Trade War: अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार युद्ध (Trade War) अब केवल कंपनियों या उद्योगों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसका सबसे बड़ा असर सीधे खेत-खलिहानों तक पहुंच गया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले सामानों पर भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाया था. इसके जवाब में चीन ने भी कड़ा कदम उठाते हुए मई 2025 से अमेरिकी सोयाबीन की खरीदी लगभग पूरी तरह रोक दी. इस फैसले का सबसे बड़ा खामियाजा अब अमेरिका के किसानों को भुगतना पड़ रहा है.
चीन ने क्यों रोकी खरीदी?
चीन अब तक अमेरिका से हर साल करीब 12 अरब डॉलर से ज्यादा का सोयाबीन खरीदता था. सोयाबीन चीन के लिए इसलिए भी जरूरी है क्योंकि वहां इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर तेल और पशु-चारे के लिए होता है. लेकिन ट्रंप के टैरिफ फैसले के बाद चीन ने अमेरिकी सोयाबीन पर जवाबी शुल्क लगा दिया, जिससे यह महंगा और गैर-प्रतिस्पर्धी (नॉन-कॉम्पिटिटिव) हो गया.
अब चीन ने रुख मोड़कर ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे देशों से बड़ी मात्रा में सस्ता सोयाबीन खरीदना शुरू कर दिया है. इसका सीधा नुकसान अमेरिका के किसानों को हो रहा है, जिनकी फसल गोदामों में पड़ी-पड़ी खराब होने लगी है.
किसानों की बढ़ी मुश्किलें और गुस्सा
अमेरिका के मिडवेस्ट (मध्य-पश्चिमी) राज्यों में लाखों किसान अपनी ताजा सोयाबीन फसल बेचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
- 2022 से अब तक सोयाबीन की कीमतें लगभग 40 फीसदी तक गिर गई हैं.
- बड़ी मात्रा में सोयाबीन गोदामों में जमा है, लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे.
- निर्यात उम्मीद से कहीं कम रह गया है.
किसानों का कहना है कि अगर हालात जल्दी नहीं सुधरे, तो उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा. कई किसान कर्ज के बोझ में दब रहे हैं और उन्हें अपनी जमीन बेचने तक की नौबत आ सकती है. यही कारण है कि किसानों का गुस्सा अब खुले तौर पर दिखने लगा है.
राजनीतिक दबाव और सरकार की चुनौती
किसानों की समस्या को देखते हुए ट्रंप प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है. किसान संघों ने सीधे व्हाइट हाउस तक अपनी आवाज पहुंचाई है और राहत पैकेज की मांग की है. ट्रंप ने संकेत दिया है कि किसानों को मुआवजा देने के लिए टैरिफ से वसूले गए पैसे का इस्तेमाल किया जाएगा. हालांकि, यह राहत पैकेज 2026 से पहले लागू होना मुश्किल बताया जा रहा है.
दिलचस्प बात यह है कि अमेरिकी किसान वही वर्ग हैं, जिन्होंने पिछली बार ट्रंप को बड़े पैमाने पर वोट दिया था. अब यही किसान अपनी ही सरकार से नाराज नजर आ रहे हैं.
भारत और दुनिया पर असर
सोयाबीन केवल एक फसल नहीं, बल्कि वैश्विक खाद्य और तेल बाजार का अहम हिस्सा है. जब चीन अमेरिका की जगह ब्राजील और अर्जेंटीना से आयात बढ़ाता है, तो ग्लोबल व्यापार व्यवस्था में बड़ा बदलाव आता है. कीमतों और आपूर्ति की इस लड़ाई में भारत जैसे देश भी अछूते नहीं रहते. भारत में भी सोयाबीन का उत्पादन और आयात दोनों होते हैं. कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर भारतीय किसानों और उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है.