कम लागत में ज्यादा कमाई का जरिया है मछली पालन, जानें तालाब बनाने का सही तरीका

मछली पालन के लिए सही तालाब का निर्माण बेहद जरूरी है. मिट्टी, गहराई, आकार और जल निकासी की सही योजना से उत्पादन बढ़ता है. यह व्यवसाय किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने का अवसर देता है.

नोएडा | Published: 16 Aug, 2025 | 11:49 AM

आज के समय में खेती के साथ-साथ मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय बन चुका है, जिससे किसान कम खर्च में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बढ़ती आबादी के कारण खाने की मांग भी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में अगर किसान जल संसाधनों का सही उपयोग करें, तो देश की खाद्य सुरक्षा में भी योगदान दे सकते हैं. खास बात ये है कि मछली पालन केवल आय का जरिया नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार का सशक्त माध्यम भी बन सकता है. लेकिन मछली पालन शुरू करने से पहले सबसे जरूरी है- सही तालाब का निर्माण. तो आइए जानते हैं कि मछली पालन के लिए कैसा होना चाहिए तालाब का आकार, गहराई, मिट्टी और पानी की व्यवस्था.

सही भूमि का चयन क्यों जरूरी है?

तालाब निर्माण से पहले जमीन की जांच सबसे जरूरी होती है. ऐसी जमीन चुननी चाहिए–

  • जो ऊसर, बालू या पत्थर वाली न हो.
  • जिसमें पानी रोकने की क्षमता हो.
  • जहां सालभर पानी की उपलब्धता बनी रहे.
  • मिट्टी ज्यादा अम्लीय या क्षारीय न हो.
  • जमीन समतल या हल्की ढलान वाली हो.

इसके अलावा तालाब ऐसी जगह बनाएं जहां बाजार, सड़क और बिजली की सुविधा पास में हो, ताकि मछलियों को बेचना और देखभाल करना आसान हो. मिट्टी में पानी रोकने की ताकत होनी चाहिए, जिससे पानी बह न जाए.

तालाब की मिट्टी कैसी हो?

  • 3×3 फीट का गड्ढा खोदकर मिट्टी निकालें.
  • उसे पानी में गीला कर एक गोला बनाएं.
  • उसे हवा में उछालें. अगर गोला नहीं टूटता, तो मिट्टी तालाब के लिए उपयुक्त है.

इसके अलावा मिट्टी में नीचे दिए गए तत्वों का होना जरूरी है-

  • pH: 6.5 से 7.5
  • नाइट्रोजन: 25-50 mg/1000g मिट्टी
  • कार्बन: 1%
  • कैल्शियम: 100-200 mg/1000g
  • सोडियम: 10-15 mg/1000g

उपयुक्त मिट्टी मछलियों के लिए प्राकृतिक भोजन उत्पन्न करती है और उत्पादन बढ़ाती है.

तालाब का आकार और दिशा कैसी हो?

मछली पालन के लिए आयताकार तालाब सबसे उपयुक्त माना जाता है. लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 2:1 या 3:1 होना चाहिए. इससे जाल चलाने में आसानी होती है और मजदूरी कम लगती है.

  • एक एकड़ तालाब के लिए 1.3 से 1.4 एकड़ जमीन चाहिए.
  • तालाब पूरब-पश्चिम दिशा में बनाएं ताकि हवा के बहाव से पानी में ऑक्सीजन बनी रहे.
  • बहुत बड़ा तालाब न बनाएं, क्योंकि उसे संभालना कठिन होता है.
  • तालाब में नर्सरी, पालन, उत्पादन और प्रजनन तालाब शामिल होते हैं. जैसे-
तालाब का प्रकार क्षेत्रफल (%) अवधि गहराई
नर्सरी तालाब 5% 15-20 दिन उथला
पालन तालाब 20% 2-3 महीने मध्यम
उत्पादन तालाब  65% 8 महीने मध्यम
प्रजनन तालाब 10% मध्यम

तालाब की गहराई कितनी होनी चाहिए?

तालाब की गहराई इस पर निर्भर करती है कि पानी का स्रोत क्या है-

  • अगर तालाब बारिश पर निर्भर है, तो गहराई 8 से 10 फीट रखें.
  • अगर जल स्रोत मौजूद है, तो 1.5 से 2 मीटर (5-6.5 फीट) उपयुक्त है.
  • तालाब का कुछ हिस्सा पानी से खाली छोड़ना चाहिए जिसे फ्रीबोर्ड कहा जाता है.
  • बहुत गहरे तालाब में जहरीली गैसें बन सकती हैं, जबकि बहुत उथला तालाब गर्मी में सूख सकता है.

तालाब की बनावट और बांध की मजबूत संरचना

  • तालाब का किनारा ढलवां होना चाहिए, खड़ी खुदाई से बचें.
  • ढलान का अनुपात 1:1.5 या 1:2 रखें.
  • तालाब के तल को समतल और मजबूत बनाएं.
  • जल निकासी के लिए 1-2 फीसदी ढलान होनी चाहिए ताकि पानी खुद ही बह सके.
  • बांध चिकनी दोमट मिट्टी से बनाएं और मजबूत बनाएं ताकि रिसाव न हो.

बांध की ऊंचाई के अनुसार उसकी चौड़ाई तय करें. अगर गाड़ी भी चलानी है तो शिखर की चौड़ाई 6-8 फीट रखें. बांधों पर घास लगाना चाहिए ताकि मिट्टी का कटाव न हो.

पानी की निकासी और तालाब की देखरेख

  • तालाब में पानी भरने और निकालने के लिए अलग-अलग द्वार बनाएं.
  • प्रवेश द्वार पर जाली लगाएं ताकि गंदगी और कीड़े न आएं.
  • निकासी द्वार ढलान वाली दिशा में बनाएं.
  • हर 1-2 साल में तालाब को पूरी तरह सुखाएं, जिससे हानिकारक कीट और जीव मर जाएं.
  • बांध की नियमित मरम्मत करते रहें और चूहों के बिल बंद करें.
  • कॉमन कार्प मछली बांध को नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए उसकी निगरानी जरूरी है.