया. टीम ने खेतों में जाकर खरीफ प्याज की फसल को हुए नुकसान का आकलन किया और देर से बोई गई खरीफ फसलों की स्थिति का भी जायजा लिया. साथ ही, बारिश की वजह से अधिक नमी के कारण खराब हुए प्याज के भंडारण स्थल का भी निरीक्षण किया.
खरीफ प्याज की कब होती है बुवाई
राज्य के कृषि अधिकारियों ने कहा है कि फसल के नुकसान का पूरा अंदाजा एक विस्तृत सर्वे के बाद ही लगाया जा सकेगा. वे उम्मीद कर रहे हैं कि ज्यादा किसान देर से बोई जाने वाली खरीफ प्याज की फसल लगाएंगे, जो आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर में बोई जाती है. लेकिन नई प्याज की फसल, जो सामान्यतः अक्टूबर के अंत तक बाजार में आती है, इस बार दिसंबर के मध्य तक आ सकती है.
टीम में कौन-कौन लोग थे शामिल
बता दें कि इस टीम में कृषि विभाग, फसलों की देखभाल विभाग और महाराष्ट्र कृषि विभाग के अधिकारी शामिल थे. इस टीम का नासिक के प्याज उगाने वाले इलाकों का यह लगातार दूसरा दौरा था, क्योंकि पिछले महीने भी भारी बारिश के बाद उनकी पहले भी जांच हो चुकी थी. कहा जा रहा है कि अधिकारियों ने कई खेतों में जाकर फसल के नुकसान का आकलन किया. साथ ही स्थानीय और राज्य अधिकारियों से बातचीत की और किसानों से मिलकर उनकी समस्याएं समझीं. उन्होंने उन प्याज भंडारण स्थानों का भी निरीक्षण किया जहां बड़ी मात्रा में प्याज सड़ चुकी थी.