Tobacco Farmers: अमेरिका और यूरोप में कम मांग और भारत में ब्लैक बर्ली तंबाकू की कीमतों में गिरावट ने किसानों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है. आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों के किसान इस सीजन में भी मुनाफा कमाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन बढ़ते उत्पादन और घटती मांग ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया है. पिछले साल किसान उम्मीदों से ज्यादा तंबाकू उगाए, लेकिन इस बार बाजार में खरीदार कम हैं और कीमतें 110-120 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गई हैं. ऐसे में किसानों के सामने दो रास्ते हैं या तो जोखिम लेकर खेती जारी रखें या कम क्षेत्र में उत्पादन करें और नुकसान कम करने की कोशिश करें.
अत्यधिक उत्पादन और घटती कीमतें
पिछले सीजन में किसानों ने औसतन 20-25 मिलियन किलोग्राम की बजाय करीब 80-90 मिलियन किलोग्राम ब्लैक बर्ली तंबाकू उत्पादन किया. इतनी बड़ी मात्रा में उत्पादन होने के कारण बाजार में तंबाकू का भंडार बढ़ गया और कीमतें 110-120 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गईं, जबकि 2023-24 में यह 230 रुपये प्रति किलोग्राम थी.
सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए 25-30 मिलियन किलोग्राम तंबाकू खरीदा, लेकिन इसके बावजूद किसान बड़ी मात्रा में तंबाकू के भंडार के दबाव में हैं. किसान संघ FAIFA के नेता मुरली बाबू के अनुसार, किसानों को अब खेत में ब्लैक बर्ली की जगह कम क्षेत्र में उत्पादन करने पर मजबूर होना पड़ सकता है.
किसानों के सामने विकल्प की कमी
ब्लैक बर्ली तंबाकू उगाने वाले किसानों के लिए कोई वैकल्पिक फसल नहीं है जो उन्हें तंबाकू की खेती छोड़ने के लिए प्रेरित कर सके. ऐसे में किसान या तो ट्रेडर्स और कंपनियों के साथ बंधनों में फंस जाते हैं या फिर जोखिम लेकर खेती करते हैं, उम्मीद में कि बाद में कोई खरीदार आएगा.
बाजार और सुधार की जरूरत
बिजनेस लाइन की खबर के मुताबिक, एम. वेंकटेश्वर राव, तंबाकू निर्यातक, का मानना है कि तंबाकू खेती और मार्केटिंग में तत्काल सुधार की जरूरत है. उन्होंने कहा कि विदेश निवेश को अन्य संवेदनशील उद्योगों में अनुमति दी जा रही है, लेकिन तंबाकू उद्योग, जो स्वास्थ्य और राजस्व दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, में सुधार रुक गया है.
विदेशी कंपनियां, जो तंबाकू प्रसंस्करण और प्रोडक्ट इंडस्ट्री स्थापित करना चाहती हैं, उन्हें अनुमति नहीं दी जा रही.
ब्राजील का उदाहरण और वैश्विक बाजार
ब्राजील ने अपने तंबाकू उत्पादन में आधुनिक तकनीक अपनाकर किसानों की आय 15-20 प्रतिशत बढ़ा दी है. पिछले साल वहां बाढ़ और कोविड-19 की वजह से वैश्विक बाजार में मांग कम हुई थी. इस साल वैश्विक उत्पादन बढ़ गया है, लेकिन मांग कम होने के कारण बाजार धीमा है.
विशेषज्ञों के अनुसार, अगले पांच वर्षों में तंबाकू उद्योग को लगभग 1,500–2,000 करोड़ रुपये निवेश की जरूरत होगी ताकि आधुनिक प्रसंस्करण सुविधा, ट्रेसबिलिटी सिस्टम, सस्टेनेबिलिटी सर्टिफिकेशन और प्रोसेसिंग हब विकसित किए जा सकें.