Stubble Burning : मध्य प्रदेश के कई जिलों में फसल अवशेष यानी नरवाई जलाने पर प्रशासन ने सख्त प्रतिबंध लगा दिया है. जिले में अक्सर देखा गया है कि फसल कटने के बाद किसान खेतों में बची सूखी पराली या नरवाई में आग लगा देते हैं. इससे हवा में जहरीला धुआं फैलता है, कई बार आग बेकाबू होकर खेतों, घरों और सरकारी संपत्तियों तक पहुंच जाती है. इन हादसों को रोकने के लिए कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट डॉ. सतीश कुमार एस ने बड़ा फैसला लिया है. अब अगर किसी ने नरवाई जलाई, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा.
क्यों लगाया गया प्रतिबंध?
फसल के बाद बची पराली या नरवाई को जलाना किसानों के लिए आसान तरीका होता है, लेकिन इससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है. धुएं से सांस लेने में दिक्कत होती है, खेतों की जमीन की उर्वरक क्षमता कम होती है और कई बार आग बेकाबू होकर बड़े हादसे का कारण बनती है. इन सब कारणों से प्रशासन ने नरवाई जलाने पर बैन लगा दिया है.
नियम तोड़ने पर कितना जुर्माना?
कलेक्टर के आदेश के मुताबिक अगर कोई किसान या व्यक्ति नरवाई जलाता हुआ पकड़ा गया तो उससे 2500 रुपये से लेकर 15,000 रुपये तक जुर्माना वसूला जाएगा. जुर्माना घटना की गंभीरता और आग से हुए नुकसान के आधार पर तय किया जाएगा.
कंबाइन हार्वेस्टर में अब जरूरी हुआ स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम
जिले में जो भी कंबाइन हार्वेस्टर फसल काटने में इस्तेमाल किए जाएंगे, उनमें स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) लगाना जरूरी होगा. इसका मतलब यह है कि फसल काटते समय मशीन भूसे को खेत में ही इस तरह फैला देगी कि उसे आसानी से मिट्टी में मिलाया जा सके और किसान बिना आग लगाए उसे खाद के रूप में इस्तेमाल कर सके.
प्रशासन क्या चाहता है?
सरकार चाहती है कि किसान नरवाई जलाने की जगह आधुनिक तकनीक अपनाएं. पराली को खाद के रूप में उपयोग करें, बायोगैस प्लांट में दें या पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल करें. इससे न सिर्फ पर्यावरण बचेगा, बल्कि किसानों को भी फायदा होगा. प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि वे जिम्मेदार बनें और खेतों में आग लगाने से बचें. अगर किसी किसान के पास पराली निपटाने का उचित साधन नहीं है तो वह कृषि विभाग या पंचायत से मदद मांग सकता है.