Farmers Scheme: केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री धन धान्य योजना (PM Dhan-Dhaanya Krishi Yojana) को लेकर बड़ी अपडेट आई है. इस योजना के तहत 100 कृषि आकांक्षी जिलों के लिए 100 आईएएस अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है. इन अधिकारियों की निगरानी में इन जिलों में योजना जमीन पर उतारी जाएगी, जिससे भारत के कृषि क्षेत्र में तेजी से सुधार हो सके. इस योजना का मकसद सस्ती, स्मार्ट और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना है. साथ ही सरकार चाहती है कि कृषि उत्पादन को बढ़ाने के साथ ही किसान की आय को दोगुना किया जाए.
कब लॉन्च हुई और कितनी अवधि तक चलेगी योजना
प्रधानमंत्री धन धान्य योजना को 16 जुलाई 2025 को स्वीकृति मिली थी. यह योजना 2025 से 2031 तक यानी कुल छह वर्षों तक लागू रहेगी. इस अवधि में कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षण और संसाधनों का विस्तार किया जाएगा ताकि खेती को अधिक लाभदायक बनाया जा सके.
24,000 करोड़ रुपये का बड़ा बजट
सरकार ने इस योजना के लिए कुल ₹24,000 करोड़ का बजट तय किया है. यह राशि छह वर्षों में अलग-अलग चरणों में खर्च की जाएगी. बजट का इस्तेमाल फसल विविधीकरण, सिंचाई के विस्तार, भंडारण व्यवस्था, क्रेडिट सुविधा और किसानों के प्रशिक्षण पर किया जाएगा.
कृषि सुधार की दिशा में समग्र योजना
इस योजना की खास बात यह है कि इसे 36 अलग-अलग केंद्रीय योजनाओं को मिलाकर तैयार किया गया है, जो पहले 11 मंत्रालयों के अधीन चल रही थीं. यानी अब किसान को अलग-अलग योजनाओं के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा, सभी सहायता और सुविधाएं एक ही प्लेटफॉर्म से उपलब्ध कराई जाएंगी.
यह योजना नीति आयोग के आकांक्षी जिलों के मॉडल से प्रेरित है, जहां विकास की गति बढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर निगरानी और जवाबदेही तय की गई है.
किस राज्यों को मिलेगा लाभ
इस योजना के तहत फिलहाल पांच प्रमुख राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार के जिलों को चुना गया है. इन जिलों की पहचान कम उत्पादकता, सीमित संसाधनों और कृषि ऋण की कमी के आधार पर की गई है. हर राज्य से कम से कम एक जिला इसमें शामिल किया गया है.
योजना का क्रियान्वयन कैसे होगा
हर जिले में एक धन-धान्य समिति (Dhan-Dhaanya Samiti) बनाई जाएगी, जो योजना के हर चरण की निगरानी करेगी. यह समिति जिला कलेक्टर, कृषि अधिकारी और स्थानीय किसान प्रतिनिधियों के साथ मिलकर काम करेगी.
राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी समितियां बनाई जाएंगी, जो योजना की प्रगति पर नजर रखेंगी. प्रत्येक जिले में 117 प्रमुख संकेतकों (Indicators) के आधार पर हर महीने प्रगति रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे डिजिटल डैशबोर्ड पर देखा जा सकेगा.
किसानों के लिए क्या होगा फायदा
इस योजना से छोटे और सीमांत किसानों को सबसे ज्यादा लाभ मिलने की उम्मीद है. उन्हें खेती के लिए तकनीकी सलाह, फसल बीमा, आसान क्रेडिट, आधुनिक उपकरण और बेहतर बाजार सुविधा मिलेगी.
योजना के तहत किसानों को यह भी बताया जाएगा कि कौन सी फसल उनकी जमीन के लिए सबसे उपयुक्त है और किस तरह के संसाधनों से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.
किसान अपनी जमीन या योजना से जुड़ी जानकारी के लिए अपने जिला कलेक्टर कार्यालय या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं.