हिमाचल प्रदेश में सस्टेनेबल खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके तहत चंबा जिले के चौवारी में नेचुरल फार्मिंग से उगाई गई हल्दी की बंपर खरीद हुई. पहले ही दिन 5 स्थानीय किसानों से 12 क्विंटल हल्दी खरीदी गई, जिसकी कीमत सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के अनुसार 90 रुपये प्रति किलो रही. यह पहल एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (ATMA) प्रोजेक्ट के तहत की जा रही है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, ATMA चंबा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. ज्योति रंजन कालिया ने कहा कि यह खरीद 22 से 25 मई तक चौवारी के कृषि कार्यालय परिसर में की गई. इस योजना के तहत केवल वही किसान अपनी फसल बेच पाए, जो पिछले एक साल से प्रमाणित नेचुरल फार्मिंग कर रहे थे. उन्होंने कहा कि यह कदम सरकार की नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने और ऐसे किसानों को उचित दाम दिलाने की बड़ी कोशिश का हिस्सा है. डॉ. कालिया ने कहा कि खरीदी गई हल्दी का लगभग आधा हिस्सा प्रोसेसिंग के लिए कांगड़ा जिले के भवारना स्थित फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (FPC) को भेजा जाएगा.
नेचुरल तरीके से उगाई गई हल्दी के कई फायदे
उन्होंने कहा कि प्रोसेसिंग का काम जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है. बाकी हल्दी का इस्तेमाल जिले के अलग-अलग इलाकों में डेमोंस्ट्रेशन यूनिट्स (प्रदर्शन इकाइयों) लगाने के लिए किया जाएगा, ताकि नैचुरल फार्मिंग के फायदों और तरीकों को प्रचारित किया जा सके. नेचुरल तरीके से उगाई गई हल्दी के कई फायदे हैं.
नेचुरल फार्मिंग अपनाने के लिए प्रोत्साहन
डॉ. कालिया ने और अधिक किसानों को नेचुरल फार्मिंग अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया और भरोसा दिलाया कि सरकार उन्हें खरीद से लेकर तकनीकी मदद तक पूरा सहयोग देगी. उन्होंने कहा कि जो किसान नेचुरल फार्मिंग की तकनीकें सीखना चाहते हैं या बाजार से जुड़ी जानकारी पाना चाहते हैं, वे अपने नजदीकी ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर या असिस्टेंट टेक्नोलॉजी मैनेजर से संपर्क कर सकते हैं.
नेचुरल फार्मिंग में नहीं होता पेस्टीसाइड का इस्तेमाल
नेचुरल फार्मिंग से उगाई गई हल्दी में कोई केमिकल फर्टिलाइजर या पेस्टीसाइड नहीं होता, जिससे यह सेहत के लिए ज्यादा सुरक्षित और पौष्टिक होती है. इसमें करक्यूमिन की मात्रा ज्यादा होती है, जो इसे औषधीय रूप से और भी असरदार बनाता है. खासकर इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण. आजकल लोग केमिकल-फ्री उत्पादों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इसलिए नेचुरल हल्दी ऑर्गेनिक और वेलनेस मार्केट में अच्छी कीमत पर बिकती है. इसके अलावा, नेचुरल फार्मिंग से मिट्टी की सेहत सुधरती है, जैव विविधता बनी रहती है और किसानों का खर्च भी कम होता है, क्योंकि उन्हें महंगे केमिकल उत्पाद नहीं खरीदने पड़ते.