गांव की 67 लाख महिलाओं के लिए खुला पैसे का पिटारा, योगी सरकार के फैसलों से हर घर में मिलेगी राहत

UP Cabinet Decision: यूपी सरकार की कैबिनेट बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं, जिनसे गांव की महिलाओं और बुजुर्गों को सीधा फायदा मिलेगा. पेंशन प्रक्रिया आसान होगी. सरकार के ये कदम लोगों की रोजमर्रा की परेशानियां कम करने की दिशा में अहम हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 15 Nov, 2025 | 01:11 PM

Uttar Pradesh Pension Scheme : गांव की मिट्टी में बसने वाली महिलाओं के लिए ये किसी त्योहार की सुबह सा लगा. योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में ऐसे फैसलों पर मुहर लगी, जो सीधे गांव की महिलाओं, उनके परिवारों और बुजुर्गों की जिंदगी बदल देंगे. बुजुर्गों को बिना फॉर्म भरे पेंशन, किरायेदारों को सस्ता एग्रीमेंट, दुकानों में काम करने वालों के लिए नई सुविधाएं और महिलाओं को सम्मानसरकार का यह पिटारा सचमुच भरा हुआ निकला. गांव की 67 लाख महिलाओं के लिए यह फैसले उम्मीद, भरोसे और राहत की एक नई कहानी लिखते हैं.

बुजुर्गों को अब बिना फॉर्म भरे मिलेगी पेंशन

यूपी सरकार ने बुजुर्गों की सबसे बड़ी परेशानी को हल कर दिया हैअब पेंशन पाने के लिए न लाइन लगानी होगी, न फॉर्म भरना पड़ेगा. कैबिनेट ने वृद्धावस्था पेंशन  को फैमिली आईडी से जोड़ने की मंजूरी दे दी है. समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने बताया कि 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों का पूरा डेटा सरकार के पास उपलब्ध रहेगा. अब कॉल सेंटर सीधे बुजुर्गों से बात करके उनकी आय और सहमति लेगा. इसके बाद विभाग एक ऐप बनाएगा, जिसकी मदद से बुजुर्ग घर बैठे बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन कर सकेंगे.

यह बदलाव इसलिए जरूरी था क्योंकि बुजुर्गों को हर साल दस्तावेज जमा कराने में बड़ी मुश्किल होती थी. दफ्तरों के चक्कर लगाना, दस्तावेज तैयार करनासब मिलकर उन्हें परेशान कर देता था. अभी तक 67.50 लाख बुजुर्ग पेंशन ले रहे हैं, लेकिन नई प्रक्रिया लागू होने के बाद 8.25 लाख और लोग लाभार्थी बन जाएंगे. कुल मिलाकर यह संख्या 75 लाख के करीब पहुंच जाएगी. सरकार को इसके लिए लगभग 990 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा, जो दिखाता है कि बुजुर्गों को सम्मानपूर्वक सुविधा देने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह तैयार है. गांवों में यह फैसला खास असर डालेगा, क्योंकि यहां बुजुर्गों की सबसे ज्यादा दिक्कतें सामने आती हैं.

2 लाख रुपये तक के किराए पर सिर्फ 1000 रुपये में रेंट एग्रीमेंट

किराए पर रहने वाले परिवारोंखासकर महिलाओं के लिए बड़ा राहत भरा फैसला किया गया है. अब अगर सालाना किराया 2 लाख रुपये तक है, तो आपको रेंट एग्रीमेंट के लिए सिर्फ 1000 रुपये खर्च करने होंगे. पहले इसके लिए 10,000 रुपये तक खर्च हो जाता था, जिससे लोग एग्रीमेंट करवाने से ही बचते थे. कई मामलों में किराएदार और मकान मालिक के बीच विवाद होने पर किसी के पास कानूनी आधार भी नहीं होता था.

कैबिनेट ने रजिस्ट्री और स्टांप शुल्क कम करके आम लोगों की जेब का बोझ घटा दिया है. पहले एग्रीमेंट पर 5 फीसदी तक शुल्क लगता था, लेकिन अब खर्च बहुत कम हो गया है. यह बदलाव खासकर उन शहरों में बड़ी राहत देगा जहां लोग नौकरी या पढ़ाई की वजह से किराए पर रहते हैं. ग्रामीण महिलाओं के लिए यह इसलिए लाभदायक है, क्योंकि शहरों में रहने वाले उनके बच्चे अब कम खर्च में सुरक्षित और रजिस्टर्ड एग्रीमेंट करवा सकेंगे, जिससे विवाद की स्थिति भी कम होगी.

निजी अस्पताल और कंसल्टेंट भी आए श्रम कानून के दायरे में

अब तक श्रम कानून ज्यादातर दुकानों और बिजनेस संस्थानों पर लागू थे, लेकिन कैबिनेट ने बड़ी सुधारात्मक पहल की है. अब निजी अस्पताल, पॉलिक्लिनिक, मैटरनिटी होम, टेक्निकल और कमर्शियल कंसल्टेंसी फर्म, सर्विस प्रोवाइडर्स भी श्रम कानून के दायरे में आएंगे. पहले सिर्फ 1 भी कर्मचारी होने पर रजिस्ट्रेशन जरूरी था. अब यह नियम बदल दिया गया हैअब सिर्फ उन संस्थानों को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा जिनमें 20 या उससे ज्यादा कर्मचारी हैं. इस निर्णय से छोटे संस्थानों पर बोझ कम होगा, वहीं बड़े संस्थानों में कर्मचारियों को बेहतर सुरक्षा और अधिकार मिलेंगे. गांव से शहरों में नौकरी करने जाने वाले युवाओं के लिए यह एक सकारात्मक कदम है.

ओवरटाइम बढ़कर अब हुआ 144 घंटे प्रति तिमाही

श्रम मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि कर्मचारियों के हित में एक और बड़ा फैसला लिया गया हैअब कर्मचारी हर तिमाही में 144 घंटे तक ओवरटाइम कर सकेंगे. त्योहारों, शादी सीजन या व्यवसाय के दबाव के समय कर्मचारियों को अधिक काम करना पड़ता है. अब उन्हें इसका उचित भुगतान मिलेगा. गांवों के युवाओं के लिए यह बहुत फायदेमंद है. जो लोग शहरों में दुकानों, मॉल या छोटे स्टोर्स पर काम करते हैं, उनकी कमाई पहले से बेहतर होगी.

रिटेल स्टोर में कर्मचारियों के लिए कुर्सी अनिवार्य

कई दुकानों में कर्मचारियों-खासकर महिला स्टाफको लंबे समय तक खड़े रहना पड़ता है. इससे पैरों, कमर और एड़ियों में दर्द हो जाता है. कैबिनेट ने इसे गंभीरता से लेते हुए फैसला लिया है कि अब यूपी के सभी रिटेल स्टोर, सुपरमार्केट और मॉल में कर्मचारियों के बैठने के लिए कुर्सी या स्टूल रखना अनिवार्य होगा. नियम के अनुसार, हर कर्मचारी को हर आधे घंटे बाद 5 मिनट बैठने का अधिकार होगा. यह फैसला खासकर महिलाओं और युवा लड़कियों के लिए बड़ी राहत है, जो दुकानों में घंटों खड़े रहकर काम करती हैं.

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Published: 15 Nov, 2025 | 01:04 PM

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