मछलियों में होती हैं खतरनाक बीमारियां, इन घरेलू तरीकों से करें इलाज और बचाएं नुकसान

मछली पालन एक लाभदायक व्यवसाय है, लेकिन मछलियों में फैलने वाली बीमारियां नुकसान का कारण बन सकती हैं. अगर मछली पालक समय रहते लक्षण पहचानकर इलाज करें, तो नुकसान से बच सकते हैं. बीमारी से बचाव ही मत्स्य पालन में सफलता की कुंजी है.

Kisan India
नोएडा | Published: 26 Sep, 2025 | 06:40 AM

Fish Diseases:- मत्स्य पालन यानी फिश फार्मिंग आज किसानों के लिए एक कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाला व्यवसाय बन चुका है. लेकिन जैसे गाय, भैंस और मुर्गियों को बीमारियां हो जाती हैं, वैसे ही मछलियां भी कई बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं. अगर समय रहते इनका इलाज न किया जाए, तो मछलियों की मौत हो सकती है और किसान को भारी नुकसान झेलना पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि मछली पालक किसान इन बीमारियों को पहचानें और सही इलाज अपनाएं. चलिए जानते हैं मछलियों में पाई जाने वाली आम बीमारियों और उनके आसान इलाज के बारे में.

काले चकत्तों की बीमारी

यह बीमारी मछलियों में बहुत आम है. जब मछलियों के शरीर पर काले-काले चकत्ते दिखने लगें तो समझिए कि ये काले चकत्तों की बीमारी है.

इलाज का तरीका:- मछलियों को पिकरिक एसिड के घोल वाले पानी में लगभग एक घंटे के लिए नहलाएं. यह घोल शरीर की त्वचा पर मौजूद संक्रमण को खत्म करता है और मछलियों को राहत मिलती है. इलाज के दौरान मछलियों को भीड़ से अलग रखना फायदेमंद होता है.

सफेद चकत्तों की बीमारी

इस बीमारी में मछलियों के शरीर पर छोटे-छोटे सफेद चकत्ते दिखाई देने लगते हैं. यह रोग जल्दी फैलता है और बाकी मछलियों को भी चपेट में ले सकता है.

इलाज का तरीका:- इस बीमारी के लिए कुनीन (Quinine) नाम की दवा बहुत प्रभावी है. इसकी उचित मात्रा तालाब में मिलाकर मछलियों को इलाज दिया जा सकता है. एक बार दवा देने के बाद तालाब का पानी 2-3 दिन तक न बदला जाए, ताकि दवा असर दिखा सके.

फिनराट की बीमारी: पंख गलने से पहचानें

जब मछलियों के पंख सड़ने या गलने लगें, तो यह फिनराट बीमारी का संकेत होता है. यह रोग ज्यादातर गंदे पानी और खराब देखभाल की वजह से होता है.

इलाज का तरीका:- मछलियों को नीला थोथा (Copper Sulphate) के घोल में 2 से 3 मिनट तक नहलाना चाहिए. इससे उनके पंखों की सड़न रुकती है और मछलियां दोबारा स्वस्थ होने लगती हैं.

फफूंद और आंखों की बीमारी

अगर मछलियों के शरीर पर सफेद धब्बे या फफूंद दिखाई दे, तो ये किसी चोट या संक्रमण के कारण हो सकता है. इसी तरह आंखों की बीमारी भी काफी नुकसानदायक होती है, जिसमें मछली की आंखें पूरी तरह खराब हो सकती हैं.

इलाज का तरीका:- फफूंद के लिए, मछलियों को नीला थोथा और पोटेशियम परमैंगनेट के घोल में 10 से 15 मिनट तक नहलाना चाहिए. आंखों की बीमारी के लिए: मछलियों की आंखों को 2 फीसदी सिल्वर नाइट्रेट के घोल से धोकर साफ पानी में छोड़ देना चाहिए. यह प्रक्रिया धीरे-धीरे असर दिखाती है.

साफ-सफाई और देखभाल जरूरी

ज्यादातर मछलियों की बीमारियों की जड़ तालाब की गंदगी होती है. जब तालाब का पानी नियमित रूप से साफ नहीं किया जाता या उसमें चूने का सही इस्तेमाल नहीं होता, तो बीमारियां पनपने लगती हैं.

बचाव के उपाय:

  • हर महीने तालाब में चूना (Lime) डालना जरूरी है, ताकि पानी का pH संतुलित बना रहे.
  • तालाब की सफाई हर 15-20 दिन में एक बार जरूर करें.
  • बीमार मछलियों को अलग तालाब या टैंक में रखें.
  • तालाब में ज्यादा मछलियों की भीड़ न करें.

अगर ये जरूरी सावधानियां अपनाई जाएं, तो मछलियों को बीमारियों से बचाया जा सकता है और किसान का घाटा नहीं बल्कि मुनाफा ही होगा.

Published: 26 Sep, 2025 | 06:40 AM

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