गांव-देहात में लोग बकरी को सिर्फ पालतू जानवर नहीं, बल्कि चलता-फिरता ATM कहते हैं. जरूरत पड़ने पर बकरी बेचो और तुरंत नकद पैसा हाथ में, बकरी पालन आज के समय में कम लागत वाला ऐसा व्यवसाय बन चुका है, जिससे किसान, मजदूर और बेरोजगार युवा भी महीने के हजारों रुपये कमा रहे हैं. बकरी का दूध, मांस, खाल और यहां तक कि बीट तक बिकती है. जानिए कैसे यह छोटा सा कारोबार बड़ी आमदनी का जरिया बनता जा रहा है.
क्यों कहते हैं बकरी को चलता-फिरता ATM
ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालन सदियों से एक भरोसेमंद आय का जरिया रहा है. खासकर छोटे और सीमांत किसान, जो कम जमीन या सीमित संसाधनों के कारण बड़े पैमाने पर खेती या पशुपालन नहीं कर सकते, उनके लिए बकरी पालन किसी वरदान से कम नहीं. बकरी की खासियत यह है कि ये जल्दी बच्चे देती हैं, इनकी देखभाल आसान है और इन्हें बेचने पर तुरंत पैसा मिलता है. यही कारण है कि किसान इसे गरीब आदमी की गाय भी कहते हैं. जब भी किसी को नकद पैसे की जरूरत होती है, तो एक-दो बकरी बेचकर खर्च निकाल लेते हैं.
दूध, मांस और खाद से होती है तगड़ी कमाई
बकरी से होने वाली कमाई सिर्फ दूध या मांस तक सीमित नहीं है. बकरी का दूध बेहद पौष्टिक होता है, जिसे कई लोग दवा के तौर पर भी इस्तेमाल करते हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए. मांस की बात करें तो बकरी का मांस त्योहारों, शादी-ब्याह और खास मौकों पर अच्छे दामों में बिकता है. इसके अलावा, बकरी की बीट यानी मल खेतों के लिए बेहतरीन जैविक खाद का काम करती है. इससे मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है और किसान को खेती में भी फायदा होता है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पहले यह व्यक्ति मजदूरी का काम करता था, लेकिन उस आमदनी से परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था. इसके बाद इसने बकरी और भेड़ पालन की शुरुआत की. पहले से घर में 15 भेड़ें थीं, फिर 45 और भेड़ें खरीदी गईं. अब खेती के साथ-साथ यह व्यक्ति हर महीने 50 से 60 हजार रुपये की कमाई कर रहा है. इसका कहना है कि यह एक पार्ट-टाइम काम है, जिसमें रोजाना 5 से 6 घंटे देने पर भी अच्छी आमदनी हो जाती है.
बकरी का गोबर भी बन रहा आमदनी का जरिया
बकरी से केवल दूध या मांस नहीं, बल्कि गोबर यानी बीट भी बेचा जा सकता है. अजीत बताते हैं कि बकरी का गोबर 8 से 10 रुपये किलो के हिसाब से बिकता है और इससे उन्हें रोजाना 200-300 रुपये तक की अतिरिक्त कमाई हो जाती है. अजीत गुजरी, अजमेरी और मगरा नस्ल की बकरियां पाल रहे हैं, जो खास तौर पर मांस उत्पादन के लिए जानी जाती हैं. उनका मानना है कि कश्मीर जैसे ठंडे इलाकों में बकरी पालन बेहद फायदेमंद है क्योंकि वहां मांस की मांग अधिक है.
युवाओं के लिए सुनहरा मौका
आजकल बेरोजगार युवा भी बकरी पालन को अपनाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. इसमें शुरुआती लागत कम होती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है. उदाहरण के लिए, अगर कोई किसान 3 महीने की बकरी खरीदता है तो वो 9 से 10 महीने में वयस्क हो जाती है. डेढ़ साल के भीतर एक बकरी से 3-4 बच्चे मिल जाते हैं. यदि किसान शुरुआती 2 साल तक बच्चों को न बेचें, तो बकरियों की संख्या तेजी से बढ़ती है और कमाई कई गुना हो जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि सही नस्ल, सही आहार और थोड़ी समझदारी के साथ बकरी पालन एक स्थायी और मुनाफे वाला व्यवसाय बन सकता है.
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